नईदिल्ली
श्रीलंका ट्रिप पर न्यूज एंकर कनुप्रिया सहगल, उनके बेटे और पिता की मौत मामले में कंज्यूमर फोरम ने 50 लाख रूपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है। फोरम ने थॉमस कुक और रेड एप्पल ट्रैवेल एजेंसियों को लापरवाही बरतने का दोषी पाया है और कनुप्रिया के परिवार को मुआवजा देने का आदेश दिया है।
एनडीटीवी में उस समय एंकर कनुप्रिया सहगल दिसंबर 2019 में अपने परिवार के साथ श्रीलंका ट्रिप पर गई हुई थीं। ट्रिप के लिए उन्होंने बुकिंग और वहां की पूरी व्यवस्था थॉमस कुक एंड रेड एप्पल ट्रैवेल एजेंसी के जरिये की थी। कोलंबो में यात्रा के दौरान उनकी वैन कंटेनर ट्रक से टकरा गई। हादसे में कनुप्रिया, उनके बेटे श्रेय सहगल और पिता प्रसिद्ध हिंदी साहित्यकार गंगा प्रसाद विमल की मृत्यु हो गई थी। एक्सीडेंट में वैन के 52 वर्षीय ड्राइवर की भी जान चली गई थी। जबकि उनके पति योगेश सहगल और उनकी बेटी ऐश्वर्या सहगल को गंभीर चोटें आई थीं और गनीमत रही कि वे बच गए।
ट्रैवेल एजेंसी पर कथित तौर पर लापरवाही बरतने के आरोप में कनुप्रिया के पति योगेश सहगल ने कंज्यूमर फोरम में मामला दर्ज कराया था। उन्होंने सेवाओं में लापरवाही और कमी, अनुचित तरीके से ग्राहकों को फंसाने, भ्रामक विज्ञापनों और कानूनी कार्यवाही की लागत के आधार पर अपील की थी और 8.99 करोड़ मुआवजे की मांग की थी।पूरे घटनाक्रम में तकरीबन 4 साल बाद फोरम ने ट्रैवेल एजेंसी को मुआवजा देने का आदेश का आदेश दिया है।
उपभोक्ता अदालत ने अपने आदेश में कहा कि ट्रैवेल एजेंसी कि लापरवाही के चलते हादसा हुआ था और उन्हें यह कहकर इसकी जिम्मेदारी और संबंधित दायित्व से बचने की अनुमति नहीं दी जा सकती है कि यह केवल बुकिंग थी और इस प्रकार कि घटना के लिए कोई प्रावधान नहीं था।
अपनी शिकायत में, सहगल ने कहा था कि वह अपनी पत्नी और बेटे के अंतिम संस्कार में शामिल नहीं हो पाए क्योंकि उन्हें कई फ्रैक्चर हुए थे और वह श्रीलंका के एक अस्पताल में भर्ती थे। अपने पति और अपनी बेटी को हादसे में खोने से उनकी सास पर बहुत गहरा असर पड़ा क्योंकि वह शारीरिक और मानसिक रूप से विकलांग हैं। वहीं, उनकी बेटी गंभीर मानसिक आघात से जूझ रही है। वह सामान्य रूप से चलने में असमर्थ है और हादसे के बाद उसे सोने या सामाजिक रूप से बातचीत करने में उसे कठिनाई होती है।
फोरम ने कहा कि ट्रैवल एजेंसियों को तीन महीने के भीतर 50 लाख रुपये का मुआवजा "संयुक्त और अलग-अलग" देना होगा, ऐसा न करने पर उन्हें 10 लाख रुपये और देने होंगे।