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5 साल बाद फिर लौटा ‘अविश्वास’ का मॉनसून, कैसे PM मोदी फिर बन सकते हैं शोमैन; पहले ही दिए संकेत

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नई दिल्ली
लोकसभा में कांग्रेस की ओर से पेश अविश्वास प्रस्ताव को स्पीकर ओम बिरला ने स्वीकार कर लिया है। इस पर अगले सप्ताह चर्चा शुरू हो सकती है और फिर मतदान हो सकता है। इस बीच पीएम नरेंद्र मोदी की 2018 में की गई भविष्यवाणी भी चर्चा में है, जब उन्होंने कहा था कि आप 2024 के चुनाव से एक साल पहले फिर इसी तरह से अविश्वास प्रस्ताव लेकर आएंगे। ठीक 5 साल बाद वही मौका है और भाजपा 2018 की तरह ही एक बार फिर से चुनावी मिशन की शुरुआत संसद में अविश्वास प्रस्ताव से ही कर सकती है। भाजपा का इस अविश्वास प्रस्ताव में जीतना तय माना जा रहा है, लेकिन इसके बाद भी पीएम नरेंद्र मोदी इसे मौके के तौर पर देख रहे हैं।

भाजपा के रणनीतिकारों का कहना है कि पीएम मोदी इस मौके पर अपने ही अंदाज में एक लंबा भाषण दे सकते हैं। इसमें वह बीते 9 सालों में अपनी सरकार के कामों को गिना सकते हैं और INDIA नाम से एकजुट हुए 26 दलों पर हमला बोल सकते हैं। इस मौके को भाजपा मोदी बनाम समूचा विपक्ष और 'वंशवाद बनाम आम आदमी का पीएम' जैसे एजेंडे के तौर पर पेश कर सकती है। खुद पीएम नरेंद्र मोदी ने प्रगति मैदान में आईटीपीओ परिसर के उद्घाटन पर इसके संकेत दिए हैं।

पीएम मोदी ने प्रगति मैदान में तीसरे टर्म में आने पर भारत को दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी इकॉनमी बनाने का दम भरा। यही नहीं उन्होंने कई और एजेंडे गिनाए, जिस पर देर तक तालियां बजती रहीं। पीएम मोदी ने जिस कॉन्फिडेंस से तीसरे कार्यकाल की बात कही है, उससे लगता है कि वह अब चुनावी मोड में आ चुके हैं। प्रगति मैदान के बाद अब संसद में वह इसी मोड में दिखाई देंगे। राहुल गांधी 2018 में अविश्वास प्रस्ताव की बहस के दौरान नरेंद्र मोदी से गले जा मिले थे। इस पर भी पीएम मोदी ने नाटकीय अंदाज में हमला बोला था। एक बार फिर से वह अपने भाषण के जरिए चर्चा बटोर सकते हैं।

बीते 9 सालों में यह दूसरा मौका है, जब मोदी सरकार अविश्वास प्रस्ताव का सामना करेगी। 10 जुलाई, 2018 को मॉनसून सेशन में ही आए प्रस्ताव में एनडीए को 325 वोट मिले थे, जबकि विपक्ष में 126 ही गए। माना जा रहा है कि इस बार एनडीए का आंकड़ा इससे भी अधिक हो सकता है। एनडीए की कोशिश होगी कि बीजेडी, वाईएसआर कांग्रेस, जेडीएस और टीडीपी जैसे तटस्थ दलों का भी समर्थन मिल जाए। इससे वह 2024 के लिए अपना जनाधार भी दिखा सकेगी। खासतौर पर ऐसे वक्त में जब विपक्ष 26 दलों की एकता का दम भर रहा है। ऐसे में भाजपा और पीएम मोदी विपक्षी एकता को पहली पटकनी संसद में ही देना चाहेंगे। यह अविश्वास प्रस्ताव NDA बनाम INDIA की पहली लड़ाई होगी, जिसमें मोदी का पलड़ा भारी दिख रहा है।