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NDA vs INDIA: गैर भाजपा, गैर कांग्रेस खेमे की तीन क्षेत्रीय पार्टियां कर सकती हैं 2024 में बड़ा खेल, समझें कैसे

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नई दिल्ली

NDA vs INDIA:  मंगलवार (18 जुलाई) को जब भाजपा समर्थक 38 दल एनडीए की मेगा मीटिंग नई दिल्ली में रह रहे थे और कांग्रेस समेत 26 दल बेंगलुरु में INDA नामक मोर्चा बना रहे थे, तब 12 क्षेत्रीय दलों ने तटस्थ रहते हुए अपने इरादों का ऐलान कर दिया था। 2024 के लोकसभा चुनाव में ऐसी तटस्थ रहने वाली क्षेत्रीय पार्टियां बड़ा खेल करना चाह रही हैं। बड़ी बात ये है कि इन 12 में से सिर्फ तीन क्षेत्रीय पार्टियां (BJD, YRCP, BRS) जिन राज्यों में शासन करती हैं, वहां (ओडिशा, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना) से लोकसभा के 63 सांसद चुनकर जाते हैं।

जिन 12 दलों ने मंगलवार को NDA और INDIA से खुद को दूर रखा, उनमें BJD, YRCP, BRS के अलावा मायावती की पार्टी BSP भी शामिल है, जिन्होंने 2024 के चुनाव में अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान किया है। फिलहाल बसपा के 10 लोकसभा सांसद हैं। इनके अलावा दोनों गठबंधनों से अलग रहने वाले क्षेत्रीय दलों में पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा की जेडीएस, एन चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी, असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी AIMIM, पंजाब की शिरोमणि अकाली दल, SAD (मान), हरियाणा की इंडियन नेशनल लोकदल, राजस्थान में हनुमान बेनीवाल की राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी और असम की AIUDF भी शामिल है।

कुछ चलेंगे एकला तो कुछ लगेंगे किनारे
संभव है कि इन 12 दलों में से कुछ किसी न किसी किनारे लग जाएं, यानी किसी ने किसी गठबंधन में शामिल हो जाएं क्योंकि उनकी बातचीत चल रही है लेकिन कुछ के इरादे साफ हैं कि वो अकेले ही 2024 की जंग में मैदान में कूदेंगे। टीडीपी, जेडीएस और अकाली दल के NDA में शामिल होने की संभावना है, जबकि AIUDF के INDIA गठबंधन में। पहले भी ये दल इन गठबंधनों के साथी रह चुके हैं। हालांकि, तीन ताकतवर क्षेत्रीय दलों BJD, YRCP, BRS के मंसूबे एकला चलने की है।

ओडिशा की बीजू जनता दल
नवीन पटनायक की बीजू जनता दल साल 2000 से ओडिशा पर शासन कर रही है। पटनायक ने कई मौकों पर और लगातार ममता बनर्जी और नीतीश कुमार सहित विपक्षी नेताओं के गठबंधन में शामिल होने के कई प्रस्तावों को खारिज कर दिया है। बीजेडी दावा करती रही है कि वह कांग्रेस और भाजपा दोनों से समान दूरी बनाकर रखती है। हालांकि, इस पार्टी ने राज्यसभा में सत्तारूढ़ भाजपा को कई बार बचाया है, जहां भगवा पार्टी के पास बहुमत नहीं है।

आंध्र प्रदेश की YSRCP
जगनमोहन रेड्डी की अगुवाई में 2019 में आंध्र प्रदेश विधानसभा चुनाव जीतने वाली वाईएसआर कांग्रेस पार्टी ने भी कई मौकों पर बीजेपी का समर्थन किया है। फिलहाल लोकसभा में उसके 22 सांसद हैं और 2019 में उसे 2.53 फीसदी वोट मिले थे। आंध्र प्रदेश के अलावा तेलंगाना में भी इस दल का प्रभाव माना जाता है। हालाँकि, पवन कल्याण की जन सेना पहले से ही एनडीए के खेमे में है और टीडीपी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू ने एनडीए में वापसी के संकेत दिए हैं। ऐसे में जगनमोहन रेड्डी के पास 2024 से पहले सीमित विकल्प हो सकते हैं।

तेलंगाना की भारत राष्ट्र समिति
तेलंगाना के मुख्यमंत्री के.चंद्रशेखर राव का मामला ऊपर के दोनों मामलों से अलग है। वह विपक्षी गठबंधन के लिए पहल करने वाले पहले क्षेत्रीय नेताओं में अग्रणी रहे हैं। उन्होंने राष्ट्रीय फलक पर विस्तार की चाहत में ही अपनी पार्टी का नाम तेलंगाना राष्ट्र समिति से बदलकर भारत राष्ट्र समिति कर लिया था। उन्होंने गैर भाजपा-गैर कांग्रेस मोर्चा बनाने के लिए और विपक्षी नेताओं से मिलने के लिए कई राज्यों की यात्रा की थी लेकिन नीतीश कुमार के सक्रिय होते ही उनकी रफ्तार अचानक कुंद पड़ गई। वह अकेले ही लोकसभा और विधानसभा का चुनाव लड़ेंगे। फिलहाल, उसके 9 लोकसभा सांसद हैं। 2019 में बीआरएस (तब टीआरएस थी) को 1.25 फीसदी वोट मिले थे।