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बनने से पहले ही बिखरने लगा विपक्ष का INDIA, तृणमूल के खिलाफ बंगाल में ताल ठोकेगी CPM

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कोलकाता
26 विपक्षी दलों का गठबंधन INDIA के सामने चुनौतियां ही चुनौतियां दिख रही हैं। सोमवार को राज्यसभा में पहली परीक्षा में गठबंधन एकजुट रहते हुए भी दिल्ली सर्विस बिल को पास कराने से रोक पाने में नाकाम रहा। अब पश्चिम बंगाल में गठबंधन के दो दलों के बीच खटपट तेज हो गई है। भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) या CPI (M)) की केंद्रीय समिति ने पश्चिम बंगाल इकाई को 2024 के लोकसभा चुनावों में तृणमूल कांग्रेस (TMC) के खिलाफ उम्मीदवार उतारने की अनुमति दे दी है। हालांकि, पार्टी ने अन्य राज्यों की पार्टी यूनिट को वस्तुस्थिति के अनुसार रणनीति बनाने की छूट दी है।

 सीपीआई (एम) के एक वरिष्ठ नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “सीपीआई (एम) महासचिव सीताराम येचुरी ने तीन दिवसीय बैठक के बाद दिल्ली में केंद्रीय समिति के सदस्यों से कहा कि बंगाल में जमीनी हकीकत अन्य राज्यों से काफी अलग है। उन्होंने कहा कि हालांकि बीजेपी को अलग-थलग करना विपक्षी गठबंधन का एकमात्र उद्देश्य है, लेकिन सीपीआई (एम) की बंगाल इकाई टीएमसी की सहयोगी नहीं बन सकती है क्योंकि TMC प्रमुख प्रतिद्वंद्वी पार्टी है।"

पश्चिम बंगाल में जहां बीजेपी ने 2024 के आम चुनावों में 42 लोकसभा सीटों में से 35 सीटें जीतने का लक्ष्य रखा है, जो 2019 में जीती गई सीटों (18) से करीब दोगुना है, वहीं विपक्षी गठबंधन आपस में ही मुकाबला करने को तैयार हैं। सीपीआई (एम) पोलित ब्यूरो के सदस्य और बंगाल यूनिट के राज्य सचिव मोहम्मद सलीम ने कहा, “द्वंद्व स्पष्ट है। बीजेपी को लगता है कि उसे टीएमसी विरोधी वोट मिलेंगे लेकिन हम इसकी इजाजत नहीं देंगे। अब कांग्रेस को बंगाल पर अपना फैसला लेने दीजिए। हमने अपना मन बना लिया है।”

बता दें कि 2011 के विधानसभा चुनावों में, जिसमें टीएमसी ने 34 साल पुरानी वाम मोर्चा सरकार को उखाड़ फेंका था, ममता बनर्जी कांग्रेस की सहयोगी थीं। बाद में कांग्रेस पार्टी गठबंधन सरकार से बाहर हो गई थी। अब सीपीआई (एम) के रुख से अटकलें शुरू हो गईं हैं कि बंगाल में कांग्रेस भी इसी तरह की रणनीति अपना सकती है।

एक वरिष्ठ कांग्रेस नेता ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, “टीएमसी के साथ चुनावी गठबंधन के लिए जाना, जिसके खिलाफ हमने 2014 के लोकसभा चुनावों के बाद से सभी चुनाव लड़े हैं, केवल भाजपा की मदद करेगा और INDIA के मूल उद्देश्य को खत्म कर देगा; ऐसे में सभी टीएमसी विरोधी वोट बीजेपी की झोली में जा सकते हैं।'' उन्होंने कहा कि बंगाल की अजीबोगरीब स्थिति पर कांग्रेस के राष्ट्रीय नेतृत्व ने भी चर्चा की है।

ममता बनर्जी के कट्टर आलोचक, बंगाल प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी, जो अक्सर मुख्यमंत्री पर भाजपा के साथ “घनिष्ठ समझ” रखने का आरोप लगाते रहे हैं, टीएमसी के साथ गठबंधन पर कोई टिप्पणी नहीं की। उन्होंने कहा, “भाजपा हानि और लाभ पर अपनी गणना करने के लिए स्वतंत्र है। हम अभी किसी भी गठबंधन से दूर हैं। इसलिए अटकलें लगाने का कोई मतलब नहीं है?”