भोपाल
केंद्रीय मंत्री एवं चुनाव प्रबंधन समिति के संयोजक नरेंद्र सिंह तोमर के बयान के बाद से संकेत मिला है कि इस बार भाजपा के टिकट चयन में सिर्फ और सिर्फ जीत का ही एक मात्र फार्मूला होगा। इसके लिए परिवारवाद के क्राइटेरिया में शिथिलता दी जाने की अब संभावनाएं बढ़ गई है। इसके साथ ही भाजपा के बड़े नेताओं के पुत्र-पुत्रियों की संख्या से भाजपा की टीम फैमेली 11 बनने की संभावना बन गई है।
प्रदेश भाजपा में ऐसे कई नेता हैं, जो अब अपनी राजनीतिक विरासत को आगे बढ़ाना चाहते हैं। इनमें प्रदेश सरकार में शामिल कई मंत्री तो हैं ही। केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर भी ऐसे नेताओं में शामिल हैं। इनके अलावा कई और भी नेता हैं जो या तो अपने बेटे को टिकट दिलाना चाहते हैं या अपनी बेटी को टिकट दिलाना चाहते हैं। नरेंद्र सिंह तोमर ने शनिवार को ग्वालियर में पत्रकारों वार्ता में नेताओं के परिजनों को टिकट दिए जाने पर पूछे गए सवाल पर कहा था कि यदि वो पार्टी में काम करते रहे हैं तो यह परिवारवाद नहीं है। तोमर के इस बयान के यह मानने लगाए जा रहे है कि कि नेता पुत्र या पुत्री यदि पार्टी में सक्रिय हैं तो उन्हें विधानसभा का टिकट दिए जाने से भाजपा गुरेज नहीं करेगी।
इन नेताओं की नई पीढ़ी टिकट की दौड़ में…
- शिवराज सिंह चौहान: मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के बड़े बेटे कार्तिकेय चौहान भी अपने दल में खासे सक्रिय हैं। उन्होंने पिछले विधानसभा चुनाव में बुदनी में अपने पिता के चुनाव प्रचार की कमान संभाली थी। इसके अलावा उन्होंने कई विधानसभा क्षेत्रों में जाकर प्रचार भी किया था। वे लगातार प्रदेश में सक्रिय हैं।
- नरेंद्र सिंह तोमर: केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर के बेटे प्रबल प्रताप सिंह भी भाजपा में खासे सक्रिय हैं। तोमर लोकसभा का चुनाव लड़ते हैं, इसलिए यह माना जा रहा है कि उनके बेटे को विधानसभा का टिकट मिल सकता है।
- जयंत मलैया: इनके पुत्र सिद्धार्थ मलैया दमोह विधानसभा से टिकट की दावेदारी कर रहे हैं। पिछले उपचुनाव में भी उन्होंने टिकट की मांग की थी, लेकिन पार्टी ने उन्हें टिकट नहीं दिया था।
- गोपाल भार्गव: इनके पुत्र अभिषेक भार्गव पिछले लोकसभा चुनाव में दमोह से टिकट चाह रहे थे, लेकिन इस बार गोपाल भार्गव अपने बेटे को अपनी पारम्परिक सीट रहली से लड़वा सकते हैं।
- गौरीशंकर शेजवार: सांची विधानसभा से मुदित शेजवार टिकट लेने के प्रयास में हैं। यहां से प्रभु राम चौधरी ने कांग्रेस छोड़कर भाजपा का दामन थामा था। उपचुनाव में शेजवार ने अपने बेटे के लिए टिकट मांगा था।
- मालिनी गौड़: इंदौर चार की विधायक मालिनी गौड़ अपनी राजनीतिक विरासत बेटे एकलव्य को सौंपना चाहती है। मालिनी गौड़ को भी विरासत के रूप में ही इस सीट से टिकट मिला था।
- गौरीशंकर बिसेन: बालाघाट विधानसभा से वे अपनी बेटी मौसम बिसेन को टिकट दिलाना चाहते हैं। उनकी बेटी लोकसभा चुनाव के लिए भी पिछले बार दावेदारी कर रही थी।
- गायत्री राजे पवार: देवास सीट से अब वे अपने बेटे विक्रम पवार को चुनाव लड़वाना चाहती है। उनके पति तुकोजी राव के निधन से खाली हुई सीट पर उन्हें टिकट दिया गया था।
- राघवजी: पूर्व वित्त मंत्री राघवजी की बेटी ज्योति शाह विदिशा जिले की विदिशा और शमशाबाद से टिकट की दावेदारी कर रही हैं। दोनों ही सीट से राघवजी विधायक रह चुके हैं। राघवजी भी उनकी बेटी को टिकट दिलाने के लिए प्रयासरत हैं। इन दोनों सीटों से मुख्यमंत्री के करीबी नेता ही टिकट की दौड़ में हैं।
- उमाशंकर गुप्ता: पूर्व गृह मंत्री उमाशंकर गुप्ता की बेटी कीर्ति भोपाल की दक्षिण पश्चिम सीट से दावेदारी कर रही है। यह सीट उमाशंकर गुप्ता की पारम्परिक सीट मानी जाती है, हालांकि पिछला चुनाव वे हार गए थे। इस बार वे बेटी को यहां से उम्मीदवार बनवाना चाहते हैं।
- प्रभात झा: प्रदेश भाजपा के अध्यक्ष रहे प्रभात झा लंबे अरसे से चाहते हैं कि उनके बेटे तुषमुल को विधानसभा का टिकट मिले। इसके लिए उनके प्रयास भी हो रहे हैं।