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तोहफे में देते हैं कफन, यूपी के इस जिले में गजब है मुस्लिम समाज में परंपरा, जानिए वजह

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सिद्धार्थनगर

यूपी के एक जिले में लोग जीते जी अपने व परिवार के लिए कफन खरीद कर रख लेते हैं। साथ ही दोस्तों-रिश्तेदारों को भी तोहफे में कफन देते हैं। सभी इसे खुशी-खुशी कबूल भी करते हैं। जी हां! यह सोलह आने सच है। सिद्धार्थनगर के हल्लौर गांव में यह परंपरा अरसे से चली आ रही है। शिया समुदाय में ज्यादातर परिवारों ने जिंदा रहते ही अपने लिए कफन खरीद कर रख लिया है।

दरअसल, यह कफन होता तो आम कपड़ा ही है। लेकिन इस्लाम धर्म के आखिरी पैगम्बर हजरत मुहम्मद मुस्तफा सललल्लाहो अलै. वसल्लम के नवासे हजरत इमाम हुसैन की पाक सरजमीन कर्बला से आने की वजह से यह कफन खास हो जाता है। शिया समुदाय के लोग जब हज या कर्बला की जियारत के लिए जाते हैं तो वह वहां से कुछ लाएं या न लाएं पर कफन अपने व अपने परिवार के लिए लाना नहीं भूलते हैं। जिले के शिया बहुल हल्लौर, भटगंवा आदि कस्बों के करीब-करीब हर घर में लोगों ने अपने लिए कफन खरीद कर रख लिए हैं।

हल्लौर निवासी अफसर रिजवी कहते हैं न जाने कितने लोग हैं जिन्होंने जीते जी कफन खरीद कर रख लिया है। इनका मानना है कि उनका कफन ऐसी मुकद्दस सरजमीं से आया है, जहां इमाम हुसैन ने इस्लाम की खातिर अपने जान की कुर्बानी दी थी। वह कहते हैं कि हम लोग भी हर वक्त कफन साथ रख कर तैयार रहते हैं, जब भी इस्लाम को जरूरत होगी वह पीछे नहीं हटेंगे। ऐसा नहीं है कि बुजुर्ग ही अपने लिए कफन खरीद कर लाते हैं। युवा भी इसे खरीद कर रखने में पीछे नहीं हैं। तमाम युवा ऐसे हैं जिन्होंने भी अपने लिए कफन मंगा कर रख लिया है।  

खुशी से कबूल करते हैं तोहफा
अमूमन लोग रोजमर्रा की जिंदगी में इस्तेमाल होने वाले सामानों का तोहफा देते हैं। लेकिन शिया समुदाय के लोग कर्बला से लाए गए कफन को अपने करीबियों को तोहफे में देते हैं। इस तोहफे को लोग न सिर्फ खुशी-खुशी कबूल करते हैं बल्कि उसे पाकर फूले नहीं समाते हैं। कुछ ऐसे भी होते हैं जो फरमाइश कर कफन मंगाते हैं।  

लिखा होता है कलाम, इसलिए है खास मान्यता
कर्बला से लाए गए कफन पर दुआएं लिखी होती हैं। यहां में बिकने वाले कफन बिल्कुल कोरे होते हैं। दुआओं के लिखे होने से लोगों को मानना है कि इससे कब्र के अजाब से निजात तो मिलती ही है जन्नत भी नसीब होती है।  महिलाओं के लिए 16 मीटर और पुरुषों के लिए 15 मीटर का कफन लगता है। कर्बला से लाते समय वहां के दुकानदार सात फीट कफन प्रसाद स्वरूप अपनी ओर से दे देते हैं।