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7 लाख लोगों का कातिल और हिटलर का गुरू, बेहद खौफनाक था क्रूर तानाशाह मुसोलिनी का अंत

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नई दिल्ली
इस दुनिया ने कई क्रूर तानाशाह देखें हैं। इसमें एक नाम आता है- इटली के तानाशाह मुसोलिनी का। 29 जुलाई 1883 को इटली के प्रेडेपियो शहर में जन्मा बेनिटो मुसोलिनी दुनिया के सबसे क्रूर तानाशाह में से एक था। ऐसा बताया जाता है कि महज 21 साल के शासन में इसने सात लाख लोगों को को मौत के घाट उतार दिया था। जर्मनी का क्रूर तानाशाह हिटलर इसे अपना गुरू मानता था। मुसोलिनी अपने खिलाफ आवाज उठाने वालों को अगले दिन का सूरज नहीं देखने देता था। मुसोलिनी ने 1922 से 1943 तक इटली पर राज किया।

द्वितीय विश्व युद्ध की शुरुआत में मुसोलिनी ने लफ्फाजी की थी कि अगर वो मैदान से पीछे हटा तो उसे गोली मार देना। युद्ध की समाप्ति पर जब मुसोलिनी अपनी गर्लफ्रेंड के साथ भागने की फिराक में था तो विरोधियों द्वारा पकड़ा गया। उन्होंने मुसोलिनी की बातों का अक्षरत: पालन किया और 16 साथियों संग उसे गोलियों से भून डाला। मुसोलिनी का अंत बेहद खौफनाक था। उसके शव के साथ लोगों ने बेहद बुरा सलूक किया। ये उन लोगों का दर्द था, जो मुसोलिनी की क्रूरता का शिकार हुए थे। विरोधियों ने मुसोलिनी और उसकी गर्लफ्रेंड के शव को बीच चौराहे पर उलटा टांग दिया था।

 जर्मनी का तानाशाह एडोल्फ हिटलर और मुसोलिनी आपस में अजीज दोस्त थे। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान मुसोलिनी ने हिटलर के साथ ही दुनिया के अन्य देशों से जंग लड़ी थी लेकिन, वे हार गए। इसके बाद हिटलर ने तो खुद को गोली मार दी लेकिन, मुसोलिनी विरोधियों के हाथ पकड़ा गया और मौत के घाट उतार दिया गया। इससे पहले हम बेनिटो मुसोलिनी की खौफनाक मौत पर जाएं, उसकी क्रूरता के कई किस्से हैं, जिन्हें सुनकर किसी का भी दिल सहम जाए।

टीचर से तानाशाह तक का सफर
मुसोलिनी की कहानी किसी फिल्मी स्टोरी से कम नहीं है। मामूली टीचर से करियर की शुरुआत करने वाला मुसोलिनी नौकरी छिन जाने के बाद मजदूर बना, फिर पत्रकार और फिर सत्ता के शीर्ष पर बैठकर निरंकुश तानाशाह बन गया। पत्रकारिता के दौरान हिंसा और आपसी द्वेष फैलाने वाले लेखों से वह कई बार जेल गया। प्रथम विश्व युद्ध के दौरान उसने शार्प शूटर के तौर पर सेवा दी। इसके बाद उसने काले लिबास वाली एक पैरामिलिट्री फोर्स बनाई और इटरी का राज बनने का ख्वाब देखने लगा।

प्राइवेट आर्मी के दम पर सत्ता के शीर्ष तक पहुंचा
मुसोलिनी के पास काले लिबास वाली खतरनाक और क्रूर प्राइवेट आर्मी थी। उसके दम पर उसने इटली में जमकर उत्पात मचाया और कई सरकारी दफ्तरों में तोड़फोड़ मचा दी। विरोध करने वाले कई आम लोगों और नेताओं को मौत की नींद सुला दिया। जब उसकी 20 हजार की संख्याबल वाली आर्मी इटली की राजधानी रोम पहुंच गई तो मारे डर के सत्ता पर बैठे नेताओं ने आनन-फानन में मुसोलिनी को प्रधानमंत्री नियुक्त कर दिया।

हिटलर से दोस्ती पड़ी भारी
द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जब मुसोलिनी ने देखा कि हिटलर की सेना ने फ्रांस पर चढ़ाई कर दी है तो वह भी दुनिया की नजर में आना चाहता था। उसने हिटलर से दोस्ती कर ली और जर्मनी के सभी दुश्मनों को अपनी दुश्मन करार दिया और उनके खिलाफ युद्ध का ऐलान कर दिया।