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झमाझम बारिश हुई तो डूबेगा पटना, एक भी ड्रेनेज पंपिंग स्टेशन नहीं हुआ तैयार

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पटना

 बिहार की राजधानी पटना में बरसात के मौसम में या अत्याधिक पानी आने के कारण होने वाले जलजमाव से निजात पाने के लिए डीपीएस (ड्रेनेज पंपिंग स्टेशन) बनाने की योजना करीब 3 साल पहले बनी थी। पटना, फुलवारीशरीफ, दानापुर, पटना सिटी समेत आसपास के इलाकों में ऐसे 22 डीपीएस बनने थे, लेकिन अब तक एक का भी निर्माण पूरा नहीं हुआ है। इस बार तो मॉनसून में अब तक पटना में जोरदार बारिश हुई ही नहीं है। अगर दो-तीन दिनों तक मूसलाधार बारिश हो जाए, तो पटना एवं आसपास के इलाकों में पानी भर जाएगा और शायद इसे निकलने में कुछ दिन लग जाएं। 2019 जैसे हालात भी उत्पन्न हो सकते हैं। डीपीएस तैयार नहीं होने के कारण बारिश का जमा पानी जल्द नहीं निकल पाएगा, क्योंकि मौजूद संप हाउस बहुत प्रभावी नहीं है।

पटना शहर में कांग्रेस मैदान, दीघा थाना के समीप समेत 4-5 स्थान ऐसे हैं, जहां जमीन की समस्या अब तक हल नहीं होने या जमीन नहीं मिलने की वजह से डीपीएस का निर्माण शुरू नहीं हो पाया है। शेष करीब 15 स्थानों पर डीपीएस का निर्माण कार्य चल रहा या शुरू हुआ या जल्द शुरू होने जा रहा है। इनके निर्माण के लिए 325 करोड़ 48 लाख की स्वीकृति नगर विकास एवं आवास विभाग ने 2020 में ही दे दी थी। इसकी कार्ययोजना भी पहले ही तैयार हो गई थी, लेकिन इनका टेंडर पिछले वर्ष ही फाइनल हुआ और चयनित एजेंसियों को कार्य आवंटन किया गया। इस वजह से इनके तैयार होने में देरी हो गई है।

आगामी मॉनसून से पहले 18 से 20 डीपीएस का निर्माण पूरा हो जाएगा। आगामी बरसात में स्ट्रॉम वाटर (अत्याधिक पानी) के कारण अचानक होने वाली जलजमाव की स्थिति से निजात मिलने की संभावना है। पटना और आसपास के जिन इलाकों में इसके लिए स्थान चिन्हित किए गए हैं, उनमें दानापुर में घुड़दौड़, आनंद बाजार, बकरी बाजार के अलावा सैदपुर, प्रेम कुंज, नंदलाल छपरा, पटना सिटी समेत अन्य स्थान शामिल हैं। इन सभी डीपीएस से स्ट्रॉम वाटर निकासी के लिए पटना और आसपास के क्षेत्र में तैयार की गई नई ड्रेनेज लाइन को भी जोड़ दिया जाएगा, ताकि जल जमाव की स्थिति में इन्हें चालू कर तुरंत पानी को बाहर निकाला जा सके।

2019 की बाढ़ के बाद तैयार हुई थी कार्ययोजना
सितंबर 2019 में पटना समेत कई शहरों में अचानक हुई अत्याधिक बारिश के कारण जलजमाव की स्थिति उत्पन्न हो गई थी। पटना शहर के कुछ मोहल्लों में तो 10 फीट तक पानी जमा हो गया था। इसे निकालने में काफी समय लगा था। इसके मद्देनजर पूरे क्षेत्र का वैज्ञानिक विश्लेषण कराकर ग्रेविटी फ्लो और हाईड्रोलिक डाटा के आधार पर पटना और आसपास के इलाके में उन स्थानों को चिन्हित किया गया था, जो डीपीएस बनाने के लिए उपयुक्त हैं, ताकि जलजमाव की स्थिति में इनके पंप को चालू करने पर पानी को आसानी से खींचकर फेंक दे और इन क्षेत्रों में जलजमाव तुरंत खत्म हो सके।

बुडको के प्रबंध निदेशक धर्मेंद्र कुमार सिंह ने कहा कि आगामी मॉनसून से पहले सभी डीपीएस के चालू होने की संभावना है। पिछले वर्ष इनका टेंडर होने के बाद कार्य शुरू हो गया है। चार-पांच स्थानों पर जमीन की समस्या फंसने के कारण इनके निर्माण में देरी हो गई।