कानपुर अलीगढ़
भगवान शिव पर चढ़ाया जाने वाला बेलपत्र अस्थमा और डायरिया जैसे कई रोगों का विनाश कर सकता है। उसमें पाए जाने वाले टैनिन, फ्लोनॉइड्स और काउमेरिंस तत्व इन बीमारियों के उपचार में रामबाण हैं। बेल के फल, फूल, तना व जड़ में भी यह तत्व होते हैं। कानपुर और पंजाब के वैज्ञानिकों की टीम ने चार साल तक रिसर्च के बाद यह निष्कर्ष हासिल किया है। इसे इंटरनेशनल स्कोप इंडेक्स ने प्रकाशित किया है। कानपुर के डा. सौरभ मिश्रा और पंजाब की डॉ. शैलजा ने देश की तीन प्रयोगशालाओं में रिसर्च से संबंधित हजारों प्रयोग कर रिपोर्ट तैयार की है।
डॉ. सौरभ व डॉ. शैलजा ने पंजाब की शुद्धि आयुर्वेदा लैब में 2019 में सह रिसर्च शुरू की थी। नोएडा के बॉटेनिकल गार्डन समेत 05 स्थानों से बेल की पत्ती, फल आदि के सैंपल लिए। उनका टिश्यू कल्चर हुआ। अर्क और पाउडर बनाकर जांच की गई। पता चला कि बेल में टैनिन, फ्लोनॉइड्स और काउमेरिंस तत्व प्रचुर मात्रा में हैं। डॉ. सौरभ मिश्र कानपुर के विकास नगर निवासी हैं और अलीगढ़ के मंगलायतन विवि में बॉयोटेक्नोलॉजी के प्रोफेसर हैं। डॉ. शैलजा शुद्धि आयुर्वेदा लैब में वरिष्ठ वैज्ञानिक हैं।
बेलवृक्ष के यह तत्व फायदेमंद
– टैनिन अस्थमा में कारगर
– फ्लोनॉइड्स अस्थमा और डायरिया में कारगर
– काउमेरिंस डायरिया में कारगर
– फ्लेवोनोइड्स इंसुलिन स्तर संतुलन में मददगार
– पॉलीफेनोल्स इंसुलिन स्तर संतुलन में मददगार
– लिमोनेन बालों की मजबूती में सहायक
– प्रोलैक्टिन मां के दूध की गुणवत्ता सुधारने में कारगर
प्रमुख तथ्य
– 04 साल तक किए प्रयोग
– 03 प्रयोगशालाओं टिश्यू कल्चर
– 10 माह से चल रहा ट्रायल
– 05 स्थानों के बेल पर अध्ययन
मंगलायतन विवि, बॉयोटेक्नोलॉजी, प्रोफेसर सौरभ मिश्रा ने कहा कि रिसर्च में पता चला कि बेलपत्र ही नहीं पूरा बेलवृक्ष का हर हिस्सा औषधियों से भरा है। इन तत्वों का चूर्ण, रस, अर्क के रूप में 10 महीने से अलीगढ़, नोएडा, पंजाब, कानपुर में क्लीनिकल ट्रायल हो रहा है।