यूपी
यूपी के इकलौते नेशनल पार्क दुधवा में बाघ और तेंदुओं का ही नहीं, सांपों का भी संरक्षण किया जा रहा है। मानसून में बाढ़ के पानी में बहकर खतरे के इलाकों में पहुंचे सांपों को रेस्क्यू कर बचाया जा रहा है। इसके लिए बाकायदा टीमें बनी हैं। ये टीमें गांव ही नहीं शहरों में जाकर भी सांपों को बचाकर वापस जंगल मे छोड़ रही हैं। इस सीजन में अभी तक 115 सांपों को बचाकर सुरक्षित जगह छोड़ा जा चुका है।
खास हैं दुधवा के सांप भी
130 से ज्यादा बाघ और 100 के करीब तेंदुओं का ठिकाना बने दुधवा टाइगर रिजर्व के जंगल में सांपों की भी कई प्रजातियां पाई जाती हैं। यहां सांपों की अब तक 45 प्रजातियां गिनती में आई है। यह दुधवा टाइगर रिजर्व के अलग-अलग हिस्सों में रहती हैं। आमतौर पर बारिश के महीने में सांप पानी के साथ जंगल के बाहरी हिस्से में चले जाते हैं। इनमें से कई सांप शहरी क्षेत्र की तरफ भी रुख कर लेते हैं।
जहरीले नहीं, फिर भी मार देते हैं लोग
दुधवा टाइगर रिजर्व के उपनिदेशक डॉ. रंगाराजू टी का कहना है कि 45 प्रजातियों में से महज चार प्रजातियां जहरीली हैं। इसके बावजूद जब ये सांप इंसानी बस्तियों में पहुंचते हैं तो लोग इन पर हमलावर हो जाते हैं। इन हमलों में सांपों की जान चली जाती है। ऐसे में सांपों को बचाकर लाना वन विभाग की जिम्मेदारी है। उन्होंने बताया कि कई बार सांप पॉलिथीन या प्लास्टिक के धागों में लिपटे हुए मिले हैं, जिससे उनकी जान को खतरा बन गया। हमारी टीमें मौके पर पहुंच कर सांपों को न सिर्फ रेस्क्यू कर रही हैं बल्कि उनको वापस जंगल के ठिकानों पर छोड़ रही है।
125 सांपों की बचाई गई जान
वन विभाग के आंकड़े बता रहे कि महज दो माह में ही रिहायशी इलाकों से 125 जहरीले सांपों को रेस्कयू किया गया है। शहर की वीआईपी कालोनियों में शुमार काशीनगर, पंजाबी कालोनी, आवास विकास कालोनी में ही करीब 37 जहरीले सांपों को वन विभाग की टीम ने रेस्क्यू कर जंगल में छोड़ा है। बता दें कि खीरी जिले में जंगल और ग्रामीण क्षेत्र अधिक होने के चलते हर दिन चार से पांच घटनाएं सर्पदंश की हो जा रही हैं। इनमें से महज तीन से चार ही केस जिला अस्पताल इलाज के लिए आ रहे हैं।
112 डायल से आ रही सबसे अधिक सूचना
वन विभाग को सांप होने की जानकारी पुलिस की डायल 112 से आ रही है। वहीं कुछ ही लोग सीधे वन विभाग को इसकी सूचना दे रहे हैं। विभाग ने इंसानी बस्तियों से कोबरा, रसल वाइपर, रैडसेनवोआ अजगर को रेस्क्यू किया है। दुधवा टाइगर रिजर्व में तो सांपों को बचाने के लिए टीम गठित की गई है, लेकिन टाइगर रिजर्व के बाहर के जंगलों से सटी बस्तियों में वन विभाग का एक स्नेक कैचर ही काम कर रहा है।