नई दिल्ली
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आज ही के दिन यानी कि 5 अगस्त 2020 को संसद में जम्मू-कश्मीर से अर्टिकल 370 हटाने का ऐलान किया था। इसके बाद से वहां के हालात लगातार बदल रहे हैं। शिया मुस्लिमों को उनका हक तो मिला ही है साथ ही 34 साल के बाद श्रीनगर में ताजिया निकाला गया। इसके अलावा पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) से आए शरणार्थियों को भी नागरिकता दी गई है। इन चार वर्षों में घाटी की स्थिति काफी बदली है। अधिकारियों का कहना है कि अर्से से चल रहा आतंकवाद रातोंरात खत्म नहीं हो सकता, लेकिन आज घाटी में आम लोग बदलाव महसूस कर रहे हैं। उनका डर खत्म हो रहा है। चुनिंदा लोगों की आतंकियों से सहानुभूति की तुलना में बड़ी संख्या ऐसे लोगों की है, जो विकास और शांति के पक्षधर हैं। अनुच्छेद 370 समाप्त होने के बाद केंद्रीय योजनाओं का लाभ उन्हे मिल रहा है।
मुहर्रम का जुलूस निकाला
जम्मू-कश्मीर की राजधानी श्रीनगर में 90 के दशक में आतंकवाद फैलने के बाद मुहर्रम का जुलूस नहीं निकाला गया था। अब जुलूस निकलना और इस दौरान कोई घटना नहीं होने को अधिकारी कश्मीर में सामान्य होते हालात का एक और पुख्ता सबूत मानते हैं।
बकरवालों को आरक्षण
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने जम्मू-कश्मीर में गुज्जर और बकरवालों को एसटी आरक्षण देना का ऐलान किया है। जल्द ही संसद में इसको लेकर एक बिल पेश किया जा सकता है। आपको बता दें कि जम्मू-कश्मीर में गुज्जर और बकरवाल की अच्छी आबादी है। जनगणना के मुताबिक जम्मू-कश्मीर में कुल जनजातीय आबादी करीब 15 लाख है। इनमें करीब 13 लाख की आबादी सिर्फ गुज्जर और बकरवाल समुदाय के लोगों की है।
पीओके शरणार्थियों को नागरिकता
जम्मू-कश्मीर में पीओके से आए शरणार्थियों को भी नागरिकता मिली है। अमित शाह जब नागरिकता संसधोन विधेयक बिल पर सरकार का पक्ष रख रहे थे तो उन्होंने कहा था कि पीओके हमारा है और वहां के लोग भी हमारे हैं। इसके अलावा कभी पंजाब के गुरदासपुर से ले जाकर बसाए गए हजारों वाल्मीकि परिवारों को भी उनका हक मिला है। जम्मू-कश्मीर में इससे पहले लड़कियों को दूसरे राज्य में शादी करने का अधिकार नहीं था। वह स्थिति भी बदल गई है। अब उन्हें भारत में किसी भी राज्य में शादी का अधिकार है। अब उन्हें ऐसी स्थिति में संपत्ति पर अधिकार नहीं छोड़ना पड़ेगा।
आतंकी घटनाओं में आई कमी
अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद घाटी में 78 फीसदी तक घटनाओं में कमी का दावा एजेंसियों द्वारा किया जा रहा है, लेकिन आंकड़ों के मुताबिक वर्ष 2015 से 4 अगस्त, 2019 तक की अवधि के मुकाबले 5 अगस्त, 2019 को अनुच्छेद 370 समाप्त होने के बाद से आतंकी घटनाओं में 30 फीसदी से ज्यादा की कमी आई है। सुरक्षा बलों और नागरिकों की मौत में 42 फीसदी तक की कमी आई है। अकेले सुरक्षा बलों के जवानों के शहीद होने की घटनाओं में 57