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संत शिरोमणि रविदास को भारतीय संस्कृति और जीवन मूल्यों के रक्षक थे – मुख्यमंत्री चौहान

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संत रविदास जी के आदर्शों पर चल रही है राज्य सरकार
प्रधानमंत्री मोदी 12 अगस्त को सागर में संत रविदास जी के भव्य मंदिर और स्मारक का शिलान्यास करेंगे

भोपाल

मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने संत शिरोमणि रविदास को समरसता का अग्रदूत बताते हुये कहा कि वे भारतीय संस्कृति और जीवन मूल्यों के रक्षक थे। उनकी वाणी आज भी प्रासांगिक है। उनकी शिक्षा, व्यक्तित्व, कृतित्व और योगदान को चिरस्थायी बनाने और भावी पीढ़ियों को परिचित कराने के लिये सागर में एक भव्य मंदिर और विशाल स्मारक बनाने का फैसला लिया गया है। उन्होंने प्रसन्नता व्यक्त करते हुये कहा कि मंदिर का भूमिपूजन करने देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 12 अगस्त को सागर पधार रहे हैं। वे बड़तुमा (सागर) में 100 करोड़ रूपये की लागत से संत शिरोमणि रविदास जी के भव्य मंदिर एवं विशाल स्मारक का शिलान्यास करेंगे।

मुख्यमंत्री चौहान संत शिरामणि रविदास जी के मंदिर निर्माण के लिए निकाली जा रही समरसता यात्रा को आज जबलपुर में रामलीला मैदान घमापुर स्थित सामुदायिक भवन में आयोजित जनसंवाद कार्यक्रम को मोबाईल फोन से संबोधित कर रहे थे। उन्होंने अनूपपुर रवाना होते के पहले डुमना एयरपोर्ट से मोबाईल से कार्यक्रम को संबोधित किया और कार्यक्रम में शामिल न हो पाने के लिए क्षमा मांगी।

मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि यह मध्यप्रदेश सरकार का सौभाग्य है कि संत रविदास जी के मंदिर और स्मारक के निर्माण का अवसर मिला है। उन्होंने कहा कि सौ करोड़ रूपये से अधिक की लागत से बनने वाला मंदिर और स्मारक में अनूठा होगा एवं विश्व में एक उदाहरण बनेगा। उन्होंने प्रदेश के सभी नागरिकों के साथ-साथ संस्कारधानी के निवासियों से भी बड़ी संख्या में संत रविदास जी के मंदिर और स्मारक के भूमिपूजन कार्यक्रम में शमिल होने का आग्रह किया।

मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि संत रविदास ऐसे संत थे जिन्होंने सामाजिक सदभाव, समरसता और समानता का मंत्र दिया। वे हमेशा जातिप्रथा, भेदभाव, छुआछूत के विरोधी रहे। वे कहा करते थे कि व्यक्ति जन्म से नहीं बल्कि कर्मों से बड़ा होता है। मुख्यमंत्री ने कहा कि संत रविदास परोपराकारी और दयालु थे। वे अपनी मेहनत और परिश्रम से जो धन अर्जित करते थे उसे दीन दुखियों की और संत सेवा में लगा देते थे।

मुख्यमंत्री ने कहा कि संत रविदास कहते थे कि '' ऐसा चाहूँ राज मैं, जहाँ मिले सबन को अन्न, छोटे-बड़े सब सम बसें, रविदास रहे प्रसन्न''। उनकी इसी शिक्षा और आदर्शों का अनुसरण कर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी तथा मध्यप्रदेश की हमारी सरकार गरीबों को नि:शुल्क राशन दे रही है, मुख्यमंत्री आवासीय भू-अधिकार योजना के अंतर्गत रहने के लिए जमीन और पक्का आवास उपलब्ध करा रही है, बीमार होने पर नि:शुल्क इलाज तथा बच्चों की पढ़ाई-लिखाई की व्यवस्था भी सरकार कर रही है। अनूसूचित जाति-जनजाति के तथा गरीब परिवार के बेटे-बेटियों को छात्रवृत्ति की योजनाओं के माध्यम से पढ़ाई की नि:शुल्क व्यवस्था की है।

मुख्यमंत्री चौहान ने कहा कि संत रविदास जी के आदर्शों को आत्मसात करते हुये सरकार ने समाज में समरसता के लिए अनेक प्रयत्न किये हैं। माँ-बहनों और बेटियों को सामान अधिकार मिले इसके लिये लाड़ली लक्ष्मी योजना बनाई गई, स्थानीय निकायों के चुनावों में महिलाओं के लिए 50 प्रतिशत स्थान आरक्षित किये गये तथा पुलिस में भर्ती के लिए बेटियों को 30 प्रतिशत आरक्षण दिया गया है।

लाड़ली बहना योजना का जिक्र करते हुये कहा कि मुख्यमंत्री ने कहा कि महिला सशक्तिकरण के लिये यह योजना इसीलिए बनाई ताकि किसी भी बहन की आँखों में आंसू नहीं रहें और उनकी जिंदगी में कोई मजबूरी न रहे। अब महिलायें भी मजबूत बनकर प्रदेश और देश की प्रगति में अपना योगदान देंगी।

मुख्यमंत्री ने बहनों को याद दिलाया कि कल दस तारीख और लाड़ली बहना दिवस है। वे रीवा में आयोजित समारोह में लाड़ली बहनों के खाते में एक हजार रूपये कि तीसरी किश्त भेजेंगे करेंगे। उन्होंने कहा कि लाड़ली बहना योजना की यह राशि केवल एक हजार नहीं रहेगी। धीरे-धीरे इसे बढ़ाकर तीन हजार रूपये महीने तक ले जाया जायेगा।

मुख्यमंत्री चौहान ने संत रविदास के आदर्शों का पालन करने संकल्प दोहराया। उन्होने कहा कि सरकार समाज की तथा समाज में भी जो सबसे पीछे और नीचे हैं उनकी सेवा करती रहेगी। मुख्यमंत्री चौहान ने समरसता यात्रा में शामिल साधु संतों को प्रणाम किया।

चौहान ने संत शिरोमणि रविदास जी के जयकारे लगाये। कार्यक्रम में महामंडलेश्वर स्वामी अखिलेश्वरानंद गिरी महाराज जी, परमपूज्य छिपेश्वर महाराज सहित अन्य संत गण व यात्रा के संयोजक तथा जन अभियान परिषद के उपाध्यक्ष डॉ. जितेन्द्र जामदार, विधायक अजय विश्नोई, अशोक रोहाणी, श्रीमति नंदिनी मरावी, जिला पंचायत के अध्यक्ष संतोष वरकड़े, पूर्व विधायक अंचल सोनकर तथा रत्नेश सोनकर व अभिलाष पांडे सहित कई गणमान्य नागरिक तथा बड़ी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित रहे।

समरसता यात्रा के दौरान संत शिरोमणि रविदास जी महाराज के चरण पादुका को सिर पर रखकर अंचल सोनकर तथा समरसता ध्वज को राम सोनकर द्वारा सभा स्थल पर लाया गया। जनसंवाद के बाद पवित्र मिट्टी व जल अगली यात्रा के लिये अखिलेश्वरानंद महाराज को सौंपी गई।