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टिकट वितरण में बीजेपी ने मारी बाजी, जवाब में 12 दिन के भीतर अपनी लिस्ट लाएगी कांग्रेस

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भोपाल

भाजपा ने हारी हुई 39 सीटों पर अपने प्रत्याशियों का ऐलान कर टिकट वितरण में कांग्रेस से बाजी मार ली है। इसका जवाब देने के लिए कांग्रेस में शाम से ही हलचल तेज हो गई है। भोपाल से लेकर दिल्ली तक कांग्रेस के नेता सक्रिय रहे। अब तय किया है कि इस महीने के बचे हुए 12 दिन के भीतर ही कांग्रेस भी लगातार हारने वाली सीटों पर अपने उम्मीदवारों को ऐलान कर, भाजपा के टिकट वितरण का जवाब देगी।

पहले यह माना जा रहा था कि कांग्रेस की स्क्रीनिंग कमेटी की बैठ अगस्त के अंत में या सितम्बर की शुरूआत में होगी, लेकिन अब यह तय किया जा रहा है कि कांग्रेस भी अगस्त में ही टिकटों की पहली सूची जारी कर देगी। इसके लिए स्क्रीनिंग कमेटी की बैठक की तारीक तीन-चार दिन में तय हो सकती है। जो इसी महीने होगी और इस महीने के अंत तक कांग्रेस ऐसी 66 सीटों पर प्रत्याशियों का ऐलान कर देगी, जिनमें वह लगातार हार रही है, या दलबदल में कांग्रेस विधायक ने पार्टी छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया था। इन सीटों पर उम्मीदवार चयन को लेकर सर्वे और रायमशवरा सभी आने वाले तीन चार दिन में पूरा कर लिया जाएगा।

इन सीटों पर तय होंगे उम्मीदवार
भोपाल जिले की बैरसिया, गोविंदपुरा के साथ बुधनी, आष्टा, टिमरनी, रामपुर बघेलान, रीवा, मनगंवा, त्योथर, दतिया, शिवपुरी, गुना, बमोरी, शमशाबाद, कुरवाई, बीना, खुरई, सुरखी, सागर, नरयावली, रहली, हटा, पथरिया, शुजालपुर, सुसेनर, उज्जैन उत्तर, उज्जैन दक्षिण, बदनावर, रतलाम, सुवासरा, मंदसौर, नीमच, जावद, सिरमौर, देवतालाब, सिंगरोली, देवसर, जयसिंहनगर, अनूपपपुर, धौहानी,  मुडवारा, सिहोरा, जबलपुर कैंट, पनागर, सिपनी, पिपरिया, नर्मदापुरम, सांची, सारंगपुर, देवास, इंदौर-2, इंदौर-4, सांवरे, खातेगांव, बागली, बुरहानपुर, हरसूद, खंडवा, पंधाना, अशोकनगर, मुंगावली, चंदला, बिजावर  शामिल हैं।

जेपी अग्रवाल को हटाने की पटकथा एक महीने पहले ही लिखा चुकी थी
इधर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ की नाराजगी जेपी अग्रवाल को भारी पड़ गई। उन्हें गुरुवार को प्रदेश प्रभारी के पद से हटा दिया गया है। उन्हें हटाए जाने की कांग्रेस में पटकथा एक महीने पहले ही लिखा चुकी थी। यह भी तय था कि उनकी जगह पर राहुल गांधी के विश्वासपात्र रणदीप सिंह सुरजेवाला को यहां पर बतौर प्रभारी नियुक्ति किया जाएगा। कमलनाथ भी सुरजेवाला को पसंद करते हैं। जबकि जेपी अग्रवाल से कमलनाथ का लगातार टकराव बढ़ता जा रहा था। केंद्रीय नेतृत्व इस चुनाव में ऐसा कुछ नहीं चाहता था कि नेताओं के टकराव के बीच में वह विधानसभा चुनाव में उतरे, इसलिए यह तय हो चुका था कि अग्रवाल को हटाया जाएगा। यह पूरी कवायद पिछले एक महीने से चल रही थी।