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सरेआम मानवता शर्मसार होती रही लेकिन मदद को कोई नहीं आया, मणिपुर दरिंदगी की कहानी खौफनाक

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नई दिल्ली

मणिपुर में दो आदिवासी महिलाओं को निर्वस्त्र कर परेड कराने के मामले में दर्ज एफआरआई से ऐसी जानकारियां सामने आई है, जिससे आपका दिल दहल उठेगा। मानवता को शर्मसार करने वाले लोगों ने पहले महिलाओं को निर्वस्त्र होने के लिए मजबूर किया। इसके बाद 21 वर्षीय लड़की के साथ सामूहिक दुष्कर्म किया। एफआईआर के मुताबिक, भीड़ ने सबसे पहले 56 वर्षीय व्यक्ति को धान के खेत के पास मार डाला। इसके बाद उन्होंने 21, 42 और 52 साल की तीन महिलाओं को निर्वस्त्र होने के लिए मजबूर किया। इसके साथ ही उनकी परेड कराई गई। इसके बाद 21 वर्षीय लड़की के साथ कथित तौर पर सामूहिक दुष्कर्म किया। जब महिला के 19 वर्षीय छोटे भाई ने इसका विरोध किया तो उसकी हत्या कर दी गई। हालांकि बाद में तीनों महिलाएं किसी तरह भागने में सफल रहीं। इस दौरान वह सात किलोमीटर तक पैदल चली और तेनुगोपाल के एक अस्पताल पहुंची। इतना सब कुछ होने के बाद भी पुलिस टीम मौके पर नहीं पहुंची।

77 दिन बाद सामने आया मामला
घटना 4 मई को हुई थी। शिकायत 18 मई को दर्ज की गई थी। इसे 21 जून को पुलिस स्टेशन में भेज दिया गया था। और सोशल मीडिया पर नाराजगी के बाद पहली गिरफ्तारी गुरुवार को हुई। कई मायनों में गिरफ्तारी को अंजाम देने में मणिपुर सरकार की गति ने उनकी कार्रवाई की पूरी कमी को उजागर कर दिया। एक के बाद एक चूक पर चुप्पी साध ली गई। 77 दिनों तक इस पर पर्दा डालने का प्रयास किया। पहली शिकायत 18 मई को काकंगपोकपी जिले के सैकुल पुलिस स्टेशन में दर्ज की गई थी। शिकायत विस्तृत थी और इसमें घातक हथियार के साथ डकैती, अपहरण, हमला, बलात्कार और हत्या की धाराएं शामिल थीं। मामले को नोंगपोक सेकमाई पुलिस स्टेशन में स्थानांतरित करने में पुलिस को एक महीने और तीन दिन लग गए। 21 जून को मामला नोंगपोक सेकमाई पुलिस स्टेशन के पास आया। ऐसा लगता है कि एफआईआर में देरी की बात स्वीकार की गई है। एफआईआर में ग्राम प्रधान के हवाले से बताया गया है कि भीड़ ने लूटपाट और अन्य घटनाओं को अंजाम दिया।

भीड़ ने गांव पर धावा बोला
रिपोर्ट में ग्राम प्रधान के हवाले से कहा गया है कि भीड़ एके राइफल, एसएलआर, इंसास और .303 राइफल जैसे घातक हथियार लैस थी। भीड़ ने गांव में धावा बोल दिया। सभी के घरों में तोड़फोड़ की। इसके साथ ही नकदी लूटने के बाद सामान बर्तन और कपड़े जला दिए। अधिकारियों ने स्वीकार किया कि उन्हें पता था कि गांव संवेदनशील है। 150 निवासियों में से करीब 90 को पुलिस और सुरक्षा कर्मियों ने पहले ही निकाल लिया था। एक अधिकारी ने बताया कि इनमें से अधिकांश ग्रामीण सरकार द्वारा संचालित शिविरों में रह रहे हैं।

ऐसी घटना के प्रयास को विफल किया
घटना के प्रत्यक्षदर्शियों में शामिल महिला हाहत वाइफेई ने दावा किया कि बी. फाइनोम गांव के लोगों ने एक दिन पहले भी ऐसी ही घटना को अंजाम देने के प्रयास को विफल किया था। पड़ोसी राज्य मिजोरम के एक यू-ट्यूब चैनल से वाइफेई ने कहा, जब हम गांव छोड़कर जाने लगे तो भीड़ ने हमें पकड़ लिया। वे हमें घसीटकर गांव से बाहर ले गए, जबकि हम मिन्नतें करते रहे। उन्होंने बताया कि भीड़ ने दो महिलाओं को पहले जबरन निर्वस्त्र घुमाया और फिर उनके साथ बलात्कार किया।