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रॉबर्ट वाड्रा से जुड़े दस्तावेज तो बाढ़ में बह गए, जांच को पहुंची SIT से बोला बैंक; कैसी होगी जांच

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 नई दिल्ली

पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा के खिलाफ रियल एस्टेट डील को लेकर जारी जांच में नया मोड़ आ गया है। हरियाणा पुलिस SIT को अब बैंक ने बताया है कि वाड्रा की कंपनी से जुड़े कई अहम दस्तावेज बेसमेंट में आए बाढ़ के पानी में तबाह हो गए हैं। इस मामले में हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा का नाम भी शामिल हैं।

रिपोर्ट के अनुसार, जांच दल ने बैंक को पत्र लिखकर स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी और स्काईलाइट रियलिटी के खातों में आए फंड की जानकारी मांगी थी। जिसके जवाब में यूनियन बैंक की तरफ से SIT को बताया गया है कि वाड्रा से जुड़ी कंपनियों के साल 2009 और 2012 के अहम आर्थिक दस्तावेज बाढ़ में तबाह हो चुके हैं। खास बात है कि इन दोनों ही कंपनियों में कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी के पति रॉबर्ट निदेशक के पद पर रहे हैं। फिलहाल, जांच दल ने बैंक को नोटिस जारी कर पूछा है कि अन्य कंपनियों के दस्तावेज भी नष्ट हुए हैं या नहीं। साथ ही नई दिल्ली स्थित बैंक की न्यू फ्रैंड्स कॉलोनी ब्रांच को भी इन दोनों कंपनियों के दस्तावेज बर्बाद होने की जांच के लिए 20 जून को नोटिस जारी किया गया है।

क्या है मामला
दरअसल, साल 2018 में भाजपा सरकार ने हरियाणा में एक जमीन खरीद के मामले में FIR दर्ज कराई थी, जिसमें हुड्डा और वाड्रा के अलावा डीएलएफ कंपनी, ओंकारेश्वर प्रॉपर्टी और स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी का नाम शामिल था। अब SIT इस लैंड डील की जांच को आगे बढ़ा रही है। आरोप हैं कि रॉबर्ट वाड्रा की कंपनी स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी ने गुड़गांव के शिकोहपुर में ओंकारेश्वर प्रॉपर्टीज से फरवरी 2008 में 7.5 करोड़ रुपये में 3.5 एकड़ जमीन खरीदी थी। इसके बाद उन्होंने कमर्शियल लाइसेंस हासिल किया और कथित तौर पर जमीन डीएलएफ को 58 करोड़ रुपये में बेच दी। अब आरोप ये भी हैं कि लैंड डील के बदले हुड्डा सरकार ने DLF को वजीराबाद में 350 एकड़ जमीन दी थी। खास बात है कि साल 2014 चुनाव के दौरान भाजपा की ओर से इस मुद्दे को जमकर उठाया गया था। साथ ही कांग्रेस सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाकर निशाना साधा गया था।