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अपनी ही सीट पर विरोधी के लिए वोट मांगने पहुंच गए अटल बिहारी वाजपेयी, हो गई थी जमानत जब्त

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 नई दिल्ली

स्वतंत्रता दिवस के एक दिन बाद 16 अगस्त 2018 को पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी का लंबी बीमारी के बाद निधन हो गया था। वह काफी पहले ही राजनीति से संन्यास ले चुके थे। अटल की वाक्पटुता, फैसले लेने की क्षमता और राजनीतिक शुचिता की तारीफ करने से विरोधी भी नहीं चूकते। वाजपेयी थे ही ऐसी शख्सियत। भला ऐसा कौन व्यक्ति होगा कि वह जिस सीट से चुनाव लड़ रहा हो, वहां अपना नहीं बल्कि विरोधी का प्रचार करने पहुंच जाए। पंडित अटल बिहारी ने 1957 में कुछ ऐसा ही किया था।

देश के दूसरे लोकसभा चुनाव यानी 1957 में अटल बिहारी वाजपेयी मथुरा की सीट से चुनाव लड़ रहे थे। यहां से उनकी करारी हार हुई थी। हार की वजह वह खुद थे। अटल बिहारी वाजपेयी इस सीट पर अपने विरोधी उम्मीदवार राजा महेंद्र प्रताप सिंह के लिए वोट मांगे थे। बता दें कि महेंद्र प्रताप सिंह एक क्रांतिकारी थे और स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान सक्रिय थे। इस सीट पर वाजपेयी बड़े अंतर से चुनाव हार गए थे। हालांकि वह एक साथ तीन सीटों पर चुनाव लड़ रहे थे इसलिए बलरामपुर सीट से जीतकर संसद पहुंच गए। लखनऊ सीट पर भी वह हार गए थे।

अटल बिहारी वाजपेयी ने सभा में  कहा तथा कि मथुरा के लोगो, आप मुझे बहुत प्यार दे रहे हैं लेकिन मैं चाहता हूं कि आप राजा महेंद्र प्रताप को विजयी बनाएं। बता दें कि राजा महेंद् प्रताप के खिलाफ चार लोग चुनावी मैदान में थे। उनके पिता दूसरे स्थान पर रहे थे और वाजपेयी चौथे पर थे। उनकी जमानत जब्त हो गई थी।

राजा महेंद्र प्रताप के नाम पर अलीगढ़ में पीएम मोदी ने विश्वविद्यालय का शिलान्यास किया है। राजा महेंद्र प्रताप ऐसे क्रांतिकारी थे जिन्होंने अफगानिस्तान में जाकर भारत की पहली निर्वासित सरकार बनाई थी और वह खुद इस निर्वासित सरकार के राष्ट्रपति थे। 1915 में उन्होंने ऐसा किया था। अंग्रेजी शासन के दौरान उन्होंने स्वतंत्र भारतीय सरकार की घोषणा कर दी थी। महात्मा गांधी ने भी उनकी भरसक तारीफ की थी। उन्होंने 32 साल की उम्र में जर्मनी, रूस और जापान से भारत को आजाद कराने के लिए मदद मांगी थी।