श्रीगंगानगर
घग्घर नदी जो लगभग सूख चुकी थी और चौमासे में जिसमें थोड़ा बहुत पानी आता था। वह इस बार 600 करोड़ का कारोबार बहाकर लाई है।
बात कर रहे हैं घग्घर नदी की। जो इस बार अपने साथ इतना पानी और उपजाऊ मिट्टी बहाकर लाई है कि राजस्थान के श्रीगंगानगर और हनुमानगढ़ जिलों के धान किसानों के चेहरे खिल गए हैं।
राजस्थान का श्रीगंगानगर और हनुमानगढ़ जिला। कुछ दिन पहले तक यहां बाढ़ के हालात थे। हिमाचल से निकलने वाली घग्घर नदी हरियाणा से होते हुए यहां आती है। यहां पहुंचने तक इसका पानी इतना कम हो चुका होता है कि यह गायब जैसी ही हो जाती है।
इसीलिए इसे यहां नाली कहते हैं, लेकिन इस मानसून में जब घग्घर नदी ने राजस्थान में प्रवेश किया तो बाढ़ के हालात पैदा हो गए। ऐसे कि चारों ओर पानी ही पानी हो गया।
कई लोगों को अपने घर छोड़ने पड़े। कई गांव पानी से घिर गए। सबको एक ही चिंता थी कि अब कहां जाएंगे, लेकिन घग्घर नदी का यही पानी अब इस इलाके लिए वरदान बन गया है।
कई आशंकाओं से घिरे किसान अब इस बात से बेहद खुश हैं कि घग्घर का पानी उनके खेतों तक पहुंचा। नतीजा यह रहा कि किसानों ने यहां धान की रोपाई शुरू कर दी है।
भरपूर पानी, मौसम का साथ और किसानों की उम्मीदें बताती हैं कि पिछले 28 साल में ऐसा पहली बार होगा कि यहां धान की बंपर पैदावार होगी और इसका कारोबार 600 करोड़ के पार पहुंच सकता है। अब तक यह करीब 450 करोड़ रहता आया है।
घग्घर नदी बनाती है गंगानगर को 'धान का कटोरा'
हिमाचल की शिवालिक की पहाड़ियों से निकली घग्घर नदी पंजाब-हरियाणा होते हुए राजस्थान के हनुमानगढ़ जिले में टिब्बी तहसील से प्रवेश करती है।
यह नदी ही गंगानगर और हनुमानगढ़ को धान का कटोरा बनाती है। नदी के पानी से इलाके में सरसों, नरमा, गेहूं और चावल की बंपर पैदावार होती है। घग्घर नदी (नाली बेड) की बदौलत ही दोनों जिलों में करीब 50 हजार से ज्यादा हेक्टेयर में धान की खेती होती है।