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‘दंड’ से लेकर ट्रेनिंग तक में बदलाव की तैयारी में RSS, 100 साल पूरे होने से पहले हो सकते हैं ऐलान

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नई दिल्ली
अगले साल यानी 2025 में 25 सितंबर को राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की स्थापना के 100 साल पूरे हो रहे हैं। बताया जा रहा है कि संघ इस मौके पर कई तरह के बदलाव करने वाला है। संघ अपने 40 से अधिक आनुषांगिक संगठनों का भी पुनर्गठन करेगा। सूत्रों का कहना है कि संघ अपनी ऑफिसर्स ट्रेनिंग कैंप यानी संघ शिक्षा वर्ग में भी बदलाव करने की तैयारी कर रहा है। इसके अलावा संघ की पहचान बन चुकी बांस की छड़ी भी छोटी हो सकती है। इसे 'दंड' कहा जाता है।

एक रिपोर्ट के मुताबिक हाल ही में ऊटी में 13 से 15 जुलाई के दौरान हुई संघ में इन विषयों पर बात की गई। इस साल के आखिरी में केंद्रीय कार्यकारी मंडल की बैठक में सभी फैसलों का ऐलान भी किया जा सकता है। फिलहाल संघ का पहले साल और दूसरे साल का शिविर 20 दिनों का होता है। वहीं तीसरे साल की ट्रेनिंग केवल नागपुर में होती है जो कि 25 दिनों तक चलती है। द इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक ज्यादातर सलाह यह जदी जा रही है कि पहले साल के शिविर को 15 दिनों का और बाकी दोनों को 20 दिन का कर दिया जाए।

पहले शिविर को अब संघ शिक्षा वर्ग के नाम से जाना जाएगा वहीं बाकी को कार्यकर्ता विकास शिविर कहा जाएगा। सूत्रों का कहना है कि शिविरों में ट्रेनिंग के दौरान इस्तेमाल हने वाले 'दंड' को लेकरभी चर्चा की गई। इसमें सलाह दी गई कि दंड का साइज कम कर दिया जाए। फिलहाल अभी 5.3 फीट की यह छड़ी होती है। हालांकि यह यूनिफॉर्म का हिस्सा नहीं है फिर भी कहा जाता हैकि स्वयंसेवक ट्रेनिंग में दंड के साथ ही आएं।

ज्यादातर आरएसएस कैंप अप्रैल से जून के दौरान होते हैं। वहीं कुछ सर्दियों में भी आयोजित किए जाते हैं। ये कैंप 100 से ज्यादा जगहों पर होते हैं जिसमें 20 हजार लोग पहुंचते हैं। जानकारी के मुताबिक बैठक में दंड, शिविरों के समय के अलावा अन्य कई परिवर्तनों को लेकर भी चर्चा की गई। इसमें आधुनिक समय के हिसाब से  परिवर्तन, तकनीक और सूचना पर बल दिया गया।

बता दें कि आरएसएस के 40 से अधिक सह संगठन हैं। इसमें विश्व हिंदू परिषद, स्वदेशी जागरण मंच, वनवासी कल्याम आश्रम, भारतीय मजदूर संघ, विश्व संवाद केंद्र, राष्ट्र सेविका समिति, अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद, मुस्लिम राष्ट्रीय मंच, हिंदू जागरण मंच, विद्या भारती, विवेकानंद केंद्र, सेवा भारती शामिल हैं।