रायपुर। लोकसभा सीट में मतदान को केवल पांच दिन ही शेष बचे हैं। वर्तमान महापौर और पूर्व महापौर के बीच सीधा मुकाबला है। दोनो ही नेताओं ने इस सीट पर अपनी पूरी शक्ति झोंक दिया है। कांग्रेस के प्रत्याशी प्रमोद दुबे को जहां अपने महापौर के कार्यकाल के साथ कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी द्वारा घोषित न्याय पर विश्वास है। वही भाजपा प्रत्याशी सुनील सोनी, महापौर के रूप में अपने बेदाग कार्यकाल के साथ मोदी के पक्ष में चल रही हवा के कारण अपनी जीत सुनिश्चित मान रहे हैं। रायपुर लोकसभा से कांग्रेस के प्रत्याशी प्रमोद दुबे अपनी जीत के प्रति आशान्वित हैं। उन्हें विश्वास है कि इस बार रायपुर सीट से कांग्रेस की विजय अवश्य होगी। इस विश्वास के पीछे का आधार कांग्रेस की न्याय को मानते हैं। उनका मानना है कि कांग्रेस ही इस देश को सही दिशा दे सकती है। वो मोदी सरकार पर कुशासन का आरोप लगाते हैं। वो कहते हैं कि रायपुर क्षेत्र में विकास अवरुद्घ हो गया है। शहरों के साथ-साथ गांवों में समस्याएं हैं। इसे ही ठीक करने के लिए उन्हें अपना पृथक घोषणा पत्र जारी करना पड़ा। उन्होंने कहा कि उनके जीतने और केंद्र में सत्ता मिलने के बाद राहुल जी देश भर के लिए अपनी घोषणा पूरी करेंगे और मैं अपने संकल्प पत्र को पूरा करने का काम करुंगा। सरकार और सांसद के तालमेल से रायपुर क्षेत्र देश में अग्रणी बनेगा। नौ विधानसभाओं वाले रायपुर लोकसभा सीट से कांग्रेस ने 23 मार्च को प्रमोद दुबे को प्रत्याशी घोषित किया था। उसी दिन से उन्होंने अपना प्रचार प्रारंभ कर दिया। रायपुर शहर से बाहर की सभी पांचों विधानसभाओं पर फोकस किया गया। वहां सभाओं के साथ रैलियां निकाली गई। स्थानीय विधायकों और संगठन को साथ लेकर प्रचार का क्रम शुरू किया गया। गांवों पर विशेष रूप से फोकस किया गया। नौ विधानसभाओं में से 6 में कांग्रेस के ही विधायक हैं। कांग्रेस का ये मानना है कि जब मतदाताओं ने विधानसभा में उन्हें बंपर समर्थन दिया है तब लोकसभा में भी उन्हें समर्थन अवश्य मिलेगा। इसी आधार पर मतदाताओं के समक्ष उपस्थित होने के बाद प्रमोद दुबे समर्थन मांग रहे हैं। लोकसभा की सभी नौ विधानसभाओं में प्रमोद ने अपनी उपस्थिति दर्ज करा दी है। प्रारंभ में ग्रामीण क्षेत्रों पर फोकस किया गया था। अब शहर की चारों विधानसभाओं में सभाएं-रैलियां निकाली जा रही है। कल संजय नगर की सभा में उपस्थित भीड़ को देखकर कांग्रेसी उत्साहित हुए। इससे पूर्व कल ही दिन में दक्षिण विधानसभा में भी सभा की गई थी। शहर की चारों में से दक्षिण विधानसभा ही कांग्रेस के पास नहीं है। इसे परंपरागत रूप से भाजपा का गढ़ माना जाता है। ऐसे में कांग्रेस के साथ प्रमोद का भी मुख्य फोकस इस क्षेत्र पर है। हालांकि इस क्षेत्र में सभा के दौरान संगठन के ही नेता उनके साथ रहते हैं। वहीं दूसरी तरफ पूर्व महापौर सुनील सोनी इस लोकसभा में अपनी जीत को लेकर आशान्वित हैं। वो कहते हैं कि जब रायपुर की जनता ने उन्हें महापौर के रूप में चुना तब वो उन्हें अवश्य ही लोकसभा के लिए निर्वाचित कर संसद भेजेगी। उनका कहना है कि केंद्र में एक बार फिर से मोदी की सरकार बन रही है और वो उस नई सरकार में रायपुर के विकास की नई गाथा लिखेंगे। वो कहते हैं कि बीते पांच वर्षो में स्वाभिमान और गर्व के साथ देश आगे बढ़ा है। ये क्रम जारी रहे, यही मतदाताओं की इच्छा है। कांग्रेस पर कटाक्ष करते हुए वो कहते हैं कि कांग्रेस के पास देश को चलाने का कैसा विजन है, ये लोगों ने बीते 60 वर्षो में भली-भांति देख लिया है। जो काम मोदी के कार्यकाल में हुआ यदि वो काम बीते 60 वर्षो में हो चुका होता तो आज देश उन्नति के शिखर पर होता। रायपुर लोकसभा सीट शहर और ग्रामीण क्षेत्रों में बटी हुई है। सुनील कहते हैं कि जितना प्रेम उन्हें शहरी मतदाताओं का मिल रहा है, उतना ही स्नेह ग्रामीण क्षेत्रों के मतदाताओं से भी मिल रहा है। रायपुर शहर के वो महापौर रह चुके हैं। शहर में मतदाताओं से उनका व्यक्तिगत संपर्क है। संगठन में काम करने के बाद भी उन्होंने अपना व्यक्तिगत संपर्क बनाए रखा था। इसका लाभ उन्हें मिलेगा। ग्रामीण क्षेत्रों में भी उनके निजी संपर्क मतदाताओं से अच्छे हैं। परिदृश्य को वो अपने पक्ष में देखते हैं। उनके समर्थकों का कहना है कि सुनील के प्रचार में जिस तरह से लोग उत्साह दिखा रहे हैं उसे देखते हुए कहा जा सकता है कि रायपुर सीट पर भाजपा की अब तक की सबसे बड़ी विजय सुनिश्चित है। सुनील के प्रचार में दो बातें अवश्य बनी रहती हैं। प्रथम वो मोदी सरकार के कामों को गिनाना नहीं भूलते हैं। साथ ही वो कांग्रेस के कार्यकाल और विपक्ष के रूप में कांग्रेस के द्वारा किए गए कामों को भी मतदाताओं के समक्ष अवश्य रखते हैं। चुनाव को लेकर कितनी भी गर्माहट हो पर सुनील निजी हमले करने से सदैव बचते रहे हैं। उनका मानना है कि विधानसभा चुनाव के परिणामों से उलट लोकसभा के परिणाम रहेंगे। संगठन साथ है। सारे नेता मिलकर मोदी की फिर से पीएम बनाने में जुटे हैं। ठीक ऐसी ही मंशा मतदाताओं की भी है। इन सबका सार विजय के रूप में सामने आएगा।