Home छत्तीसगढ़ प्रदेश में सामाजिक बहिष्कार के मामले लगातार आ रहे सामने, सक्षम कानून...

प्रदेश में सामाजिक बहिष्कार के मामले लगातार आ रहे सामने, सक्षम कानून बनाना आवश्यक : मिश्र

8

रायपुर

  अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के अध्यक्ष डॉ दिनेश मिश्र ने कहा प्रदेश में सामाजिक बहिष्कार के मामले लगातार सामने आ रहे हैं,जिन पर संज्ञान लेकर त्वरित कार्यवाही एवं सक्षम कानून बनाने की आवश्यकता है। पिछले सप्ताह सामाजिक बहिष्कार के 2 मामले आये जिसमे से एक में तो महासमुंद जिले में समाज से बहिष्कृत एक मृत व्यक्ति के अंतिम संस्कार का भी बहिष्कार कर दिया गया जिससे उस व्यक्ति की बेटियों ने स्वयं अर्थी को कंधा दिया और अंतिम संस्कार किया। वही एक दूसरे मामले में धमतरी जिले के भेंडरवानी में एक परिवार को बहिष्कृत कर हुक्का पानी बंद कर दिया गया है, उस पर जुमार्ना भी लगा दिया गया है।

डॉ दिनेश मिश्र ने बताया कि महासमुन्द जिले के दूरस्थ ग्राम सालड़बरी में ग्राम पटेल हिरन साहू की 75 वर्ष की उम्र में अज्ञात कारणों से मौत हो गयी। मौत के वक्त पिता हिरन के साथ उसका पुत्र अकेला ही था उसने ग्राम में अपने रिश्तेदारों एवम अन्य ग्रामीणों को पिता की मौत की सूचना देता रहा परन्तु किसी की कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली। अंतत: पुत्र ने पिता के मौत की खबर अपनी दोनों विवाहित बहनों तक पहुंचाई. खबर मिलते ही दोनों बहनें एवं मृतक का एक दामाद हिरन के घर पहुच गए। मौत के बाद मृतक के पुत्र पुत्रियों ने ग्राम में यह प्रयास किया कि कोई कंधा उनके पिता को मिल जाये तो उनका ससम्मान अंतिम संस्कार किया जा सके। परन्तु  सामाजिक बहिष्कार के कारण ग्राम में एक भी ऐसा नहीं मिला जो मानवता के नाते ही वृद्ध ग्राम पटेल का अंतिम संस्कार करवा सके। ग्रामीणों की इस अनदेखी से परिवार जन भी सकते में थे। अंतत: मृतक की दोनों विवाहित बेटियों यामिनी साहू और कविता ने पिता को कंधा देकर अंतिम संस्कार किया।

वही धमतरी के निकट भेंडरवानी में अंतरजातीय विवाह के कारण टललूराम और सोनी बाई के परिवार का बहिष्कार कर उनका हुक्का पानी बंद कर रोजी रोटी के लिए, पीने का पानी, सामाजिक काम में शामिल होने पर रोक लगा दी गयी है जिसके कारण उक्त परिवार परेशानी में पड़ गया है। परिवार ने शिकायत भी की है पर अब तक कोई राहत नहीं मिली है। डॉ. दिनेश मिश्र ने कहा कि हमारे यहाँ सामाजिक और जातिगत स्तर पर सक्रिय पंचायतों द्वारा सामाजिक बहिष्कार के मामले लगातार सामने आते रहते हैं। ग्रामीण अँचल में ऐसी घटनाएँ बहुतायत से होती है जिसमें जाति व समाज से बाहर विवाह करने, समाज के मुखिया का ककहना न मानने, पंचायतों के मनमाने फरमान व फैसलों को सिर झुकाकर न पालन करने पर किसी व्यक्ति या उसके पूरे परिवार को समाज व जाति से बहिष्कार कर दिया जाता है व उसका समाज में हुक्का पानी बंद कर दिया जाता है। कुछ मामलों में तो स्वच्छता मित्र बनने पर, तो कहीं आर.टी.आई. लगाने पर भी समाज से बहिष्कृत कर दिया गया है।  पूरे प्रदेश में 30 हजार से अधिक व्यक्ति सामाजिक बहिष्कार जैसी कुरीति के शिकार हैं। इस संबंध में शासन सामाजिक बहिष्कार के संबंध में सक्षम कानून बनाने के लिए पहल करें ताकि अनेक प्रताड़ितों को न्याय मिल सके।