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भारत की तरह फिलीपींस और मलेशिया को भी चीन के विवादित नक्शे से है नाराजगी

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नईदिल्ली

चीन के कथित 'स्टैंडर्ड मैप' पर भारत की तरह ही फिलीपींस और मलेशिया ने भी भारी आपत्ति जताई है. चीन ने अपने मैप में पूर्वोत्तर राज्य अरुणाचल प्रदेश और अक्साई चिन क्षेत्र को भी चीन के हिस्से के रूप में दिखाया है जिस पर भारत ने तीखी प्रतिक्रिया दी है. वहीं, फिलीपींस ने कहा है कि वो चीन के हालिया मैप को अस्वीकार करता है जो कई देशों के हिस्सों के चीनी क्षेत्र बता रहा है. फिलीपींस का साथ देते हुए मलेशिया ने भी चीन के नए मैप को खारिज कर दिया है जो उसके समुद्री क्षेत्र को अपना बता रहा है.

मलेशिया ने एक बयान में कहा है कि नया मैप चीन की आक्रामकता का एक रूप है. बुधवार को मलेशिया के विदेश मंत्रालय की तरफ से जारी एक बयान में कहा गया कि नए मैप में दक्षिण चीन सागर के मलेशिया के तट पर चीन ने अपना दावा पेश किया है.

मलेशिया के विदेश मंत्रालय ने चीन के दावों को खारिज करते हुए कहा कि उनका देश इस मैप को नहीं मानता है. बयान में दक्षिण चीन सागर मुद्दे को 'जटिल और संवेदनशील' बताते हुए कहा कि इस तरह के विवादों को बातचीत के माध्यम से शांतिपूर्ण और तर्कसंगत तरीके से सुलझाने की जरूरत है.

दक्षिण चीन सागर पर अपना दावा करता है चीन

चीन लगभग पूरे दक्षिण चीन सागर पर अपना दावा पेश करता है. दक्षिण चीन सागर व्यापार के लिहाज से बेहद अहम है क्योंकि इसके जरिए सलाना खरबों डॉलर का व्यापार होता है. एक अंतरराष्ट्रीय अदालत ने यह स्पष्ट कह दिया है क चीन के दक्षिण चीन सागर पर अधिकार के दावे का कोई कानूनी अधिकार नहीं है, बावजूद इसके चीन अपने दावे से पीछे नहीं हटा है.

दक्षिण चीन सागर के कुछ हिस्सों पर मलेशिया, फिलीपींस, वियतनाम और ब्रुनेई भी अपने-अपने दावे करते हैं. वहीं, अमेरिका भी अंतरराष्ट्रीय जल क्षेत्र में नेविगेशन की स्वतंत्रता का दावा करने के लिए दक्षिण चीन सागर के माध्यम से नौसेनिक जहाज भेजता रहता है.

चीन ने इसी हफ्ते 28 अगस्त को अपना 'स्टैंडर्ड मैप' जारी किया जिसमें उसने दक्षिण चीन सागर में एकतरफा दावे के सभी क्षेत्रों को शामिल किया है.

मलेशिया के विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा, 'मलेशिया दक्षिण चीन सागर में चीन के दावों को मान्यता नहीं देता है जैसा कि चीन के नए मैप में दिखाया गया है जो मलेशिया के समुद्री क्षेत्र को कवर करता है.'

साल 2021 में जब चीन के जहाज दक्षिण चीन सागर में मलेशिया के विशेष आर्थिक क्षेत्र में प्रवेश कर गए थे तब उसने चीनी राजदूत को तलब किया था.

मलेशिया का कहना है कि वह दक्षिण चीन सागर के जिस बोर्नियो द्वीप के उत्तर में अपना दावा करता है, उसमें Spratly द्वीप समूह के पांच मैरीटाइम फीचर हैं.

हाल के वर्षों में, चीन दक्षिण चीन सागर क्षेत्र में तेजी से कृत्रिम द्वीपों का विकास कर रहा है. चीन वहां सैन्य सुविधाएं और विमानों के उतरने के लिए रनवे का जाल बिछा रहा है.

फिलीपींस भी चीन के मैप पर भड़का

फिलीपींस ने चीन के स्टैंडर्ड मैप को यह कहते हुए अस्वीकार कर दिया है कि मैप में 10-डैश लाइन को शामिल कर उसे चीन हा हिस्सा बताया गया है. मैप में पश्चिम फिलीपीन सागर में फिलीपींस के विशेष आर्थिक क्षेत्र को भी चीन का हिस्सा बताते हुए शामिल किया गया है जिस पर फिलीपींस को सख्त आपत्ति है.

 

फिलीपींस के विदेश मंत्रालय की तरफ से गुरुवार सुबह जारी एक बयान में कहा गया, 'फिलीपींस के फैसेलिटी सेंटर और समुद्री क्षेत्रों पर चीन की कथित संप्रभुता और अधिकार क्षेत्र को वैध बनाने के इस कोशिश का अंतरराष्ट्रीय कानून, विशेष रूप से समुद्र के कानून पर 1982 के संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन के तहत कोई आधार नहीं है.

बयान में कहा गया कि फिलीपींस चीन से जिम्मेदारी से काम करने और अपने अंतरराष्ट्रीय कानूनों और संधियों के प्रति अपने दायित्वों का पालन करने का आह्वान करता है.

वहीं, चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन का कहना है कि स्टैंडर्ड मैप के 2023 को जारी करना 'कानून के अनुसार चीन की संप्रभुता का एक नियमित अभ्यास है.'

चीन के मैप पर भारत की कड़ी आपत्ति

चीन ने अपने स्टैंडर्ड मैप में अरुणाचल प्रदेश और अक्साई चिन को अपने हिस्से के रूप में दिखाया है. भारत ने मंगलवार को इस मैप को लेकर चीन से राजनयिक स्तर पर अपना विरोध जताया था.

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने मंगलवार देर रात एक बयान में कहा, 'हम इन दावों को खारिज करते हैं क्योंकि इनका कोई आधार नहीं है. चीन के ऐसे कदम सीमा विवाद के समाधान को और जटिल बनाते हैं.'

पिछले तीन सालों से सीमा विवाद के कारण भारत-चीन के रिश्तों में तनाव है और मैप विवाद ने इस तनाव को और बढ़ा दिया है.

भारत की तरफ से चीनी मैप के विरोध का समय भी काफी महत्वपूर्ण है क्योंकि उम्मीद है कि चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग जी-20 शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए सितंबर में भारत आएंगे.

विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी मंगलवार रात को एक टीवी इंटरव्यू में चीन के दावे को खारिज कर दिया. उन्होंने कहा, 'भारत के क्षेत्र पर बेतुके दावे करने से यह हमारा क्षेत्र चीन का क्षेत्र नहीं बन जाता.'

चीन अरुणाचल प्रदेश पर पहले भी अपने दावे पेश करता रहा है. वो राज्य में 90 हजार वर्ग किलोमीटर जमीन पर अपना दावा पेश करता है. वहीं भारत का कहना है कि चीन ने अक्साई चिन के 38 हजार वर्ग किलोमीटर क्षेत्र पर अवैध कब्जा किया है.