नईदिल्ली
सुप्रीम कोर्ट ने मोदी सरनेम मामले में कांग्रेस नेता राहुल गांधी को मिली सजा के निलंबन की याचिका पर सुनवाई की. इस दौरान कोर्ट ने राहुल गांधी के विरोध में दलीलें दे रहे शिकायतकर्ता पूर्णेश मोदी के वरिष्ठ वकील महेश जेठमलानी से पूछा कि अदालत ने अधिकतम सजा देने के क्या ग्राउंड दिए हैं. कम सजा भी तो दी जा सकती थी. उससे संसदीय क्षेत्र की जनता का अधिकार भी बरकरार रहता. इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने राहुल गांधी को सुनाई सजा के फैसले पर रोक लगा दी है. जब तक अपील लंबित रहेगी, तब तक सजा पर रोक बरकरार रहेगी. कोर्ट के इस आदेश के साथ ही राहुल गांधी की संसद सदस्यता भी बहाल हो गई है. अब वे संसद सत्र में भी हिस्सा ले सकेंगे.
राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने कहा राहुल गांधी पर मानहानि के मुकदमे में सजा पर रोक का सुप्रीम कोर्ट का फैसला स्वागतयोग्य है। यह सच्चाई एवं न्याय की जीत है।
मोदी' उपनाम टिप्पणी मामले में सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि निचली अदालत के न्यायाधीश द्वारा अधिकतम सजा देने का कोई कारण नहीं बताया गया है, अंतिम फैसला आने तक दोषसिद्धि के आदेश पर रोक लगाने की जरूरत है।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा है की इसमें कोई संदेह नहीं है कि बयान अच्छे मूड में नहीं होते हैं, सार्वजनिक जीवन में व्यक्ति से सार्वजनिक भाषण देते समय सावधानी बरतने की उम्मीद की जाती है। जैसा कि इस अदालत ने अवमानना याचिका में उनके हलफनामे को स्वीकार करते हुए कहा, उन्हें (राहुल गांधी) अधिक सावधान रहना चाहिए था।
'मोदी' उपनाम टिप्पणी मामले में सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि कोर्ट जानना चाहता है कि अधिकतम सज़ा क्यों दी गई? अगर 1 साल 11 महीने की सजा दी होती तो वे (राहुल गांधी) अयोग्य (लोकसभा सदस्यता) नहीं ठहराए जाते।
राहुल गांधी के वकील ने कहा कि पहले ही वह संसद के दो सत्रों को खो चुके हैं। वायनाड लोकसभा क्षेत्र की जनता अब तक अपने प्रतिनिधि से वंचित है। इसलिए इस फैसले पर जल्दी फैसला लेना चाहिए। सिंघवी ने इस केस में याचिका दाखिल करने वाले पूर्णेश मोदी पर भी सवाल उठाया। उन्होंने कहा कि पूर्णेश मोदी का तो असली सरनेम ही मोदी नहीं है। यह सरनेम उन्होंने अपने नाम में बाद में जोड़ा था। अभिषेक मनु सिंघवी के बाद पूर्णेश मोदी का पक्ष रख रहे वकील महेश जेठमलानी अपनी दलीलें देंगे, जिसके बाद कोई फैसला लिया जा सकता है।