जयपुर
राजस्थान में विधानसभा चुनाव से पहले बीजेपी ने प्रचार के लिए नेताओं को जिम्मेदारी सौंपना शुरू कर दिया है. बीजेपी ने केंद्रीय मंत्री अर्जुन राम मेघवाल को घोषणा पत्र समिति का अध्यक्ष नियुक्त किया है. मेघवाल राजस्थान से सांसद हैं और अनुभवी नेता हैं. इस समिति में सह संयोजक राज्यसभा सांसद किरोड़ी लाल मीना, घनश्याम तिवाड़ी होंगे. किरोड़ी और तिवाड़ी दोनों राज्यसभा सांसद भी हैं.
प्रेस कॉन्फ्रेंस में बीजेपी के राष्ट्रीय महासचिव अरुण सिंह ने पूर्व सीएम वसुंधरा राजे को लेकर भी बयान दिया. अरुण सिंह ने कहा, वो (वसुंधरा राजे) हमारे लिए प्रचार करेंगी. वो पार्टी की सीनियर लीडर हैं. जब उनसे पूछा गया कि क्या उन्हें प्रचार समिति का प्रमुख नियुक्त किया जाएगा तो उन्होंने कहा, यह भविष्य में तय किया जाएगा.
बता दें कि वसुंधरा राजे पांच बार से विधायक हैं और दो बार राजस्थान की सीएम रही हैं. राज्य में बीजेपी के बड़े चेहरों में उनका नाम गिना जाता है.
लगातार तीन से सांसद, बड़े दलित चेहरा
वहीं, राजस्थान में दलित समाज से बड़े चेहरे अर्जुन राम मेघवाल को पार्टी ने बड़ी जिम्मेदारी सौंपी है. मेघवाल पहली बार 2009 में राजस्थान के बीकानेर सीट से सांसद चुने गए थे. 2013 में सर्वश्रेष्ठ सांसद के पुरस्कार से नवाजा गया था. राजनीति में आने से पहले मेघवाल राजस्थान कैडर के एक आईएएस अधिकारी रहे हैं. 2009, 2014 और 2019 के आम चुनावों में लगातार तीन बार उन्होंने जीत हासिल की है.
सादगी से चर्चा में रहते हैं मेघवाल
अर्जुन राम मेघवाल को जमीन से जुड़ा नेता माना जाता है. उनकी सादगी की खबरें हमेशा चर्चा में रहती हैं. मेघवाल काम के लिए आने-जाने में सरकारी कार का इस्तेमाल नहीं करते हैं. इसके बजाय वे अपनी पुश-बाइक का उपयोग स्थानीय परिवहन मोड के रूप में करते हैं. साइकिल चलाने की अपनी इस आदत के कारण मेघवाल ने कई मौकों पर लोगों का ध्यान खींचा है, चाहे वह साइकिल से संसद जाना हो या राष्ट्रपति भवन में शपथ ग्रहण समारोह के लिए साइकिल चलाना. हालांकि, बाद में सुरक्षा कारणों से उन्हें साइकिल का उपयोग करने से प्रतिबंधित कर दिया गया.
जमीन से जुड़े नेता माने जाते हैं किरोड़ी लाल
किरोड़ी लाल मीणा को जनजातीय नेता माना जाता है. राजस्थान में जनजातीय जनसंख्या कुल 13.5 फीसदी है. उसमें अकेले छह फीसदी हिस्सा मीणा समुदाय का है. राजस्थान की राजनीति में अपनी जगह बनाने के लिए किरोड़ी लाल ने काफी मेहनत की है. साल 1980 में सक्रिय राजनीति में उतरने से पहले वो राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़े रहे. उन्होंने दो साल डॉक्टरी भी की है. आपातकाल के दौरान मीसा के तहत उन्हें 17 माह तक जेल में बंद रखा गया. उसके बाद से वे 35 बार जेल की सींखचों के पीछे गए. उन्होंने 280 बार आंदोलनों का नेतृत्व किया और उसमें शामिल हुए जिसके लिए उनके खिलाफ 98 मामले दर्ज किए गए. कहा जाता है कि किरोड़ी एक ऐसे नेता हैं, जिनका पूरे राज्य में जमीनी स्तर पर संपर्क है.