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यशवंत सागर रामसर साइट

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भोपाल

मध्यप्रदेश में 4 रामसर साइट हैं। भोपाल की भोज वेटलेण्ड, शिवपुरी की साख्य सागर, इंदौर की सिरपुर और यशवंत सागर। रामसर साइट घोषित होने से इनका अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर महत्व और संरक्षण बढ़ जाता है।

इंदौर से लगभग 26 किलोमीटर दूर स्थित यशवंत सागर जलाशय इंदौर-देपालपुर रोड, हातोद गाँव के पास स्थित है। वर्ष 1930 में महाराजा यशवंत राव होल्कर द्वारा निर्मित जलाशय के जल-भराव का क्षेत्रफल 2650 हेक्टेयर है। जलाशय का निर्माण इंदौर में सिंचाई और पेयजल आपूर्ति के लिये किया गया था।

वर्तमान में नगर निगम के अधीन इस जलाशय का उपयोग इंदौर शहर में जलापूर्ति करने के साथ सिंचाई और मछली-पालन में हो रहा है। जल-ग्रहण क्षेत्र मुख्य रूप से कृषि उपयोग की भूमि है। इसके आसपास के क्षेत्र में गेहूँ, सोयाबीन, मक्का, दालें और सब्जियाँ उगाई जाती हैं।

यशवंत सागर का पारिस्थितिक महत्व

जलाशय मध्य भारत में संकटग्रस्त प्रजाति सारस पक्षी के रहवास का प्रमुख स्थल माना जाता है। यह प्रदेश के 19 महत्वपूर्ण पक्षी क्षेत्रों में से एक है। यशवंत सागर के जल-ग्रहण क्षेत्र में उथली एवं दलदली भूमि है, जो जल के किनारे पाये जाने वाले पक्षी और शीतकालीन प्रवासी पक्षियों के लिये उपयोगी है।

यशवंत सागर इंदौर शहर का एक मुख्य पर्यटन स्थल भी है। वर्षा ऋतु के दौरान यहाँ पर्यटकों का सैलाब उमड़ता है। जलाशय के गेट खुलने पर बैक वॉटर में छोटे-छोटे तालाब बन जाते हैं, जो कई प्रकार के जीव-जंतुओं के सीड बैंक का काम करते हैं। वर्षा ऋतु में जलाशय पुन: भरने से जीव-जंतुओं की प्रजातियों का संतुलन बना रहता है।

वर्षा के उपरांत जलाशय का जल-स्तर जैसे-जैसे घटता है बैक वॉटर में कई द्वीप उभर आते हैं। ये द्वीप जलीय पक्षियों के लिये आश्रय-स्थल का काम करते हैं। अपने विशाल, उथले, जलमग्न और जलीय पौधों के कारण बड़ी संख्या में आये शीतकालीन प्रवासी पक्षियों के लिये यह स्वर्ग माना जाता है। बैक वॉटर में कमल के फूलों की खेती के कारण इसे लोटस वैली के नाम से भी जाना जाता है।