Home राज्यों से हरियाणा और पंजाब में भी ताकत जुटा रहा INDIA, भाजपा के पुराने...

हरियाणा और पंजाब में भी ताकत जुटा रहा INDIA, भाजपा के पुराने दोस्तों को जोड़ने की तैयारी

7

हरियाणा
मुंबई में तीसरी मीटिंग की तैयारी में जुटा INDIA गठबंधन अपनी ताकत को और बढ़ाने में जुटा है। पटना में पहली मीटिंग में 18 दल थे और बेंगलुरु की मीटिंग में यह आंकड़ा 26 तक हो गया था। अब INDIA गठबंधन अपने कुनबे में विस्तार करते हुए कभी भाजपा के साथ रहे दलों को भी जोड़ने की तैयारी में है। ये दल हैं- पंजाब में अकाली दल और हरियाणा का इंडियन नेशनल लोकदल यानी इनेलो। खबर है कि नीतीश कुमार ने अकाली दल और इनेलो से संपर्क साधा है और उन्हें मुंबई की मीटिंग में आने का न्योता दिया है। इनेलो और अकाली दल के बीच हमेशा से अच्छे रिश्ते रहे हैं।

इसकी वजह यह है कि ओमप्रकाश चौटाला और बादल परिवार करीब रहे हैं। ऐसे में अकाली दल और इनेलो एक साथ ही किसी गठबंधन में जाएं तो कोई हैरानी नहीं होगी। दोनों दल पहले भी एक साथ एनडीए का हिस्सा रह चुके हैं। यही नहीं हरियाणा में भी शक्ति प्रदर्शन की तैयारी है। 25 सितंबर को चौटाला के पिता और पूर्व डिप्टी पीएम देवी लाल की जयंती है। इस मौके पर कैथल जिले में बड़े आयोजन की तैयारी है। इसमें तेजस्वी यादव और अकाली दल के नेता सुखबीर सिंह बादल भी शामिल होने वाले हैं।

बता दें कि रविवार को ही नीतीश कुमार ने कहा था कि कुछ और दल ऐसे हैं, जो मुंबई की मीटिंग में हमारे साथ होंगे। अकाली दल किसान आंदोलन के दौरान भाजपा से अलग हो गया था। यही नहीं पंजाब के विधानसभा चुनाव में भी दोनों के बीच एकता नहीं हो पाई थी। अकाली दल ने बसपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ा था, लेकिन सफलता नहीं मिली थी। सुखबीर बादल और प्रकाश सिंह बादल जैसे नेता भी अपनी सीटें गंवा बैठे। ऐसे में अकाली दल को भी एक साथी की जरूरत है, लेकिन INDIA में वह कितना फिट हो पाएगा, यह देखने वाली बात होगी।

इसकी वजह यह है कि पंजाब में उसकी लड़ाई परंपरागत रूप से कांग्रेस से रही है और अब आम आदमी पार्टी सत्ता में है। दोनों ही एनडीए में भी हैं। इसलिए INDIA में अकाली दल की एंट्री का पंजाब में क्या असर होगा और कैसे गठबंधन एवं सीट शेयरिंग पर बात होगी। यह मायने रखेगा। गौरतलब है कि शिवसेना और अकाली दल एनडीए के सबसे पुराने घटक दलों में से एक रहे हैं। शिवसेना का एक गुट भाजपा के संग है तो दूसरा खिलाफ है। वहीं अकाली दल अब भाजपा के साथ न जाने की बात ही कर रहा है।