मुजफ्फरपुर
कोसी में बढ़े पानी ने सहरसा और सुपौल की करीब 43 पंचायतों को अपनी चपेट में ले लिया है। सुपौल के पांच प्रखंड की 27 पंचायत और सहरसा के चार प्रखंडों की 16 पंचायतों में बाढ़ का पानी फैला हुआ है। सुपौल के प्रभारी पदाधिकारी आपदा ने बताया कि करीब 80 हजार की आबादी प्रभावित हुई है। 30 सामुदायिक किचेन खोले गये हैं। मेडिकल कैम्प शुरू कर दिया गया है। वहीं सहरसा में नवहट्टा, सिमरी बख्तियारपुर, महिषी और सलुखआ प्रखंड में पानी घुसने करीब दो लाख आबादी बाढ़ की चपेट में आ गयी है। तटबंध के अंदर जलमग्न होने से एक गांव से दूसरे गांव का सड़क संपर्क भंग हो गया है। कई जगह पुल के ध्वस्त होने से भी आवागमन प्रभावित होने लगा है।
बाढ़ के खौफ से रतरगा को मजबूर ग्रामीण
अररिया में भी बहने वाली नूना, बकरा, कनकई, परमान, रतवा आदि नदियों का जलस्तर स्थिर है। बाढ़ व कटाव की आशंका से नदी किनारे के लोग रतजगा करने को विवश हैं। जिला आपदा पदाधिकारी विजय कुमार ने बताया फिलहाल जिले में बाढ़ की कोई संभावना नहीं है। कटिहार में महानंदा खतरे के निशान से 43 सेंटीमीटर ऊपर जाने के बाद ठहर गया है। गंगा, कारी कोसी, कोसी नदी के जलस्तर में बढ़ोतरी दर्ज की गई है। गंगा 7 और कोसी के जलस्तर में करीब 9 सेंटीमीटर की बढ़ोतरी देखी गई है । बाढ़ नियंत्रण विभाग की अधीक्षक अभियंता अरुण कुमार ने बताया कि महानंदा नदी का जलस्तर पांच बिंदुओं पर खतरे के निशान से ऊपर आने के बाद रविवार को स्थिर हो गया है। स्थिति फिलहाल नियंत्रण में है।
उफान पर कोसी नदी, बाढ़ पर नजर
वहीं, वीरपुर बरोज पर कोसी का डिस्चार्ज शुक्रवार रात की अपेक्षा आधा होने से राहत मिली है। शुक्रवार की रात 10 बजे कोसी का डिस्चार्ज 4 लाख 14 हजार 60 क्यूसेक के पास पहुंच गया था। जो इस साल का दूसरा अधिकतम डिस्चार्ज था। हालांकि रविवार की सुबह 6 बजे कोसी बराज पर जलस्तर घटते क्रम में 2 लाख 24 हजार 510 क्यूसेक रिकॉर्ड किया गया। शाम 4 बजे 2 लाख 54 हजार 355 क्यूसेक रिकॉर्ड किया गया। बाढ़ नियंत्रण कक्ष से मिली जानकारी के अनुसार भारत और नेपाल परिक्षेत्र के कई नाजुक बिन्दुओं पर कोसी नदी का दबाव बरकरार है। बाढ़ संघर्षात्मक कार्य कराए जा रहे हैं। कोसी के दोनों तटबंध अपने सभी अवयवों के साथ पूरी तरह सुरक्षित हैं।
गंडक नदी का भी बढ़ा जलस्तर
चार दिनों से हो रही बारिश के कारण नदियां उफना गई हैं। नदियों के बढ़ते जलस्तर के कारण मिथिलांचल और चंपारण के गांवों में पानी घुस गया है। कई जगह सड़क यातायात प्रभावित हो गया है। कई गांवों का सड़क संपर्क जिला मुख्यालयों से कट गया है। पश्चिम चंपारण के से गुजरने वाली गंडक, सिकरहना समेत पहाड़ी नदियों का जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। वाल्मीकि बराज से रविवार शाम 1.88 लाख क्यूसेक पानी छोड़ा गया। बगहा-वाल्मीकिनगर पथ पर भपसा नदी का पानी चढ़ गया।
वीटीआर के जंगलों में बाढ़ जैसे हालात
वीटीआर के जंगलों में पहाड़ी नदियों का पानी फैलने लगा है। बगहा की रूपवलिया पंचायत के तारा बसवरिया गांव को कटहा नदी से बचाने के कटाव से बचाव के लिए बनाया गया गाइड बांध शनिवार रात ध्वस्त हो गया। इससे डेढ़ सौ घरों में पानी घुस गया। पूर्वी चंपारण जिले में के संग्रामपुर व सुगौली में सिकरहना नदी के बाढ़ का पानी फैलने लगा है। संग्रामपुर प्रखंड के पुछरिया मार्ग पर दो फीट पानी बह रहा है। सुगौली में सिकरहना नदी के जलस्तर में वृद्धि से लालपरसा गांव के निकट ध्वस्त बांध से निचले हिस्से में पानी फैलने लगा है। पानी के तेज बहाव से सिकरहना नदी के किनारे लालपरवा गांव में कटाव शुरू हो गया है।
मोतिहारी-शिवहर मार्ग पर आवागमन ठप
पताही प्रखंड में तीसरे दिन रविवार को मोतिहारी-शिवहर पथ पर आवागमन ठप है। वहीं दरभंगा के कुशेश्वरस्थान पूर्वी प्रखंड के कई गांवों में कमला बलान नदी का पानी घुस गया है। । सीतामढ़ी में बागमती सहित अधवारा समूह की नदियों के जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर है। मधुबनी जिले में कोसी, भुतही तथा कमला बलान नदी के जलस्तर में रविवार को वृद्धि नहीं हुई। जल संसाधन मंत्री संजय झा ने भी रविवार को झंझारपुर में कमला नदी के बनौर गांव स्थित तटबंध का निरीक्षण किया।