नईदिल्ली
भारतीय शेयर बाजार विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों (FPI) को खूब लूभा रहा है. इस महीने यानी अगस्त 2023 के 18 दिनों में ही विदेशी निवेशकों ने भारतीय बाजारों में करीब 8400 करोड़ रुपये का निवेश किया है. अमेरिका और चीन की आर्थिक मोर्चे पर पतली हालत के बाद भारतीय बाजार विदेशी निवेशकों को कमाई के लिहाज से उपयुक्त लग रहा है. यही कारण है कि एफपीआई ने पिछले तीन महीनों (मई, जून और जुलाई) में हर महीने 40,000 करोड़ रुपये से अधिक पैसा भारतीय शेयर बाजार में लगाया है. अगर पिछले छह महीनों की बात की जाए तो बीएसई सेंसेक्स में 7 फीसदी से ज्यादा का उछाल आया है. जबकि, साल 2023 में अब तक सेंसेक्स ने 6.32 फीसदी रिटर्न दिया है. आज 21 अगस्त 2023 को भी समाचार लिखे जाने तक सेंसेक्स 0.13 फीसदी की मामूली तेजी के साथ 65035.69 के स्तर पर कारोबार कर रहा था.
वैश्विक बाजारों में अनिश्चितता, चीन में आर्थिक चिंताओं और घरेलू अर्थव्यवस्था की स्थिरता के बीच विदेशी निवेशकों ने लिवाली की है. अगर आंकड़ों पर नजर दौड़ाएं तो पता चलता है कि एफपीआई ने 1-18 अगस्त के दौरान भारतीय इक्विटी में शुद्ध रूप से 8,394 करोड़ रुपये का निवेश किया. बता दें कि अगस्त के पहले सप्ताह में फिच द्वारा अमेरिका की क्रेडिट रेटिंग घटाने के बाद एफपीआई ने भारतीय इक्विटी से 2,000 करोड़ रुपये से अधिक की निकासी की.
क्यों बुलिश हैं एफपीआई?
मनीकंट्रोल की एक रिपोर्ट के अनुसार, मॉर्निंगस्टार इंडिया के एसोसिएट डायरेक्टर – मैनेजर रिसर्च, हिमांशु श्रीवास्तव का कहना है कि वैश्विक बाजार में अनिश्चितता और चीन में आर्थिक चिंताओं के कारण एफपीआई का रुख भारतीय बाजार की ओर हो गया है. उन्होंने कहा कि जून तिमाही में उम्मीद से बढ़कर कमाई से भारतीय बाजार के लिए विदेशी निवेशकों का सेंटीमेंट पॉजिटिव हुआ है.
कोटक सिक्योरिटीज के इक्विटी रिसर्च हेड श्रीकांत चौहान का कहना है कि चीन से मांग में कमी के कारण वैश्विक आर्थिक माहौल चुनौतीपूर्ण हो रहा है. वैश्विक शेयर बाजार में कोई भी कमजोरी स्थानीय शेयरों में भारी उतार-चढ़ाव ला सकती है. इससे एफपीआई का प्रवाह अस्थिर हो सकता है.
5 महीनों तक लगातार निवेश
मार्च से जुलाई तक पिछले पांच महीनों में भारतीय इक्विटी में बेरोकटोक एफपीआई निवेश देखा गया. एफपीआई ने पिछले तीन महीनों (मई, जून और जुलाई) में हर महीने 40,000 करोड़ रुपये से अधिक का भारतीय बाजारों में किया है. जुलाई में विदेशी निवेशकों ने 46,618 करोड़ रुपये, जून में 47,148 करोड़ रुपये और मई में 43,838 करोड़ रुपये लगाए.