लखनऊ
कोऑपरेटिव बैंकों की ओर से ई रिक्शा को लेकर बांटे गए 30 करोड़ के ऋण में गड़बड़ी की शिकायत आ रही है। करोड़ों का ऋण डूबता देख शासन ने पूरे मामले की जांच बैठा दी है। सचिव सहकारिता बीवीआरसी पुरुषोत्तम के निर्देश पर जांच समिति गठित कर दी गई है। सूत्रों के अनुसार बड़े पैमाने पर यूपी, बिहार समेत दूसरे राज्यों के लोगों को लोन बांटे गए हैं।
रजिस्ट्रार कोऑपरेटिव आलोक कुमार पांडेय ने अपर निबंधक आनंद शुक्ला और वरिष्ठ वित्त अधिकारी शुभम तोमर की दो सदस्यीय जांच समिति बनाई है। इस समिति को 15 दिन के भीतर अपनी रिपोर्ट रजिस्ट्रार को सौंपनी है। सरकार ने राज्य में स्वरोजगार को बढ़ावा देने को ई रिक्शा योजना शुरू की थी।
इसके लिए लोगों को बिना किसी सिक्योरिटी, बिना इनकम प्रूफ के लोन दिया गया। बैंकों ने सवा लाख से लेकर डेढ़ लाख तक का ऋण बांटा। ऋण बांटने में बैंकों ने गजब का उत्साह दिखाया। देहरादून की एक शाखा ने तो दस करोड़ के करीब का ऋण बांट दिया।
इसी तरह यूएसनगर की भी एक शाखा ने आठ करोड़ का ऋण बांटा। अब जब इन ऋणों को बांटे हुए काफी समय निकल गया और ऋण वापसी की समीक्षा की गई, तो कोई स्पष्ट ब्यौरा ही नहीं मिल रहा है। किस बैंक का कितना ऋण वापस आ गया, कितना एनपीए हुआ।
इसकी जानकारी न होने पर शिकायतें शासन स्तर तक पहुंची। खुद बैंक के ही जागरूक बोर्ड के कुछ सदस्यों ने ही शासन से पड़ताल कराने की मांग की। इस पर जांच समिति बन गई है। रजिस्ट्रार ने जल्द से जल्द जांच पूरी किए जाने के निर्देश दिए।
बदल दिया स्थायी निवास का नियम पहले ई रिक्शा के लिए सिर्फ राज्य के स्थायी निवासियों को ही ऋण दिया जाना था। बाद में इस नियम में बदलाव कर दिया गया। सिर्फ आधार कार्ड के आधार पर ही ऋण बांट दिए गए।
बैंक निदेशकों ने इसे ही सबसे बड़ी खामी बताया। कहा कि स्थायी निवास की बजाय आधार कार्ड के आधार पर ऋण देने से यूपी, बिहार, झारखंड, हरियाणा के लोगों ने ही बड़े पैमाने पर ऋण लिए हैं। जो अब वापस नहीं हो रहे हैं।
गड़बड़ी पर सिर्फ जांच , कार्रवाई ठंडे बस्ते में
कोऑपरेटिव के अफसरों ने हर योजना में ही कोई न कोई चूक कर विभाग की साख पर बट्टा लगाने का काम किया। इन चूकों पर शासन एक के बाद एक जांच पर जांच बैठाता रहा, लेकिन कार्रवाई किसी में भी नहीं हो पाई है।
सहकारी बैंक भर्ती घपला, नौगांव सेब सहकारी समिति सेब खरीद घपला, सहकारी बैंक सीसीटीवी गड़बड़ी, पर्यटन केंद्र निर्माण गड़बड़ी, करोड़ों के ऋणों का एनपीए होने समेत तमाम गड़बड़ियों समेत सहकारी समितियों में भी लगातार गबन के मामले सामने आ रहे हैं, लेकिन अभी तक कार्रवाई नहीं हुई है।