भोपाल
मध्यप्रदेश की अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए सरकार पांच शहरों में रिसर्च, स्किल डवलपमेंट और इंडस्ट्री के नए केंद्र तैयार कर रही है। इन केंद्रों से न सिर्फ प्रदेश को आर्थिक लाभ होगा बल्कि सैकड़ों रोजगार भी सृजित होंगे। नए और स्वर्णिम मध्यप्रदेश की इस अवधारणा में इंदौर, उज्जैन, देवास, भोपाल और ग्वालियर के मालनपुर को चयनित किया गया है। इसे नॉलेज और लाइफ साइंस कॉरिडोर (knowledge lifescience corridor) नाम दिया गया है।
सात बिंदुओं पर आधारित है प्रोजेक्ट
- 1. शिक्षण संस्थान
- 2. रिसर्च, इनोवेशन
- 3. पेटेंट
- 4. निवेश, स्टार्टअप, उद्योग
- 5. स्किल्ड वर्कफोर्स
- 6. प्रोडक्शन
- 7. मार्केटिंग
व्हील एंड हब मॉडल, प्रदेश की अर्थव्यवस्था को देगा गति
देवी अहिल्या विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ लाइफ साइंस के हेड डॉक्टर तुषार बनर्जी इस प्रोजेक्ट के सदस्य हैं। उन्होंने बताया कि इस प्रोजेक्ट में इंदौर से तीन लोगों को शामिल किया गया है। प्रोजेक्ट के प्रारंभिक चरण में लाइफ साइंस और बायो इकोनामी सेक्टर पर ध्यान केंद्रित किया गया है। सबसे पहले बेहतर शिक्षण संस्थानों का चयन कर उन्हें इनोवेशन और रिसर्च के लिए प्रोत्साहित किया जाएगा। आरएंडडी को सपोर्ट करने के लिए इनोवेशन की आवश्यकता है। यह इनोवेशन कहां मिलेंगे और कैसे डवलप होंगे इसके लिए इंडस्ट्री और एकेडमिक्स का एक सामंजस्य बनाया जाएगा। उद्योगों से भी यह पूछा जाएगा कि उन्हें कहां पर परेशानियां आ रही हैं और विश्वविद्यालयों के माध्यम से उनकी परेशानियों को दूर कर नए उत्पादों को डिजाइन किया जाएगा। इसके बाद इन इनोवेशन को पेटेंट करवाया जाएगा। इन उत्पादों को इन्हीं उद्योगों के माध्यम से दुनियाभर के बाजारों तक पहुंचाया जाएगा।
विश्वविद्यालयों के स्टडी मॉडल में भी होगा परिवर्तन
बनर्जी ने बताया कि साथ में निवेश लाने और स्टार्टअप व उद्योग स्थापित करने पर भी ध्यान दिया जाएगा। इन उद्योग और स्टार्टअप को स्किल वर्कफोर्स की जरूरत होगी जिन्हें विश्वविद्यालयों के इन्क्यूबेशन सेंटर में ही डवलप किया जाएगा। इंडस्ट्री से जो प्रोजेक्ट मिलेंगे उससे स्टूडेंट्स को सीखने को भी मिलेगा, वे खुद भी तैयार होंगे और उद्योगों का भी काम आसान होगा। इसी के साथ बेहतर वर्कफोर्स तैयार करने के लिए शार्ट टर्म कोर्स शुरू किए जाएंगे, फिनिशिंग स्कूल तैयार होंगे और बेहतर कोर्स बनाए जाएंगे। स्टूडेंट्स जो इनोवेशन करेंगे उन्हें उद्योगों के माध्यम से दुनियाभर के बाजारों तक पहुंचाया जाएगा।
प्रोफेसर्स बना सकेंगे खुद के स्टार्टअप
भोपाल से मिली जानकारी के अनुसार इस पूरे प्रोजेक्ट के लिए जो ड्राफ्ट तैयार हो रहा है उसमें इस बात पर सहमति दी गई है कि विश्वविद्यालयों के प्रोफेसर्स और स्टूडेंट्स जो इनोवेशन करेंगे उन्हें इसका सीधा फायदा भी मिलेगा। वे अपने इनोवेशन से खुद के स्टार्टअप भी तैयार कर सकेंगे और उद्योगों के साथ मिलने वाले फायदे में भी लाभ ले सकेंगे।
कई जगह जमीनें चयनित, काम शुरू, अगले पांच साल में सैकड़ों लोगों को मिलेगा रोजगार
इस पूरे नॉलेज कॉरिडोर में शामिल पांचों शहर के आसपास कई प्रोजेक्ट के लिए जमीनें चयनित कर ली गई हैं। उज्जैन में मेडिकल डिवाइस पार्क के लिए गजट नोटिफिकेशन भी हो चुका है वहीं नीमच में आने वाले बायो टेक्नोलाजी पार्क के लिए भी काम तेजी से चल रहा है। इन सभी से अगले पांच साल में सैकड़ों लोगों को रोजगार मिलेगा और प्रदेश की अर्थव्यवस्था को भी बड़ा लाभ होगा।
मध्यप्रदेश के विकास को मिलेगी रफ्तार
इस प्रोजेक्ट पर दो साल से काम हो रहा है। हमारा प्रयास है कि मध्यप्रदेश में इनोवेशन हों और इसके बाद इंडस्ट्रियल प्रोडक्शन भी यहीं पर हो। इससे प्रदेश की अर्थव्यवस्था को बहुत लाभ होगा। इस लाभ में प्रोफेसर्स और स्टूडेंट्स को भी फायदा मिलेगा। कई तरह की मशीनें जो हम अन्य राज्यों से या विदेशों से खरीदते हैं यहीं पर बना सकते हैं। बाद में हम इनके एक्सपोर्ट पर ध्यान देंगे। इससे रोजगार सृजित होंगे, उद्योग बढ़ेंगे और प्रदेश के विकास को तेज रफ्तार मिलेगी।
– प्रो सचिन चतुर्वेदी, वाइस चेयरमैन, एमपी स्टेट प्लानिंग कमीशन