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पहला सूर्य मिशन ‘आदित्य-एल1’ अपने साथ लेकर जाएगा 7 प्रकार के वैज्ञानिक पेलोड

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 नई दिल्ली

 अगले कुछ दिनों में अंतरिक्ष की उड़ान भरने वाला भारत का पहला सौर अन्वेषण मिशन ‘आदित्य-एल1 उपग्रह’ सूर्य का व्यवस्थित अध्ययन करने के लिए 7 वैज्ञानिक पेलोड ले जाएगा। आदित्य-एल1 अंतरिक्ष यान के प्रमुख वैज्ञानिक उद्देश्यों में कोरोनल हीटिंग और सौर पवन वेग को समझना है। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान केंद्र (ISRO) ने कहा कि इनमें सौर कोरोना और कोरोनल मास इजैक्शन की गतिशीलता का अध्ययन करने के लिए विजिबल एमिशन लाइन कोरोनाग्राफ (VELC ), अल्ट्रा-वायलेट (UV) के निकट सौर प्रकाशमंडल और क्रोमोस्फीयर की तस्वीरें लेने तथा UV के निकट सौर विकिरण भिन्नता को भी मापने के लिए सौर अल्ट्रा-वायलैट इमेजिंग टैलीस्कोप (एस.यू.आई.टी.) पेलोड है जबकि सौर पवन और उनके ऊर्जा वितरण का अध्ययन करने के लिए आदित्य सोलर विंड पार्टिकल एक्सपैरीमैंट (ASPEX ) और प्लाज्मा एनालाइजर पैकेज फॉर आदित्य (पी.ए.पी.ए.)पेलोड हैं। इसी तरह ऊर्जा रेंज में सूर्य से आने वाली एक्स-रे फ्लेयर्स (लपटों) का अध्ययन करने के लिए सोलर लो एनर्जी एक्स-रे स्पैक्ट्रोमीटर (SOLEX) और हाई एनर्जी एल-1 ऑर्बिटिंग एक्स-रे स्पैक्ट्रोमीटर विस्तृत एक्स-रे हैं। अंतरग्रहीय चुंबकीय क्षेत्र को मापने के लिए सक्षम मैग्नेटोमीटर पेलोड लगा है।
 

सभी पेलोड देश में विकसित
आदित्य-एल1 के सभी वैज्ञानिक पेलोड देश में विभिन्न प्रयोगशालाओं द्वारा स्वदेशी रूप से विकसित किए गए हैं। VELC उपकरण भारतीय खगोल भौतिकी संस्थान बेंगलुरु में विकसित किया गया है, SUIT उपकरण इंटर यूनिवर्सिटी सैंटर फॉर एस्ट्रोनॉमी एंड एस्ट्रोफिजिक्स पुणे में जबकि भौतिक अनुसंधान प्रयोगशाला अहमदाबाद ने ASPEX उपकरण बनाया है जबकि अंतरिक्ष भौतिकी प्रयोगशाला, विक्रम साराभाई अंतरिक्ष केंद्र ने पीएपीए पेलोड विकसित किया है। सभी पेलोड इसरो के विभिन्न केंद्रों के निकट सहयोग से विकसित किए गए हैं।

 अंतरिक्ष यानों व संचार प्रणालियों में टाली जा सकेंगी गड़बड़ियां
इसरो ने कहा कि सूर्य एक बहुत ही गतिशील तारा है और जितना हमें दिखाई देता है, उससे कहीं अधिक फैला हुआ है। यह कई विस्फोटक घटनाएं दिखाता है और सौरमंडल में भारी मात्रा में ऊर्जा छोड़ता है। यदि ऐसी विस्फोटक सौर घटनाएं पृथ्वी की ओर निर्देशित होती हैं तो यह पृथ्वी के निकट अंतरिक्ष वातावरण में विभिन्न प्रकार की गड़बड़ी पैदा कर सकती हैं। विभिन्न अंतरिक्ष यान और संचार प्रणालियां ऐसी गड़बड़ी से ग्रस्त हैं और इसलिए पहले से ही सुधारात्मक उपाय करने के लिए ऐसी घटनाओं की प्रारंभिक चेतावनी महत्वपूर्ण है। इनके अतिरिक्त, यदि कोई अंतरिक्ष यात्री सीधे ऐसी विस्फोटक घटनाओं के संपर्क में आता है तो वह खतरे में पड़ सकता है।

सूर्य पर विभिन्न तापीय और चुंबकीय घटनाएं अत्यधिक प्रकृति की हैं। इस प्रकार सूर्य उन घटनाओं को समझने के लिए एक अच्छी प्राकृतिक प्रयोगशाला भी प्रदान करता है जिनका सीधे प्रयोगशाला में अध्ययन नहीं किया जा सकता है। पहले एक्सपोसैट पोलारिमेट्री मिशन के लिए तैयारी कर रहा इसरो भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) के वैज्ञानिक अपना पहला समर्पित पोलारिमेट्री मिशन एक्सपोसैट लॉन्च करने के लिए भी तैयार हैं।