नईदिल्ली
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ''हर घर तिरंगा अभियान'' (Har Ghar Tiranga Campaign) के तहत हर घर, कार्यालय और कारोबारी प्रतिष्ठान में तिरंगा झंडा फहराने का आह्वान किया है। यह आह्वान उन्होंने पिछले साल भी किया था। उनके इस आह्वान से पिछले वर्ष से ''देशभक्ति'' के बाजार को जबरदस्त उछाल मिला है।
यह दो वर्ष पहले के मुकाबले दो से तीन गुना अधिक है। तब देशभर में कुछ करोड़ ही झंडे की बिक्री होती थी। वहीं इस बार 35 करोड़ से अधिक झंडे की बिक्री का अनुमान है। इसी तरह देशभक्ति को प्रदर्शित करने वाले बैंड, बैज, चूड़ी, टीशर्ट समेत अन्य उत्पादों की भी बिक्री खूब हो रही है। अच्छी बात है कि उत्पादों पर महंगाई का कोई असर नहीं है। यह पूर्व की भांति ही है।
कारोबारी संगठन कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स ( कैट) के अनुसार इस बार देशभक्ति का बाजार तकरीबन 600 करोड़ रुपये का होगा। पिछले वर्ष यह बिक्री तकरीबन 500 करोड़ रुपये की रही थी। वहीं, वर्ष 2022 से पहले स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर तिरंगे की वार्षिक बिक्री लगभग 150-200 करोड़ रुपये तक सीमित थी।
खादी ग्रामोद्योग ने पिछले वर्ष बेचे थे पांच करोड़ से अधिक के झंडे
खादी ग्रामोद्योग ने भी बढ़ती मांग को देखते हुए इस बार तिरंगे की बिक्री का लक्ष्य दोगुना कर लिया है। पिछले वर्ष खादी द्वारा पांच करोड़ रुपये से अधिक के खादी के झंडे बेचे गए थे। जबकि, इस वर्ष पांच अगस्त तक 6.25 करोड़ कीमत की झंडे की बिक्री हो चुकी है, जबकि लक्ष्य 10.20 करोड़ रुपये का तय किया गया है।
इतना ही नहीं, ''हर घर तिरंगा'' अभियान से देश भर में 10 लाख से अधिक लोगों के लिए रोजगार का सृजन हुआ है। दिल्ली के झंडा बिक्री के प्रमुख बाजार सदर में भी इस बार बिक्री का अनुमान दोगुना है।
झंडा विक्रेता सौरभ गुप्ता के अनुसार, पिछले वर्ष पीएम के आह्वान के बाद पहली बार झंडे की इतनी मांग थी कि ये बाजार से नदारद ही हो गए थे, इस बार वैसी स्थिति नहीं है, क्योंकि महीनों पहले से तैयारी शुरू हो गई थी। उसके अनुसार बिक्री भी हो रही है।
स्वतंत्रता दिवस पर राष्ट्रीय राजधानी में तकरीबन पांच से छह करोड़ रुपये की झंडा बिक्री का अनुमान है। झंडे की बिक्री यहीं हाल डंडे का भी है, अचानक मांग बढ़ने से इसके दाम भी बढ़ गए थे। सदर बाजार, मुख्य मार्ग पर डंडा विक्रेता विनोद गुप्ता ने बताया कि तीन फीट का डंडा 440 रुपये में मिल जा रहा है, जो पिछले वर्ष 600 से 700 रुपये प्रति सैकड़ा तक बिका था।