पटना
उत्तर बिहार की 12 नदियां लाल निशान के पार पहुंच गयी हैं तो दक्षिण की 12 नदियां सूखी पड़ी हैं। बिहार इस समय प्रकृति के अद्भुत विरोधाभाष से जूझ रहा है। एक ओर नदियों में उफान है, तो दूसरी ओर कई बड़ी नदियों में बहने लायक पानी भी नहीं है। उनका जलस्तर गेज (मापने लायक नहीं) के नीचे ही है। दक्षिण बिहार के बड़े जलाशयों में भी पानी नहीं है। इनमें सात सूखे पड़े हैं। जहां है भी तो उनमें पिछले साल की अपेक्षा कम पानी है।
नेपाल और उत्तर बिहार के मैदानी इलाकों में लगातार बारिश के बाद नदियों का जलस्तर काफी तेजी से बढ़ा। यहां तक कि राज्य के दोनों बड़े बराजों पर भी भारी मात्रा में पानी आ गया। कोसी के वीरपुर बराज और गंडक के वाल्मीकिनगर बराज पर इस समय डेढ़ लाख क्यूसेक पानी है। दूसरी ओर, सोन के इन्द्रपुरी बराज पर महज दो हजार क्यूसेक पानी है।
प्रदेश में कम वर्षा कारण
जल संसाधन विभाग के अधिकारियों के अनुसार उत्तर बिहार की नदियों का जलग्रहण क्षेत्र का बड़ा हिस्सा नेपाल में ही है। उधर हो रही बारिश के कारण पानी की मात्रा काफी बढ़ी हुई है। वहीं, दक्षिण बिहार की नदियों के जलग्रहण क्षेत्र में अभी बारिश नहीं हो रही है। इससे वहां पानी नहीं है। उनका यह भी कहना है कि यदि बिहार में भी पर्याप्त बारिश होती तो स्थिति इतनी बदतर नहीं होती। खासकर छोटी नदियों और जलाशयों में तो पानी का स्तर ठीक-ठाक रहता।
ये नदियां खतरे के निशान से ऊपर
गंगा- पटना, कटिहार व भागलपुर, गंडक-गोपालगंज, कोसी-सुपौल, खगड़िया व कटिहार, बागमती-मुजफ्फरपुर, महानंदा-कटिहार, कमला- मधुबनी, लखनदेई- मुजफ्फरपुर, परमान-पूर्णिया, गंडकी-सारण, घाघरा- सारण, माही- सारण, अधवारा- दरभंगा
पानी को तरसी ये नदियां
कररूआ (पटना), तिलैया, सकरी (नवादा), सकरी, पंचाने, नोनई, मोहाने, लोकाइन, गोइठवा, चिरायन, भूतही (नालंदा), जमुने, मोरहर (गया)