बेंगलुरु
बेंगलुरु के 34 साल के रोहन TIAs से पीड़ित हैं, यानी उन्हें बार-बार मिनी स्ट्रोक आते हैं। बीते एक महीने में उन्हें 100 से ज्यादा स्ट्रोक आए। मगर, डॉक्टर नए नई तकनीक के जरिए उनकी जान बचाने में सफल रहे। पीड़ित के मस्तिष्क की धमनियों में ब्लॉकेज का इलाज करने के लिए ड्रग-कोटेड बैलून का इस्तेमाल किया गया। फोकल सेरेब्रल के रूप में जानी जाने वाली स्थिति धमनीविस्फार (FCA) की वजह से रोहन को मिनी स्ट्रोक्स आते थे। इससे मस्तिष्क तक प्रवाहित होने वाला रक्त लगभग पूरी तरह अवरुद्ध हो जाता था।
रोहन को एक महीने से अधिक वक्त से हर दिन 3-6 बार मिनी स्ट्रोक होते थे। पीड़ित के चाचा ने बताया कि रोहन को जागते समय कमजोरी महससू होती थी। वह अपने दाहिने पैर और कंधे में सुन्नता महसूस करता था। रोहन को अब लेटने और पैर ऊपर उठाने पर बेहतर महसूस हो रहा है, जिससे मस्तिष्क में रक्त प्रवाह को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी। उन्होंने बताया, 'एक बार तो अस्पताल में इंतजार करते समय उसे मिनी स्ट्रोक आया था। इसे लेकर हम लोग बहुत डर जाते थे। हमें उसके स्वास्थ्य को लेकर चिंता थी।'
ब्रेन स्ट्रोक के बारे में जानें
स्ट्रोक 2 तरह के होते हैं- मस्तिष्क में रक्त के प्रवाह में रुकावट के कारण होने वाला इस्केमिक स्ट्रोक और मस्तिष्क की धमनियों में रक्तस्राव के कारण होने वाला रक्तस्रावी स्ट्रोक। कुछ रोगियों में इस्केमिक स्ट्रोक मामूली स्ट्रोक/टीआईए की तरह असर दिखाता है। एक्सपर्ट्स मानते हैं कि अगर शुरुआती चरण में ही चेतावनी के संकेतों को पहचान लिया जाए तो मरीज को गंभीर स्ट्रोक होने से रोका जा सकता है। इसलिए शुरू-शुरू में ही इस तरह के लक्षण दिखने पर डॉक्टर से तुरंत संपर्क करना चाहिए।
धमनी में सूजन के कारण मस्तिष्क में रक्त प्रभावित
जहां तक रोहन की बात है तो उसकी एक धमनी में सूजन के कारण मस्तिष्क में रक्त प्रवाह गंभीर रूप से सिकुड़ गया था। ऐसे रोगियों को आमतौर पर लक्षण कम होने तक स्टेरॉयड और रक्त पतला करने वाली दवाएं लेने की सलाह दी जाती है। मगर, रोहन पर किसी भी दवा या इंजेक्शन का असर नहीं हो रहा था। उसे रोजाना कई स्ट्रोक आने लगे थे। इसे देखते हुए कई सेंटर्स पर उसका MRI कराया गया। इससे पता चला कि स्ट्रोक के कारण उसके मस्तिष्क को नुकसान पहुंचा है।
धमनियों के फटने का था डर
इसके बाद, 25 मई को रोहन को बेंगलुरु के एक प्राइवेट हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। एक हफ्ते के बाद उसे स्टेंटिंग कराने की सलाह दी गई। यह जोखिम भरा लग रहा था क्योंकि डॉक्टरों को डर था कि इस प्रक्रिया के दौरान उसकी धमनियां फट सकती हैं। रमेश ने कहा, '2 जून को रोहन को नारायण हेल्थ में भर्ती कराया गया। यहां 2 दिनों तक उसे ICU में रखा गया। वार्ड में भेजे जाने के तुरंत बाद उसे कई छोटे स्ट्रोक हुए। इसके बाद उसकी बैलून एंजियोप्लास्टी की गई और कुछ दिनों के लिए उसके लक्षण कम हो गए। सौभाग्य से उसकी धमनियां नहीं फटीं।'