नूंह
सावन महीने के आखिरी सोमवार को नूंह में बृजमंडल यात्रा निकलने के दौरान दोबारा माहौल खराब होने की आशंका थी, जिसका असर सितंबर के पहले सप्ताह में आयोजित होने वाली जी-20 मीटिंग पर पड़ सकता था। ऐसी खुफिया रिपोर्ट के आधार पर हरियाणा सरकार ने बृजमंडल शोभा यात्रा निकलने के लिए मंजूरी नहीं दी और जलाभिषेक की इजाजत देकर अधूरी यात्रा को पूरा करवाकर मामले को शांत किया गया। मीडिया रिपोर्ट और पुलिस सूत्रों की मानें तो नूंह के पुलिस अधीक्षक नरेंद्र बिजरानिया ने जिला प्रशासन को 22 अगस्त को एक रिपोर्ट सौंपी। इसमें यात्रा को अनुमित नहीं देने के कई कारण बताए गए हैं। उपायुक्त धीरेंद्र खड़गटा को नूंह हिंसा में अभी तक दर्ज एफआईआर के साथ गिरफ्तार आरोपियों के बयान की कॉपी भी सौंपी थी। इसमें बताया गया कि पुलिस हिंसा की जांच में कहां तक पहुंची है। उनका कहना था कि वह हिंसा के मास्टरमाइंड के काफी करीब हैं। मीडिया रिपोर्ट के मुबाबिक, पुलिस अधीक्षक ने अपनी रिपोर्ट को तीन हिस्सों में बांटा था।
मास्टरमांइड की जानकारी जुटा रही पुलिस
पुलिस के अनुसार, नूंह हिंसा में पुलिस ने अबतक 61 मुकदमे दर्ज किए हैं। 292 लोगों को गिरफ्तार किया गया। इसके अलावा सोशल मीडिया पर अफवाह फैलाने के मामले में भी 11 मुकदमे के साथ एक आरोपी गिरफ्तार किया गया है। बताया जा रहा है कि पुलिस गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ कर मास्टरमाइंड की जानकारी जुटा रही है। हिंसा में शामिल लोगों का आकलन कर रही है।
मोनू मानेसर को लेकर अभी भी लोगों में गुस्सा
सूत्रों के अनुसार, पुलिस अधीक्षक की रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि स्थानीय लोगों में मोनू मानेसर को लेकर गुस्सा है। उसकी गिरफ्तारी नहीं होने से लोगों में रोष है। बिट्टू बजरंगी की गिरफ्तारी को लोग ज्यादा तवज्जो नहीं दे रहे।
हिंसा वाले स्थानों पर रही अतिरिक्त मुस्तैदी
बता दें कि, नूंह में 31 जुलाई को बृजमंडल यात्रा के दौरान भड़की हिंसा से प्रशासन और पुलिस ने बड़ी सीख ली है। लिहाजा सोमवार को पुलिस उन जगहों पर ज्यादा मुस्तैद दिखी, जहां से हिंसा भड़की। पुलिस तिरंगा चौक से लेकर अंबेडकर चौक, नल्हड़ आदि स्थानों पर ड्रोन और दूरबीन से निगरानी कर रही थी। पुलिस तिरंगा चौक के आसपास के घरों और छतों पर नजर बनाई थी। आलम यह रहा कि सोमवार सुबह से दोपहर तक लोग छतों पर तक नहीं आए। गौरतलब है कि 31 जुलाई को नूंह में तिरंगा चौक से ही हिंसा भड़की थी। उपद्रपियों ने बृज मंडल यात्रा में शामिल लोगों पर छतों से पथराव किए थे। इसके बाद हिंसा जगह-जगह फैल गई थी। हालत यह हो गया कि जबतक दूसरे जिलों से पुलिस नहीं पहुंची, नूंह जलता रहा। छह घंटे में उपद्रवियों ने 100 से अधिक वाहनों को आग के हवाले कर दिया। साथ ही साइबर थाना समेत दिल्ली-मुंबई एक्सप्रेस-वे, दिल्ली-अलवर हाईवे स्थानों पर तोड़फोड़ और आगजनी की गई। हिंसा में दो होम गार्ड समेत छह लोगों (दो गुरुग्राम) की मौत हो गई।
विहिप, संघ से जुड़े कई लोग नजरबंद किए
वहीं, सुरक्षा के मद्देनजर सोमवार को गुरुग्राम पुलिस ने विहिप, संघ समेत अन्य हिंदू संगठनों से जुड़े कई लोगों को नजरबंद रखा। घर से बाहर जाने की इजाजत नहीं दी गई। सोमवार सुबह करीब 826 बजे ही समस्त हिंदू संगठन के नेता कुलभूषण भारद्वाज के पुराने डीएलएफ घर के बाहर गुरुग्राम पुलिस की एक पीसीआर पहुंच गई। शाम करीब 4.30 बजे तक पुलिसकर्मी वहां जमे रहे। कुलभूषण भारद्वाज को घर से नहीं निकलने दिया गया। इस पर उन्होंने कड़ी आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि हरियाणा सरकार ने हिंदू नेताओं को नजरबंद करके उन्हें मुगलों के शासनकाल की याद दिला दी है। यह सीधे तौर पर हिंदुओं की आस्था पर हमला है और समय आने पर हिंदू समाज इस मनमानी का करारा जवाब देगा। एक अन्य विहिप नेता ने बताया कि बृजमंडल यात्रा में शामिल होने से रोकने के लिए कई हिंदू नेताओं को नजरबंद किया गया है। इसके अलावा विश्व हिंदू तख्त प्रमुख वीरेश शांडिल्य को भी उनके अम्बाला स्थित आवास पर नजरबंद रखा गया। इससे पहले पुलिस ने नोटिस जारी किया, जिसमें लिखा गया है कि 31 जुलाई को नूंह हिंसा के मद्देनजर आप न तो बृजमंडल यात्रा में शामिल होंगे और न ही इसके लिए किसी को बताएंगे।