भोपाल
राज्य सरकार ने प्रदेश के संविदाकर्मचारियों के लिए नई नीति बनाकर लागू कर दी है लेकिन प्रदेश के सरकारी महकमों के अंतर्गत आने वाले निगम, मंडल, सार्वजनिक उपक्रम, स्थानीय निकाय, विश्वविद्यालय, आयोग, विकास प्राधिकरण, बोर्ड, परिषद और संस्थाओं में इससे संबंधित निर्देशें को अपने यहां संविदाकर्मियों के लिए लागू करने के संबंध में अपने स्तर पर निर्णय लेने का अधिकार दिया है। जीएडी की इस शर्त का निगम-मंडल अपने हिसाब से आंकलन करने में जुट गए है, इससे यहां काम करने वाले कर्मचारियों में रोष व्याप्त है। अब चुनाव पूर्व इन्हें साधने के लिए राज्य सरकार ने जीएडी एसीएस की अध्यक्षता में एक समिति बना दी है। कर्मचारी समिति को अपनी आपत्ति, अपना पक्ष दे सकेंगे।
सामान्य प्रशासन विभाग ने संविदाकर्मियों के लिए जो नई पॉलिसी तैयार की है उसमें शासन के विभागों में चिन्हित पदों और वेतनमान के समकक्ष नियमित पदों के वर्गीकरण में कठिनाई आने पर मुख्य सचिव की अध्यक्षता में गठित समिति द्वारा निराकरण करने का प्रावधान किया गया है। इस समिति में जीएडी, वित्त और संबंधित विभाग के एसीएस, पीएस, सचिव शामिल रहेंगे। समिति बैठक आयोजित कराने और पदों के वर्गीकरण और समकक्षता निर्धारण की कार्यवाही को अंतिम रुप देने का उत्तरदायित्व संबंधित प्रशासकीय विभाग का होगा। यह कार्यवाही दस अगस्त के पहले की जाना थी।
लेकिन इस कार्यवाही से विभागों के अंतर्गत निगम, मंडल, प्राधिकरण के कर्मचारी असंतुष्ट हो रहे है। अब ऐसे कर्मचारियों को साधने के लिए जीएडी के एसीएस विनोद कुमार की अध्यक्षता में एक समिति बनाई गई है। निगम-मंडल में जो निर्णय संविदा पॉलिसी को लेकर लिए जा रहे है उससे यदि कोई पक्ष असंतुष्ट है तो वे अपने अभ्यावेदन इस समिति के समक्ष रख सकेंगे। असंतुष्ट कर्मचारी निर्णय और उसमें अपना पक्ष अपने नाम और अभ्यावेदन के साथ प्रशासकीय विभाग को प्रस्तुत कर सकेंगे। प्रशासकीय विभाग इसका परीक्षण कर समिति के समक्ष निर्णय के लिए प्रस्तुत करेगा। अभ्यावेदन की जीएडी अपर मुख्य सचिव की अध्यक्षता और वित्त तथा प्रशासकीय विभाग के एसीएस, पीएस की सदस्यता वाली समिति के समक्ष प्रस्तुत किया जाएगा। इसके बाद समिति निर्णय लेगी और यह संस्था पर बंधनकारी होगा।