नई दिल्ली.
रूस का स्पेस मिशन लूना-25 रविवार को चांद की सतह पर लैंड करने से ठीक पहले क्रैश हो गया। इससे पहले बीते दिन लूना-25 में कोई टेक्निकल गड़बड़ी आ गई थी। रूसी स्पेस एजेंसी को पूरा विश्वास था कि उसका मून मिशन सफल रहेगा, लेकिन ऐसा हो नहीं सका। सोमवार से बुधवार के बीच में लूना-25 को लैंड करवाया जाना था। सबसे ज्यादा संभावना अगले 24 घंटे के भीतर ही थी। रूसी स्पेस एजेंसी ने कहा कि उसका लूना-25 अंतरिक्ष यान चंद्रमा पर दुर्घटनाग्रस्त हो गया है। एजेंसी 'रोसकॉसमॉस' ने यान के क्रैश होने की वजह भी बताई है। उसने बताया है कि उसका मानवरहित रोबोट लैंडर कक्षा में अनियंत्रित होने के बाद चंद्रमा से टकरा गया। रोसकॉसमॉस ने कहा, ''यान अपूर्वानुमेय कक्षा में चला गया और इसकी वजह से यह चांद की सतह से टकरा गया।''
भारत से चांद की रेस हार गया रूस
रूस से पहले भारत ने पिछले महीने 14 जुलाई को अपना तीसरा चंद्र मिशन चंद्रयान-3 भेजा था। यह पृथ्वी और चंद्रमा के चारों ओर चक्कर लगाते हुए चांद की सतह के करीब पहुंच चुका है। चार साल पहले साल 2019 में भी भारत ने चंद्रयान-2 लॉन्च किया था, लेकिन सतह पर लैंडिंग से ठीक पहले मिशन सफल नहीं हो सका था। इस बार इसरो के वैज्ञानिकों ने तीसरे मिशन को सक्सेसफुल बनाने के लिए दिन-रात एक कर दिए हैं। उधर, 10 अगस्त को रूसी स्पेस एजेंसी रोसकॉसमॉस ने भी अपना चांद मिशन लूना-25 भेज दिया। चंद्रयान-3 के बाद में भेजे जाने के बावजूद भी इसकी लैंडिंग पहले होनी थी। जहां भारत का चंद्रयान-3 23 अगस्त को शाम छह बजकर चार मिनट पर चंद्रमा की सतह पर उतरेगा, वहीं संभावना थी कि लूना-25 सोमवार को लैंड कर सकता है। लेकिन शनिवार को अचानक आई गड़बड़ी के बाद रविवार को चांद की सतह से टकराने के बाद लूना-25 चंद्रयान-3 से रेस हार गया।
47 साल बाद रूस ने लॉन्च किया था मून मिशन
रूस ने 1976 के सोवियत काल के बाद पहली बार इस महीने की शुरुआत में अपना चंद्र मिशन भेजा था। लूना-25 का भार 1,750 किलोग्राम था। चंद्रयान-3 की तुलना में कम वजन के चलते लूना-25 ईंधन भंडारण क्षमता और ईंधन दक्षता से जुड़ी चिंताओं को दूर करता है, जिसकी वजह से यह सीधे चांद की ओर बढ़ सका, जबकि भारत का चंद्रयान-3 ने चंद्रमा तक पहुंचने के लिए घुमावदार रास्ते को चुना। लूना-25 का क्रैश होना रूस के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है। दरअसल, पिछले लंबे समय से रूस कई मोर्चों पर लड़ाई लड़ रहा है, जहां पर उसे आर्थिक रूस से भी नुकसान झेलना पड़ रहा है। पिछले साल की शुरुआत में रूस और यूक्रेन के बीच युद्ध छिड़ गया, जिससे अमेरिका समेत तमाम पश्चिमी देश उसके खिलाफ हो गए। तमाम प्रतिबंधों की वजह से रूस को बड़ा आर्थिक नुकसान हुआ। हालांकि, इसके बावजूद भी 47 सालों के बाद अपना मून मिशन लूना-25 को लॉन्च किया, लेकिन सतह पर उतरने से ठीक पहले वह भी क्रैश हो गया।
इसरो को चंद्रयान-3 की सॉफ्ट लैंडिंग की पूरी उम्मीद
रूस के लूना-25 के क्रैश होने के बीच इसरो को पूरी उम्मीद है कि उसका चंद्रयान-3 सफल होगा। 23 अगस्त की शाम छह बजकर चार मिनट पर चांद के दक्षिणी ध्रुव पर लैंडिंग करवाई जाएगी। इस बार चंद्रयान में इंजन समेत तमाम तरह के बदलाव किए गए हैं, जिससे पिछले मिशन की तरह इसका अंजाम नहीं हो। जब से चंद्रयान-3 को लॉन्च किया गया है, तब से अब तक यह पूरी तरह से सफल साबित रहा है। फिर चाहे पृथ्वी की कक्षा के चक्कर लगाना हो या फिर डिबूस्टिंग हो। महीनेभर से ज्यादा समय तक सबकुछ सही रहने से भी इसरो वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि लैंडिंग के दौरान भी इसमें कोई दिक्कत नहीं आएगी। चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव को लेकर वैज्ञानिकों की विशेष रुचि है जिसके बारे में माना जाता है कि वहां बने गड्ढे हमेशा अंधेरे में रहते हैं और उनमें पानी होने की उम्मीद है। चट्टानों में जमी अवस्था में मौजूद पानी का इस्तेमाल भविष्य में अंतरिक्ष यात्रियों के लिए वायु और रॉकेट के ईंधन के रूप में किया जा सकता है।