उज्जैन
आज सावन सोमवार है। इस बार सोम प्रदोष का संयोग भी बना है। उज्जैन स्थित महाकाल मंदिर भगवान शिव के जयकारों से गूंज रहा है। तड़के 2.30 बजे मंदिर के पट खोले गए। सबसे पहले भगवान महाकाल को भस्म अर्पित कर पंचामृत अभिषेक पूजन किया गया। भांग, चंदन, अबीर के साथ मस्तक पर त्रिपुंड और आभूषण अर्पित किए गए। दिव्य श्रृंगार कर भस्म आरती हुई।
भस्म आरती के लिए रात 12 बजे से भक्त कतार में लगना शुरू हो गए थे। शाम 4 बजे महाकाल की 8वीं सवारी निकाली जाएगी। भगवान महाकालेश्वर रजत पालकी में श्री चंद्रमौलेश्वर के रूप में विराजित होंगे। 4 लाख से अधिक भक्तों के पहुंचने की उम्मीद है।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी उज्जैन पहुंचेंगे। वे यहां सुबह पहुंचकर सबसे पहले बाबा महाकाल के दर्शन करेंगे। इसके बाद महाकाल लोक के दूसरे चरण के कार्य को देखने के साथ सप्त ऋषियों की नई मूर्तियों का अनावरण भी कर सकते हैं। ये मूर्तियां इसी महीने मुंबई से बनकर आई हैं।
भांग, चंदन अबीर से दिव्य स्वरूप में श्रृंगार
भस्म आरती में भगवान महाकाल का पहला पूजन किया गया। पुजारी ने गर्भगृह में स्थापित प्रतिमाओं का जलाभिषेक किया। इसके बाद दूध, दही, घी, शक्कर और शहद से बने पंचामृत से भगवान महाकाल का पूजन किया। हरि ओम जल चढ़ाकर कपूर आरती की। भांग, चंदन अबीर से महाकाल का दिव्य स्वरूप में श्रृंगार किया गया। इसके बाद कपड़े से ढांक कर भस्मी रमाई गई। आखिर में विशेष भस्म आरती की गई।
सावन की अंतिम सवारी आज
28 अगस्त को बाबा महाकाल की 8वीं सवारी मंदिर से शाम 4 बजे निकाली जाएगी। इस दौरान भगवान महाकालेश्वर रजत पालकी में श्री चंद्रमौलेश्वर के रूप में विराजित होंगे। हाथी पर श्री मनमहेश, गरुड़ रथ पर शिव तांडव, नंदी रथ पर उमा-महेश, डोल रथ पर होलकर स्टेट के मुखारविंद, नवीन रथ पर घटाटोप स्वरूप और दूसरे नवीन रथ पर श्री जटाशंकर और रथ पर नए स्वरूप श्री रुद्रेश्वर नया सप्तधान मुखारविंद शामिल होगा। अब भादौ महीने की दो सवारी 4 सितंबर और अंतिम शाही सवारी 11 सितंबर को निकलेगी।