नईदिल्ली
भारत की स्टार रेसर और नेशनल रिकॉर्ड धारक दुती चंद अगले 4 सालों तक ट्रैक पर नहीं दिखाई देंगी। यह रेसर टूर्नामेंट से बाहर डोप टेस्ट में विफल रही, जिसके कारण उन पर 4 साल का प्रतिबंध लगाया गया है। दुती ने 2021 इंडियन ग्रां प्री 4 के दौरान 11.17 सेकंड में 100 मीटर दौड़कर नया भारतीय महिला रिकॉर्ड बनाया था। यह रिकॉर्ड फिलहाल उनके ही नाम है।
रिपोर्ट के अनुसार, प्रतिबंध 3 जनवरी, 2023 से शुरू होगा। सैंपल 5 दिसंबर, 2022 को लिए गए थे। इसके बाद से सभी टूर्नामेंट में उनके प्रदर्शन, रिकॉर्ड और जीते गए मेडल खारिज कर दिए जाएंगे। एंटी डोपिंग डिसिप्लिनरी पैनल (एडीडीपी) के अनुसार, एथलीट ने हालांकि पैनल को प्रतिबंधित पदार्थ के सेवन के स्रोत से संतुष्ट कर दिया है, लेकिन यह बताने में कामयाब नहीं हो सकीं कि यह लापरवाही थी या गलती से लिया गया था।
दावा- पूरे पेशेवर करियर में ‘क्लीन एथलीट’ रही हैं
दुती के वकील पार्थ गोस्वामी ने शुक्रवार को पीटीआई से कहा कि यह खिलाड़ी अपने पूरे पेशेवर करियर में ‘क्लीन एथलीट’ (किसी भी डोपिंग से दूर) रही है और यह मामला इस पदार्थ के ‘अनजाने में सेवन’ करने का था.
दुती ने 2018 जकार्ता एशियाई खेलों में 100 मीटर और 200 मीटर स्पर्धा में सिल्वर मेडल जीते थे और उनके नाम 2021 से 100 मीटर में 11.17 सेकेंड का राष्ट्रीय रिकॉर्ड भी है.
गोस्वामी ने कहा, ‘हमारे लिए यह मामला स्पष्ट तौर पर अनजाने में प्रतिबंधित पदार्थ के सेवन का है. हम इस पदार्थ का स्रोत भी स्पष्ट रूप से जान पाए जो पूरी तरह से उनके इरादे का ठोस सबूत है. इस पदार्थ का इस्तेमाल कभी भी खेल में फायदा उठाने के लिए नहीं किया गया था.’
उन्होंने कहा, ‘हम अपील दायर करने की प्रक्रिया में हैं. हमें उम्मीद है कि हम अपीलीय पैनल को यह बात समझाने में सफल रहेंगे.’
दुती के वकील ने कहा, ‘दुती भारत का गौरव हैं और वह पूरी तरह से ‘क्लीन एथलीट’ हैं. एक दशक के चमकदार करियर के दौरान दुती अंतरराष्ट्रीय और राष्ट्रीय स्तर पर कई डोप जांच से गुजर चुकी हैं और इतने लंबे करियर में वह कभी भी डोप के मामले में पॉजिटिव नहीं आईं.’
दुती और उनके वकील ने नाडा के डोपिंग रोधी अनुशासनात्म पैनल (ADDP) के समक्ष भी दावा पेश किया था कि यह अनजाने में सेवन का मामला था.
एडीडीपी के आदेश के अनुसार, ‘एथलीट और उनके वकील ने एनडीटीएल (राष्ट्रीय डोप जांच प्रयोगशाला) के जांच के नतीजे की रिपोर्ट से इनकार किए बिना कहा कि उन्होंने यह पदार्थ अनजाने में लिया था जो उनके फिजियोथेरेपिस्ट की सलाह पर लिया गया था, जिनसे यह एथलीट नियमित रूप से परामर्श लेती हैं.’
इसमें कहा गया, ‘एथलीट और उनके वकील ने प्रस्तुत किया कि यह फिजियोथेरेपिस्ट पुलेला गोपीचंद अकादमी का था जहां यह खिलाड़ी विशेष अनुमति के अंतर्गत ट्रेनिंग ले रही थीं.’
दुती चंद के वकील ने ऐसा कहा –
दुती के वकील ने यह भी प्रस्तुत किया कि यह खिलाड़ी ‘हाइपरएंड्रोजनिक’ से पीड़ित थी, जिसके कारण उनके ‘पेट में काफी तेज दर्द’ था जिसके लिए ही यह उपचार किया गया था. एडीडीपी ने कहा कि एथलीट ने दवाई खरीदने के लिए अपने दोस्त की मदद ली जो इस मामले में गवाह भी हैं.
एडीडीपी के आदेश में कहा गया, ‘गवाह ने बयान देने से पहले वो हलफनामा भी प्रस्तुत किया, जिसमें उन्होंने बताया है कि वह खुद दुकान पर ‘हार्मोन असंतुलन’ के इस सप्लीमेंट को लेने गए थे, लेकिन इसके विपरीत गवाह से पूछताछ में उसने खुद इस सप्लीमेंट को खरीदने की बात से इनकार किया… लेकिन यह काम अपने मैनेजर को दे देने की बात कही.’
इसके अनुसार, ‘एडीडीपी के सुपुर्द किए गए दस्तावेज में दिए तथ्य और गवाह से पूछताछ में स्पष्ट विरोधाभास दिखता है इसलिए गवाह द्वारा दिए गए बयानों की विश्वसनीयता में वैध चिंताएं उठ रही हैं.’