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दिल्ली सेवा बिल लोकसभा में हो गया पेश, विरोध में रही कांग्रेस, राज्यसभा में गड़बड़ा सकता है AAP का गणित

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नईदिल्ली

दिल्ली सेवा बिल को मंगलवार को लोकसभा में पेश कर दिया गया. गृह राज्य मंत्री नित्यानन्द राय ने इस बिल को पेश किया है.वहीं बीजेडी ने भी इस बिल को लेकर मोदी सरकार का समर्थन करने का ऐलान कर दिया है.  सूत्रों के मुताबिक दिल्ली सेवा बिल और विपक्ष के लाए अविश्वास प्रस्ताव पर मोदी सरकार को बीजेडी का भी साथ मिल गया है. बीजेडी के कारण दोनों सदनों में मोदी सरकार के अंकगणित में भी बढ़ोतरी हो जाएगी.

बीजेडी के लोकसभा में 12 सांसद हैं. वहीं बीजेडी के राज्य सभा में नौ सांसद हैं. बीजेडी के समर्थन के बाद दिल्ली सेवा बिल का राज्य सभा में पारित होना पक्का हो गया है. यह आम आदमी पार्टी को बड़ा झटका है. दिल्ली सेवा बिल के पक्ष में अब कम से कम 128 वोट पक्के हो गए हैं.

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    गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने पेश किया बिल

संविधान के तहत लाया गया है बिल: शाह

गृहमंत्री अमित शाह ने संसद में बिल पेश होने से पहले कहा कि हमारे संविधान ने इस सदन को संपूर्ण सत्ता दी है दिल्ली राज्य के लिए कोई कानून लाने की. उन्होंने कहा कि सर्वोच्च न्यायालय अपने फैसले के पैरा 6, 95 और 164 एफ में स्पष्ट ने किया है कि संसद दिल्ली संघ राज्य क्षेत्र के लिए कोई भी कानून बना सकता है, इसलिए बिल को लेकर जो आपत्तियां जताई, वह राजनीतिक हैं.
अधीर रंजन, मुंशीप्रेमचंदन ने किया विरोध

वहीं अधीर रंजन ने कहा कि यह बिल संघीय सहकारितावाद की अवधारणा का उल्लंघन है. यह सुप्रीम कोर्ट के आदेश के खिलाफ है. यह बिल दिल्ली एलजी की शक्तियों का विस्तार करने के लिए है.

गृहमंत्री शाह ने जीएनसीटी (संशोधन) बिल को लेकर लोकसभा में कहा, 'संविधान ने सदन को दिल्ली से जुड़े किसी भी कानून को पास करने की अनुमति दी है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से साफ हो गया है कि संसद दिल्ली से जुड़े किसी भी कानून को ला सकती है। सारी आपत्तियां राजनीतिक हैं। कृपया मुझे इस बिल को पेश करने दें।'

राज्यसभा में होगा रण
खास बात है कि लोक सभा में भारतीय जनता पार्टी की अगुवाई वाली एनडीए सरकार के पास बहुमत है। ऐसे में विपक्ष के दलों को क्षेत्रीय पार्टियों पर निर्भर रहना होगा। अब इस बिल को लेकर लोकसभा के बाद अब राज्यसभा में भी जमकर हंगामा होने के आसार हैं। दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल लगातार विपक्षी दलों को सरकार के इस कदम के खिलाफ एकजुट कर रहे हैं।

पीटीआई के अनुसार, एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि राज्यसभा में विपक्षी गठबंधन के करीब 109 सदस्यों के अलावा कपिल सिब्बल जैसे कुछ निर्दलीय सदस्यों के विधेयक के खिलाफ मतदान करने की उम्मीद है। उच्च सदन में सदस्यों की कुल संख्या 243 है लेकिन कुछ रिक्तियां भी हैं।

उच्च सदन में सत्तारूढ़ गठबंधन के 100 सदस्य हैं। वहीं उसे मनोनीत सदस्यों और कुछ निर्दलीय सदस्यों के साथ ऐसे दलों से समर्थन मिलने की उम्मीद है जो सत्तापक्ष एवं विपक्षी खेमे दोनों से अलग हैं। ऐसे दलों ने विभिन्न मुद्दों पर कई बार सरकार के पक्ष में मतदान किया है।

कांग्रेस नेता ने बिल का किया है सपोर्ट

दिल्ली सेवा बिल का जहां कांग्रेस विरोध कर रही है, वहीं उन्हीं की एक पार्टी के नेता संदीप दीक्षित इसके सपोर्ट में हैं. उन्होंने कहा है कि दिल्ली का जो दर्जा है, उस हिसाब से इस अध्यादेश को पास होना चाहिए, जिसमें कोई गलत बात नहीं है. अगर दिल्ली को शक्ति देनी है, तो इसे पूरा राज्य बनाएं. यह अध्यादेश उन्हीं शक्तियों का बंटवारा उसी तरह कर रहा है, जो दिल्ली की संवैधानिक संशोधन और दिल्ली अधिनियम की मूलभावनाओं में था, इसलिए इस बिल का विरोध करना गलत है.

उन्होंने कहा कि हम सभी को पता है कि लोकसभा में बीजेपी के पास बहुमत है, ऐसे में यह बिल निचले सदन में बिल्कुल पास होगा. यह बिल दिल्ली की स्थिति के मुताबिक है.  मैं बार-बार इस बात को उठा रहा हूं. अरविंद केजरीवाल ने अकेले इंडिया गठबंधन को गलत समझाया है तो ठीक है. कोई बड़ा गठबंधन गलत समझ ले तो मैं कुछ नहीं कर सकता.
अभी तक बीजेपी के पास था इतना समर्थन

– लोकसभा में मोदी सरकार बहुमत में है. बीजेपी के पास 301 सांसद हैं. एनडीए के पास 333 सांसद हैं. वहीं पूरे विपक्ष के पास कुल 142 सांसद हैं. सबसे ज्यादा 50 सांसद कांग्रेस के हैं. ऐसे में लोकसभा में दिल्ली अध्यादेश पर बिल मोदी सरकार आसानी से पास करा लेगी.

– राज्यसभा में बीजेपी के 93 सांसद हैं, जबकि सहयोगी दलों को मिलाकर यह 105 हो जाते हैं. इसके अलावा बीजेपी को पांच मनोनीत और दो निर्दलीय सांसदों का समर्थन मिलना तय है. ऐसे में बीजेपी के पास कुल 112 सांसद हो जाएंगे. हालांकि, ये बहुमत के आंकड़े से 8 सांसद कम हैं.  वहीं, विपक्षी दलों पर 105 सांसद हैं.

बीजेपी को बीएसपी, जेडीएस और टीडीपी के एक-एक सांसदों से भी समर्थन की उम्मीद है. हालांकि, इसके बावजूद बीजेपी को बीजेडी या वाईएसआर कांग्रेस के समर्थन की जरूरत है. दोनों के राज्यसभा में 9-9 सांसद हैं और दोनों ही दलों ने बिल पर केंद्र का समर्थन करने का फैसला किया है. ऐसे में बीजेपी को आसानी से बहुमत मिल जाएगा.