नई दिल्ली
नए मेडिकल कालेजों में अधिकतम 150 एमबीबीएस सीटें होंगी। इस समय यह अधिकतम सीमा 250 है। 2024-25 शैक्षणिक सत्र से स्थापित होने वाले कालेजों पर ये नियम लागू होंगे। इसके साथ ही मेडिकल कालेजों के लिए संबंधित राज्य या केंद्रशासित प्रदेश में 10 लाख आबादी पर 100 एमबीबीएस सीटों के अनुपात का भी पालन अनिवार्य होगा। यानी प्रत्येक राज्य में प्रति 10 लाख आबादी पर एमबीबीएस सीटों की संख्या 100 से अधिक नहीं हो सकती।
NMC ने क्या कुछ कहा?
राष्ट्रीय चिकित्सा आयोग (एनएमसी) ने ''नए मेडिकल संस्थानों की स्थापना, नए चिकित्सा पाठ्यक्रमों की शुरुआत, मौजूदा पाठ्यक्रमों के लिए सीटों की वृद्धि और मूल्यांकन और रेटिंग नियम के तहत स्नातक पाठ्यक्रमों के लिए 16 अगस्त को जारी अपने दिशानिर्देश'' में कहा, प्रवेश के लिए कोई भी अतिरिक्त सीट कोटा उस कालेज में एडमिशन के लिए मंजूर की गई सीटों की संख्या के भीतर होगा।
उन्होंने कहा कि जिन कालेजों ने शैक्षणिक वर्ष 2023-24 के लिए बढ़ी हुई सीटों के लिए आवेदन किया है, लेकिन सीटें नहीं बढ़ाई गईं वे केवल वर्ष 2024- 25 में एक बार के लिए कुल 200 या 250 सीटों की मांग सकते हैं, जो उनके पिछले आवेदन में थी। वर्ष 2023-24 के बाद नए मेडिकल कालेज शुरू करने की अनुमति पत्र केवल 50/100/150 सीटों के लिए जारी किया जाएगा।
नए मेडिकल कालेज के लिए शर्तें
मेडिकल कालेज शुरू करने की अनुमति चाहने वाले प्रत्येक अस्पताल में मेडिकल कालेज, संबद्ध शिक्षण अस्पताल और छात्रों और प्रशिक्षुओं के लिए छात्रावास होना चाहिए।
मेडिकल कालेज, छात्रों और प्रशिक्षुओं के लिए छात्रावास और शिक्षण अस्पताल या संस्थान या तो एक परिसर में या अधिकतम दो परिसरों में हो सकते हैं।
अगर दो परिसर है तो कालेज एक ही परिसर में होगा। कालेज और अस्पताल के परिसर के बीच की दूरी के लिए यात्रा का समय अधिकतम 30 मिनट होगा।अस्पताल में कम से कम 220 बिस्तर होने चाहिए
मेडिकल कालेज शुरू करने की अनुमति चाहने वाले प्रत्येक अस्पताल के लिए मेडिकल कालेज से संबद्ध ग्रामीण स्वास्थ्य प्रशिक्षण केंद्र /सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र/शहरी स्वास्थ्य केंद्र होने चाहिए जिसका उपयोग इंटर्नशिप प्रशिक्षण के लिए किया जाएगा।
प्रत्येक चिकित्सा संस्थान में कौशल प्रयोगशाला होगी जहां छात्र कौशल में सुधार कर सकते हैं। क्लीनिकल ट्रेनिंग के लिए वार्डों में तैनात करने से पहले छात्रों को छह सप्ताह का कौशल प्रयोगशाला प्रशिक्षण अनिवार्य होगा।
मेडिकल कालेज और अस्पताल की इमारतों को प्रचलित बिल्डिंग कोड और स्थानीय भवन मानदंडों के अनुरूप होना होगा। अस्पतालों में रोगी निकासी योजनाओं सहित अग्नि-सुरक्षा उपाय होने चाहिए। दिव्यांगों तक सुविधाएं पहुंचाने की आवश्यकताओं का भी पालन करना होगा।