यूपी
नवाबी दौर का नाहल बैराज का निर्माण मुकम्मल हो गया। मकान ध्वस्तक कर नहरें भी कब्जा मुक्त करा ली गईं। लिहाजा 24 साल बाद 12 हजार से ज्यादा किसानों को रबी सीजन से मुफ्त पानी मिल सकेगा। नहरों में टेल तक पानी पहुंचाया जाएगा। नवाबी दौर में फसलों की सिंचाई के लिए पीपली वन में नाहल नदी पर बैराज बनवाया था। बैराज से छह नहरें निकाली गईं। नहरों से स्वार क्षेत्र के 38 गांवों की 16 हजार हेक्टेयर से ज्यादा फसलों की सिंचाई होती थी।
1991 में बैराज क्षतिग्रस्त हो गया। नहरों पर भी लोगों ने अवैध कब्जा कर लिया था। इसलिए 12 हजार से ज्यादा किसानों का 24 साल से नहरों से पानी नहीं मिल रहा था। सिंचाई विभाग ने 2019 में दोबारा नाहल बैराज का निर्माण कराया। इसके निर्माण में 33 करोड़ लागत आई। नहरों की खुदाई का कार्य शुरू कराया कि वन विभाग और नहर विभाग में मुकदमे बाजी शुरू हो गई।
करीब साल भर पहले मामला नहर विभाग के पक्ष में आया। इसके बाद नहरों की खुदाई शुरू कराई। नहर विभाग 100 से ज्यादा मकान ध्वस्त कराकर अधिकतर नहरों की खुदाई मुकम्मल कर ली। आगामी रबी सीजन में नहरों से किसान फसलों की सिंचाई कर सकेंगे।
ये भी जानें
-नाहल बैराज पर खर्च धनराशि 33 करोड़
-बैराज से 38 गांवों के 12230 किसानों को होगा फायदा
-अब 71886 हेक्टेयर भूमि की हो सकेगी नहरों से सिंचाई
बैराज से निकलने वाली नहरें
बगी माइनर, नाहल, शंखा, लोटा, डांडी, अहमदनगर, नुसरतनगर फीडर
अधिशासी अभियंता( नहर), सियाराम ने कहा कि नाहल बैराज 2019 में बनकर तैयार हो गया था। दोबारा निर्माण पर करीब 33 करोड़ खर्च किए गए। अब नहरों की भी मुकम्मल सफाई करा दी गई है। इसके लिए 100 ज्यादा मकान ध्वस्त किए गए। क्षेत्रके किसानों को 24 साल बाद रबी सीजन में नहरों से पानी मिल सकेगा।