इंफाल
मणिपुर में हिंसा की आग बुझने का नाम नहीं ले रही है। आंकड़े भले ही मरने वालों की संख्या 160 बताते हों लेकिन लगातार हो रही हिंसा को देखें तो समझ में आता है कि इस उपद्रव में मारे गए लोगों की गिनती नहीं हो पाई है। शनिवार को भी कम से कम 6 लोगों की मौत हो गई जिसमें आईआरएफ का एक जवान भी शामिल है। जानकारी के मुताबिक देर रात तक कई इलाकों में गोलीबारी होती रही। क्वाता इलाके में मैतेई समुदाय के तीन लोगों को उनके घरों में ही मार दिया गया। हत्या के बाद हमलावरों ने शव को भी तहस-नहस कर दिया। इसके कुछ ही घंटों बाद चुराचांदपुर जिले में कुकी समुदाय के दो लोगों की हत्या कर दी गई। यह भी पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि क्या अलग-अलग जगहों पर हुई इन हत्याओं में कोई कनेक्शन है?
3 मई से ही राज्य हिंसा की चपेट में है। अब तक 160 लोगों के मारे जाने की पुष्टि की गई है। गुरुवार रात विष्णुपुर के आईआरएफ शस्त्रागार पर हुए हमले में एक जवान घायल हो गया था जिसकी बाद में मौत हो गई। बता दें कि विष्णुपुर में शस्त्रागार पर हमला करके भीड़ ने सैकड़ों राइफल और हजारों राउंड गोलियां छीन ली थीं। दरअसल आईटीएलएफ ने 35 लोगों का सामूहिक अंतिम संस्कार करने का ऐलान किया था। जब प्रशासन ने ऐसा करने से रोका तो भीड़ ने आईआरएफ के हेडक्वार्टर पर हमला कर दिया और हथियार, गोला-बारूद लूट लिए।
मैतेई लोगों ने भी इस सामूहिक अंतिम संस्कार का विरोध किया था। इसके बाद हिंसा शुरू हो गई। वहीं एक वीडियो और सामने आया था जिसमें मणिपुर पुलिस और असम राइफल्स के सैनिक के बीच बहस हो रही थी पुलिसकर्मी का आरोप था कि सेना द्वारा नियंत्रित सैनिक उन्हें अपना कामम नहीं करने दे रहे हैं। इस मामले से संबंध रखने वाले एक अधिकारी ने कहा कि असम राइफल्स के जवान वही कर रहे हैं, उन्हें जो आदेश दिया जा रहा है।
उन्होंने कहा कि कंबाइंड हेडक्वार्टर द्वारा बफर जोन बनाने के लिए सड़क पर वाहन खड़े किए गए थे। प्रोटोकॉल के मुताबिक केंद्रीय बल बफर जोन बनाकर समुदायों को भिड़ने से रोकते हैं ताकि शांति बहाल की जा सके। एक दूसरे अधिकारी ने हिंसा की जानकारी देते हुए कहा कि पहला हमला क्वाता में हुआ जहां बफर जोन बनाया गया था। मरने वालों की पहचान युमनाम पिशाक मैतेई (67 साल) और उनके बेटे युमनाम प्रेमकुमार मैतेई के रूप में हुई है। इसके अलावा उनके पड़ोसी युमनाम जितेन मैतेई की भी हत्या कर दी गई।
प्रेम कुमार विलेज डिफेंस वॉलेंटियर था। वहां के एक स्थनीय शख्स ने कहा कि जब लोगों ने गोली की आवाज सुनी तो वे भागे। एक महिला और पुलिस कमांडो को भी गोली लगी है। थोड़ी देर में सीनियर पुलिस अधिकारी और सुरक्षाबल के जवान मौके पर पहुंचे। इसके बाद उपद्रवियों और सुरक्षाबलों में गोलीबारी शुरू हो गई। वहीं चुराचांदपुर इलाके में जॉनी गाइये और जांगखोमांग हाओकिप की हत्या कर दी गई। दोनों ही एक गांव के वॉलंटियर थे।
भाजपा विधायक ने सुरक्षाबलों पर लगाया लापरवाही का आरोप
भारतीय सेना का दावा है कि मोंगचाम इलाके में उन्होंने कुकी इंडिपेंडेंट आर्मी के एक उग्रवादी को पकड़ लिया है। उसके पास से हथियार और गोला-बारूद भी बरामद किया गया है। वहीं मणिपुर पुलिस कंट्रोलरूप का कहना हैकि बीते दो दिनों में कई जगहों पर घर जलाए जाने और झड़प की सूचना मिली है। भाजपा विदायक आरके इमो ने कहा है कि उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्रालय को ज्ञापन भेजकर बताया है कि यहां फोर्स के मौजूद होने के बावजूद हिंसा हुई। यहां लापरवाही की गई इसलिए सुरक्षाबलों के खिलाफ भी कार्रवाई की जानी चाहिए। उनकी मौजूदगी में उपद्रवी गांव में घुस गए और तीन लोगों की हत्या कर दी।