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एक तरफ कचरे का लग रहा अंबार, तो दूसरी तरफ झूठा फीडबैक लेती रही स्वच्छता टीम

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क्या स्वच्छता अभियान की जांच कचरा गाड़ी आने और ना आने तक सीमित…?

सारनी
जिले की सबसे भ्रष्ट कही जाने वाली सारनी नगरपालिका साल भर  सफाई कार्य में पीछे खड़ी नजर आती है। मगर जैसे ही स्वच्छता टीम का सारनी आगमन होता है उसके पहले ही सारी साफ सफाई व्यवस्था सुचारू रूप से चालू हो जाती है। जहां सार्वजनिक रूप से बने शौचालय में वर्षभर ताला लटका रहता है वहीं  स्वछता टीम के आने के पहले ही खोलकर चकाचक साफ कर दिया जाता है। इससे भी बड़े आश्चर्य की बात तो यह है कि स्वच्छता टीम के माध्यम से सिर्फ वार्ड के लोगों से यह फीडबैक लिया जाता है कि क्या कचरा गाड़ी आती है या नहीं।

धरातल पर लगे कचरे के अंबार नगरपालिका के स्वच्छता अभियान की पोल खोलते दिखाई दे रहा है। वार्ड क्रमांक 21 हॉस्पिटल कॉलोनी में स्वच्छता विभाग की टीम सर्वे करती रही वहीं दूसरी तरफ नगर पालिका के कर्मचारियों द्वारा वार्ड में फैले कचरे को साफ करने की वजह छुपाते नजर आए। इस बात से अंदाजा लगाया जा सकता है कि नगर पालिका का स्वच्छता अभियान किस स्तर पर चल रहा है। एक तरफ तेजी से 36 वार्ड की जनसंख्या कम होती जा रही है वहीं दूसरी तरफ तेजी से बालों में कचरा बढ़ता जा रहा है नगरपालिका के मुताबिक प्रतिदिन 18 टन कचरा 36 वार्ड से निकलता है जिसे डिस्पोज किया जाता है। अब इस डिस्पोज की असली स्थिति अगर आपको देखना है तो आपको नगरपालिका ट्रेंचिंग ग्राउंड के पीछे जाना होगा। जहां वन विभाग की जमीन पर हरे भरे पौधों को नुकसान पहुंचा कर मिनी टीचिंग ग्राउंड निर्माण कर दिया गया है। जितना कचरा ट्रेचिंग ग्राउंड के अंदर है उससे कई गुना ज्यादा ट्रेचिंग ग्राउंड के बाहर वन क्षेत्र में पड़ा हुआ है।

 तो नगरपालिका 18 टन कचरा किस तरह से डिस्पोज कर रही है जांच का विषय बना हुआ है। वही जहां ट्रेंचिंग ग्राउंड में सालों से कचरा छटाई का कार्य बंद था। वह टीम के आने से पहले ही 15 से 20 मजदूरों को लगाकर यह कार्य चालू कर दिया गया। 36 वार्ड से निकलने वाले कचरे में गीला सूखा और कई तरह का बायो वेस्ट मटेरियल भी होता है जिन्हें बॉक्स के हिसाब से अलग-अलग छाटने का कार्य किया जाना चाहिए। क्या इतने सालों में नगरपालिका के माध्यम से यह रिकॉर्ड मेंटेन किया गया कि कितना कचरा बायो वेस्ट मटेरियल का एकत्रित किया गया है और इसे डिस्पोज करने का कार्य किया गया है।

 कई बार स्थितियां उत्पन्न हुई है कि नगरपालिका के माध्यम से ट्रेंचिंग ग्राउंड के पीछे संजय निकुंज नर्सरी में कचरे को डंप कर उसमें आग लगा दी गई है। जिसमें उसमें कई ऐसे पदार्थ भी जले हैं जिसके धुए से प्रकृति और मानव जीवन पर बुरा असर पड़ा है। नगरपालिका के अधिकारियों और यहां के चुने हुए परिषद के नेताओं का यह हाल है कि बादल देखते ही पोतला फोड़ना शुरू कर देते है। इन्हें इंदौर की तर्ज पर काम करना चाहिए जिससे सारणी हमेशा स्वच्छ और साफ बनी रहे।