मलमास या अधिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी पद्मिनी एकादशी के नाम से जानी जाती है. यह पद्मिनी एकादशी हर 3 साल में एक बार आती है क्योंकि मलमास हर तीन साल पर लगता है. जब मलमास लगता है तो उस वर्ष में 24 की जगह 26 एकादशी व्रत होते हैं. मलमास के शुक्ल पक्ष की एकादशी पद्मिनी एकादशी और कृष्ण पक्ष की एकादशी परमा एकादशी कहलाती है. किसी भी व्यक्ति की कोई विशेष मनोकामना पूर्ण न हो पा रही हो तो उसे पद्मिनी एकादशी का व्रत करना चाहिए. पद्मिनी एकादशी व्रत के तीन बड़े लाभ होते हैं. जानते हैं पद्मिनी एकादशी से होने वाले लाभ के बारे में.
पद्मिनी एकादशी व्रत के फायदे
1. पद्मिनी एकादशी का व्रत करने से व्यक्ति के यश और कीर्ति में वृद्धि होती है. उसके कार्यों की सराहना होती है. वह अपने कुल का मान बढ़ाता है.
2. जो व्यक्ति पद्मिनी एकादशी का व्रत रखता है, उसके पाप विष्णु कृपा से नष्ट हो जाते हैं और वह मृत्यु के बाद वैकुंठ में स्थान पाता है.
3. जो लोग नि:संतान हैं, उनको पद्मिनी एकादशी का व्रत करना चाहिए. इसके पुण्य प्रभाव से पुत्र की प्राप्ति होती है.
कथा के अनुसार, महिष्मती पुरी के राजा कृतवीर्य की 1000 रानियां थीं, लेकिन किसी को पुत्र नहीं था. राजा कृतवीर्य ने गंधमान पर्वत पर 10 हजार साल तक कठोर तपस्या किया, लेकिन उसे पुत्र की प्राप्ति नहीं हुई.
तब अनुसूया ने रानी पद्मिनी से कहा कि मलमास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को विधिपूर्वक करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं. श्रीहरि की कृपा से तुम्हें पुत्र की प्राप्ति होगी. इसके बाद रानी पद्मिनी ने मलमास के आने की प्रतीक्षा की. मलमास के शुक्ल पक्ष की एकादशी का विधिपूर्वक व्रत किया. रात्रि जागरण के बाद पारण किया.
भगवान विष्णु उनके व्रत से प्रसन्न हुए और उनको पुत्र प्राप्ति के लिए आशीर्वाद दिया. रानी गर्भवती हुईं और उन्होंने एक पुत्र को जन्म दिया. पद्मिनी एकादशी का व्रत वंश वृद्धि के लिए भी रखा जाता है.
कब है पद्मिनी एकादशी व्रत?
इस साल पद्मिनी एकादशी का व्रत 29 जुलाई दिन शनिवार को है. इस साल 28 जुलाई शुक्रवार को दोपहर 02:51 बजे से 29 जुलाई शनिवार को दोपहर 01:05 बजे तक सावन अधिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि है.
पद्मिनी एकादशी व्रत का पारण समय
पद्मिनी एकादशी व्रत के पारण का समय 30 जुलाई रविवार को सुबह 05:41 बजे से सुबह 08:24 बजे तक है.