मुंबई
इंसान प्रतिभा, परिश्रम और लगन से किसी एक क्षेत्र में खास मुकाम हासिल करता है। लेकिन अगर कोई इंसान अलग-अलग क्षेत्र में हाथ डाले और उनमें अलग-अलग खास मुकाम बनाता चले तो उन्हें हम गुलजार ही कहेंगे। अगर आप गुलजार के काम का दायरा देखें तो यह यकीन नहीं होता कि एक ऐसा शख़्स है, जो इतनी सारी विधाओं में लगातार काम कर रहा है।
बिना थके और बिना खुद को दोहराए। काम भी ऐसा कि कहीं कोई झोल नहीं। ऐसा कम ही होता है लेकिन गुलजार इसमें कभी चूके नहीं। इस उम्र में भी वो सक्रिय हैं और लगभग छह दशक के लंबे अंतराल में बदलते दौर और युवा पीढ़ी की उमंग, दोनों को गुलजार ठीक-ठीक मापते रहे। जिस बॉलीवुड में हर शुक्रवार को सितारे डूबते-चढ़ते हों, वहीं छह दशक तक खूंटे जमाए रखना कोई हंसी ठठ्ठा तो नहीं ही है। गुलजार के पूरे जीवन में ये साफ नजर आता है कि समय के साथ वे खुद को बदलते रहे। उनका फोकस कभी डगमगाता नहीं दिखा, वह भी तब जब उनके अपने जीवन में 'आंधी' आ गई थी। दरअसल, आज से यही कोई 50 साल पहले 18 अप्रैल, 1973 को गुलजार और राखी ने आपस में प्रेम विवाह किया था। इस शादी में उस वक़्त की भारतीय सिनेमाई दुनिया के तमाम दिग्गज शरीक हुए थे।
गुलजार की बेटी और फिल्मकार मेघना गुलजार ने अपने पिता के जीवन पर किताब लिखी है, ‘बिकाउज ही इज .’। इसमें मेघना ने बताया है कि किस तरह से सुनील दत्त राखी के भाई बने थे और एसडी बर्मन और जीपी सिप्पी परिवार की देखरेख में ये शादी संपन्न हुई थी। मेघना ने, मां राखी और पिता गुलजार दोनों की 1968 में हुई पहली मुलाकात से लेकर अलग होने तक का विवरण लिखा है। दिलचस्प ये है कि पांच साल की कोर्टशिप के बाद हुई शादी महज एक साल ही चल पायी और 1974 में राखी और गुलजार दोनों की राहें अलग हो गईं।