झांरखंड
गढ़वा जिले में कई स्कूल ऐसे हैं जहां तक पहुंचने के लिए सुगम रास्ता नहीं है। वह भी प्राइमरी स्कूल, जहां छोटे-छोटे बच्चे पढ़ाई करते हैं। स्कूल भवन तक सड़क नहीं होने से वहां पहुंचने में छात्रों और शिक्षकों को भारी परेशानी उठानी पड़ती है। सबसे अधिक परेशानी बरसात के मौसम में होती है। नतीजतन दुर्गम रास्ते वाले स्कूलों में विद्याथिर्यों की उपस्थिति काफी कम हो जाती है। बच्चों को कीचड़ और झाड़ियों से गुजरने के दौरान सांप-बिच्छू का भय भी सताता रहता है।
स्कूल तक पहुंचने के लिए दो किलोमीटर का पैदल सफर:
डंडई प्रखंड के राजकीय मध्य विद्यालय बैरियादामर के लिए भी सड़क की सुविधा नहीं है। 2004 में 20 लाख रुपए की लागत से नया स्कूल भवन बना। यहां 264 छात्र-छात्राएं पड़ते हैं। लेकिन स्कूल तक पहुंचने से दो किलोमीटर पहले ही अपना वाहन छोड़ना पड़ता है। वहां से पैदल ही स्कूल तक जाना होता है। बारिश के दिनों में मेड़ की फिसलन पर पैदल चलना भी मुश्किल होता है। इस वजह से बच्चे बरसात के दिनों में स्कूल नियमित रूप से नहीं पहुंचते हैं। वहीं शिक्षक अपने हाथ में जूता-चप्पल लेकर स्कूल तक किसी तरह पहुंचते हैं। राजकीय मध्य विद्यालय बैरियादामर के प्राचार्य अंबिका मांझी बताते हैं कि स्कूल में पढ़ाते उनको आठ साल हो गये। स्कूल आने-जाने के लिए अबतक सड़क नहीं बनी है। वहीं बैरियादामर निवासी वार्ड सदस्य सलाहुद्दीन अंसारी के अनुसार स्कूल तक जाने के लिए सड़क जरूरी है लेकिन रैयती जमीन होने के कारण सड़क नहीं बन पा रही है। रैयत जमीन देने को तैयार हो जाएं तो सड़क बन जाएगी।
आदर्श पंचायत बीरबल में पगडंडियों के भरोसे स्कूल:
इसी तरह सगमा प्रखंड में झारखंड-यूपी सीमा पर स्थित नव प्राथमिक विद्यालय मकरी तक के लिए भी सड़क नहीं बनी। पिछले 14 साल से बच्चे मेड़ से होकर स्कूल आते-जाते हैं। यह स्कूल बीरबल पंचायत अंतर्गत आता है। इस पंचायत को प्रशासन की ओर से आदर्श पंचायत घोषित किया गया है। ग्रामीणों के मुताबिक बारिश के मौसम में खेतों में जब फसल लग जाती है तो बच्चों का स्कूल जाना मुश्किल हो जाता है। स्कूल के प्रधानाध्यापक अशोक कुशवाहा ने बताया कि स्कूल तक सड़क नहीं है। रास्ते में उतमाही नहर है। उसको भी कई बार जेसीबी लगाकर खोद दिया जाता है। उस पर बांस-बल्ली बिछाकर चचरी बनायी गयी है जिस पर से छात्र और शिक्षक आना-जाना करते हैं। मकरी गांव के कुशवाहा टोला निवासी विनोद ठाकुर और उमेश कुशवाहा बताते हैं कि स्कूल तक पहुंचने के लिए सड़क नहीं होने से बच्चों और शिक्षकों को कठिनाई होती है। ग्रामीणों ने स्कूल तक सड़क बनाने के लिए प्रशासन से सड़क बनाने की मांग कई मर्तबा की गई है।
बारिश होने पर स्कूल के रास्ते के नाले में लबालब पानी :
इसके अलावा प्राथमिक विद्यालय सेंधा और मध्य विद्यालय मकरी तक पहुंचने के लिए सड़क नहीं है। प्रखंड में सात ऐसे स्कूलों की पहचान की गई है जहां तक सड़क नहीं है। पंचायत समिति की पिछले दिनों हुई बैठक में ऐसे स्कूलों तक सड़क बनाने का प्रस्ताव भी पारित किया गया। लेकिन अब तक सड़क निर्माण की पहल नहीं हुई। उसी तरह रंका प्रखंड में उत्क्रमित मध्य विद्यालय सलैयादामर, उत्क्रमित मध्य विद्यालय कर्री, उत्क्रमित प्राथमिक विद्यालय सेमरखांड़ कर्री, प्राथमिक विद्यालय बुढ़ियाडेरा बरदरी, प्राथमिक विद्यालय कठौतिया टोला बरदरी, प्राथमिक भौंरा टोला चुतरू, प्राथमिक विद्यालय जून, प्राथमिक विद्यालय गांगोडीह, प्राथमिक विद्यालय मखातू, प्राथमिक विद्यालय कबीरदास नगर खपरो सहित अन्य स्कूलों तक के लिए भी पहुंच पथ नहीं है। उत्क्रमित मध्य विद्यालय कर्री का भवन तो 1960 में बना है। 63 साल में अबतक स्कूल तक सड़क नहीं बनी। उत्क्रमित मध्य विद्यालय कर्री के प्रधानाध्यापक सत्येंद्र कुमार सिंह ने बताया कि स्कूल से पहले एक नाला पड़ता है। बारिश के दिनों में नाले में पानी भर जाता है और छात्र तथा शिक्षकों को आने-जाने में परेशानी होती है। अधिक बारिश होने पर नाले में पानी लबालब हो जाता है तो बच्चों का स्कूल आना लगभग बंद हो जाता है। वहीं कांडी प्रखंड में प्राथमिक विद्यालय सबुआ, प्राथमिक विद्यालय महबिया, नव प्राथमिक विद्यालय बहेरवाखांड़ी तक अब तक सड़क नहीं बनी है।