नई दिल्ली
चालू वित्त वर्ष (2023-2024) की अप्रैल-जून तिमाही के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) आंकड़े गुरुवार यानी आज जारी किए जाएंगे। एक्सपर्ट्स ने देश की जीडीपी ग्रोथ को 7.8-8.5 प्रतिशत के बीच रहने का अनुमान लगाया है। इक्रा रेटिंग्स के मुताबिक इस तिमाही के दौरान जीडीपी ग्रोथ बढ़कर 8.5 प्रतिशत रहने की उम्मीद है। इससे पिछली यानी जनवरी-मार्च की तिमाही के दौरान जीडीपी ग्रोथ 6.1 प्रतिशत रही थी।
RBI का अनुमान: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने अप्रैल-जून, 2023 की तिमाही में जीडीपी ग्रोथ 8.1 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया है। इस तरह इक्रा का अनुमान केंद्रीय बैंक के अनुमान से अधिक है। इक्रा ने वित्त वर्ष 2023-24 के लिए अपने वृद्धि अऩुमान को छह प्रतिशत पर बरकरार रखा है। यह आरबीआई के 6.5 प्रतिशत के अनुमान से कम है।
क्या हैं मजबूती के फैक्टर: न्यूज एजेंसी रॉयटर्स के मुताबिक अर्थशास्त्रियों का कहना है कि कमोडिटी की कम कीमतों ने मैन्युफैक्चरर्स को मार्जिन बढ़ाने और मई 2022 के बाद से ब्याज दर में 250 आधार अंकों की वृद्धि के प्रभाव को कम करने में मदद की है। भारत के सर्विस सेक्टर में मजबूत वृद्धि ने भी एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था को वैश्विक मंदी से उबरने में मदद की है। बात दें कि सर्विस सेक्टर में कमजोर परफॉर्मेंस की वजह से चीन सहित कई देशों की इकोनॉमी को लड़खड़ा दिया है।
एसएंडपी ग्लोबल इंडिया सर्विसेज परचेजिंग मैनेजर्स इंडेक्स लगभग दो वर्षों से वृद्धि को संकुचन से अलग करते हुए 50 अंक से ऊपर मजबूती से बना हुआ है, जो अगस्त 2011 के बाद से सबसे लंबी अवधि तक बरकरार है।
चालू खाते का घाटा कितना रहेगा: व्यापार घाटा कम होने के साथ भारत का चालू खाते का घाटा (कैड) अप्रैल-जून तिमाही में घटकर करीब 10 अरब डॉलर रहने की संभावना है, जो सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का एक प्रतिशत होगा। एक रिपोर्ट में यह आकलन पेश किया गया है। इंडिया रेटिंग्स ने रिपोर्ट में कहा कि चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में व्यापार घाटा कम होने से चालू खाते के घाटे में गिरावट आने का अनुमान है। पिछले साल की समान तिमाही में यह 18 अरब डॉलर यानी जीडीपी का 2.1 प्रतिशत था।
हालांकि, वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में रेटिंग एजेंसी को चालू खाते का घाटा बढ़ने की आशंका है। आठ तिमाहियों के बाद पहली बार वस्तु निर्यात जुलाई-सितंबर तिमाही में 100 अरब डॉलर के नीचे आ सकता है। इस अवधि में आयात 163 अरब डॉलर रहने का अनुमान है जिसमें कच्चे तेल की कीमतों में आई तेजी की बड़ी भूमिका है। ऐसी स्थिति में चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में व्यापार घाटा 64 अरब डॉलर तक पहुंच सकता है।