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आईएएस सुहास एलवाई की वजह से सरकार के बच गए थे 100 करोड़, प्रयागराज के डीएम रहते रुकवा दिया था बेशकीमती जमीन का फ्री-होल्‍ड

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नई दिल्ली
टोक्यो पैरालिंपिक में रजत पदक जीतने और अपनी प्रशासनिक शैली को लेकर चर्चा में रहने वाले आईएएस अफसर सुहास एलवाई ने प्रयागराज में डीएम रहते सरकार को 100 करोड़ रुपए से ज्‍यादा की चपत लगने से बचा लिया था। नजूल की जमीन को फ्री-होल्‍ड किए जाने के मामले में उनकी सलाह की वजह से सरकार को यह बचत हुई थी। हालांकि इस मामले में शिकायत के बाद एक जांच समिति का गठन किया गया था। जांच समिति ने भी माना कि आईएएस सुहास एलवाई की वजह से सरकार को 100 करोड़ से ज्‍यादा की बजत हुई।

इस बारे में आईएएस सुहास एलवाई का कहना है कि निजी आवेदक चाहता था कि 100 करोड़ रुपए से अधिक कीमत की जमीन उसे 50 लाख रुपए में दे दी जाए। वह अपने इस मकसद में कामयाब भी हो जाता लेकिन तब उनकी रिपोर्ट के आधार पर कैबिनेट ने जमीन को सार्वजनिक प्रयोजन के लिए फिर से शुरू करने का निर्णय लिया। इस मामले में जनता का पैसा बचाया गया। लिहाजा, इसे जांच समिति ने सही ठहराया।

वर्तमान में सचिव खेल के पद पर तैनात 2007 बैच के आईएएस अधिकारी सुहास एलवाई 2017 में प्रयागराज में डीएम के पद पर तैनात थे। यह मामला तभी का है। भूखंड फ्री होल्ड किए जाने के प्रत्यावेदन पर उनसे पहले जिला प्रशासन की ओर से प्रमुख सचिव आवास को भेेजे गए पत्र कहा गया था कि याची के भूखंडों को एक दिसंबर 2018 के शासनादेश के अनुसार तत्समय परिवर्तित सर्किल रेट के अनुसार फ्री होल्ड किए जाने के अलावा कोई विकल्प नहीं है। इस बारे में बाद में शासन को अनुस्मारक भी भेजा गया था। इसी बीच 26 अक्तूबर 2017 को सुहाल एलवाई ने डीएम का पदभार संभाला।  

जांच रिपोर्ट के अनुसार प्रमुख सचिव आवास ने प्रयागराज के नए डीएम से उक्‍त भूखंड को फ्रीहोल्ड करने के मामले में उच्च न्यायालय के वर्ष 2016 के आदेश के अनुपालन में उनका मंतव्य जानना चाहा। हालांकि इस बारे में पूर्व में जिला प्रशासन से पत्र जा चुका था। इस पर डीएम सुहास एलवाई ने 10 जनवरी 2018 को प्रमुख सचिव आवास को पत्र भेजा। इस पत्र में हरीश टंडन के भूखंडों को स्मार्ट सिटी के लिए सार्वजनिक उपयोग, राजकीय संस्थाओं के उपयोग और इलाहाबाद विकास प्राधिकरण के प्रयोग में लेने के उद्देश्य से पुनर्ग्रहण किए जाने का प्रस्ताव किया गया। इस प्रस्ताव के आधार पर प्रमुख सचिव आवास ने उक्‍त भूखंड के फ्री होल्ड के प्रत्यावेदन को खारिज कर दिया गया था।