भोपाल
चुनाव के लिए एक्शन मोड में आ चुकी भाजपा ने आने वाले दिनों में पार्टी से टिकट की दावेदारी करने वालों के लिए एक नया टिकट क्राइटेरिया तय कर दिया है। इस नए क्राइटेरिया में वे कार्यकर्ता और नेता भी आएंगे जो अपने विधानसभा क्षेत्र में एक माह के भीतर कम से कम दो हजार नव मतदाताओं के नाम वोटर लिस्ट में जुड़वाएंगे। इन नेताओं को टिकट की दावेदारी जिला अध्यक्षों, जिला संयोजकों के माध्यम से करना होगी। उधर जिला संयोजकों को भी प्रदेश संगठन ने नई जिम्मेदारी के साथ फील्ड में उतार दिया है।
भाजपा में टिकट दावेदारी का यह नया क्राइटेरिया मंगलवार की रात हुई वर्चुअल बैठक में तय किया गया है। पार्टी सूत्र बताते हैं कि प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा ने यह प्रस्ताव रखा कि वोटर लिस्ट में जो नेता, कार्यकर्ता 2 हजार नव मतदाताओं के नाम जुड़वाएंगे, उन्हें टिकट देने के दौरान होने वाली चर्चा में क्राइटेरिया के दायरे में माना जाएगा। प्रदेश चुनाव प्रभारी भूपेंद्र यादव ने इसका समर्थन किया जिस पर प्रदेश के सभी प्रमुख नेताओं ने सहमति जताई है।
इसके बाद अब यह साफ हो गया है कि टिकट के लिए दावेदारी करने वाले नेताओं को अगस्त महीने में उस विधानसभा में एक्टिव होकर घर-घर संपर्क करना होगा जिस विधानसभा से वे टिकट चाहते हैं। वहां से नव मतदाताओं की जानकारी निकालकर उन्हें वोटर बनाने के लिए आवेदन कराना होगा। फिर अपने द्वारा जुड़वाए गए नामों को संगठन को भेजना होगा।
15 अगस्त को रूठों को मनाएंगे जिला संयोजक
जिला संयोजकों की पहली बैठक में प्रदेश संगठन के नेताओं ने कहा है कि वे 15 अगस्त तक अपने प्रभार वाले जिले के सभी रूठे और असंतुष्ट नेताओं से संपर्क करेंगे। उनसे संवाद कर समझाएंगे कि पार्टी है तो सब कुछ है। उन्हें जिम्मेदारियां सौंपेंगे ताकि वे काम में जुटकर पार्टी के लिए काम करने लगें। इसके अलावा पुराने कार्यकर्ताओं को भी एक्टिव मोड में लाने की जिम्मेदारी जिला संयोजकों को सौंपी गई है।
यह भी जिम्मेदारी सौंपी
बीजेपी के प्रदेश चुनाव प्रभारी भूपेंद्र सिंह, प्रदेश चुनाव प्रबंधन समिति के संयोजक नरेंद्र सिंह तोमर, मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान, प्रदेश अध्यक्ष वीडी शर्मा, प्रदेश संगठन महामंत्री हितानंद शर्मा ने चुनावी तैयारी को लेकर बुलाई गई वर्चुअल बैठक में यह भी कहा कि चूंकि दो अगस्त से मतदाता सूची में नए नाम जोड़ने, काटने का अभियान शुरू हो रहा है। इसलिए अधिक से अधिक लोगों के नाम जुड़वाने का काम करना है।
जो लोग शिफ्ट हो गए हैं और जिनके पते बदल गए हैं, वे संबंधित बूथ में वोट देने नहीं आते हैं, ऐसे लोगों के नाम चिन्हित कर उनके नाम कटवाने हैं। पार्टी समर्थक वोटर्स के नाम अगर वोटर लिस्ट में नहीं जुड़े हैं तो 31 अगस्त तक चलने वाले अभियान में नाम जुड़वाकर उन्हें वोटर बनाना है। बूथों पर लगने वाले विशेष कैम्पों में बूथ टीम के साथ स्थानीय नेताओं, पदाधिकारियों की मौजूदगी भी तय करना है।