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भारी कर्ज वाली एनर्जी कंपनी की किस्मत बदलेंगे अनिल अग्रवाल, NCLT की हरी झंडी

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 नई दिल्ली

अरबपति अनिल अग्रवाल की कंपनी वेदांता कर्ज में डूबी कंपनी का अधिग्रहण करने वाली है। दरअसल, वेदांता को दिवाला समाधान प्रक्रिया के माध्यम से संकटग्रस्त थर्मल प्लांट मीनाक्षी एनर्जी का अधिग्रहण करने की मंजूरी मिल गई है। अनिल अग्रवाल की कंपनी ने ₹4625 करोड़ के स्वीकार किए गए दावों के मुकाबले ₹1440 करोड़ की पेशकश की, जो मीनाक्षी एनर्जी के 31% कर्ज वसूली के बराबर है। वेदांता की समाधान योजना को लेनदारों की समिति (सीओसी) के 94.96% बहुमत से मंजूरी मिली है।

2 कंपनियां थीं रेस में: दस्तावेजों से पता चलता है कि दो अन्य बोलीदाता – जिंदल पावर के अलावा विजाग मिनरल्स के साथ प्रूडेंट एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी का एक यूनिट भी थे। सरकार द्वारा प्रवर्तित नेशनल एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी ने ऋणदाताओं का ऋण हासिल करने के लिए ₹1003 करोड़ की पेशकश की थी। हालांकि, ऋणदाताओं ने इस प्रस्ताव को अस्वीकार कर दिया क्योंकि वेदांता का ऑफर ज्यादा था।

पहला ऑफर कितने का था: बता दें कि वेदांता ने 29 अगस्त, 2022 को एक योजना प्रस्तुत की, जिसे 28 अक्टूबर को संशोधित किया  गया। इसके बाद 26 दिसंबर को वेदांता ने एक नया ऑफर प्रस्तुत किया। यह ऑफर ₹650 करोड़ से बढ़कर ₹1440 करोड़ तक पहुंचा। हालांकि, ऋणदाताओं ने वेदांत की पेशकश को तुरंत मंजूरी नहीं दी। उन्होंने अन्य बोलीदाताओं को बेहतर ऑफर प्रस्तुत करने के लिए समान अवसर देने का निर्णय लिया।

जानकारी के मुताबिक वेदांता ₹312 करोड़ का अग्रिम भुगतान करेगा। बता दें कि फरवरी 2016 में Srei के प्रमोटर हेमंत कनोरिया ने फ्रांस के एंजी ग्रुप से मीनाक्षी एनर्जी के अधिग्रहण की घोषणा की।